बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन खुद एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसने तमिल सिनेमा की शुरुआत की। इतने बड़े घराने से जुड़े होने के बाद भी मयप्पन कभी भी सुर्ख़ियों में नहीं आये।
मीडिया से दूर रहना उनका शगल है। लेकिन आईपीएल-6 के संस्करण में स्पॉट फिक्सिंग के खुलासे ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया के केंद्र में ला दिया। ऐसा पहली बार नहीं है कि देश की किसी प्रभावशाली हस्ती के दामाद का नाम भ्रष्टाचार के किसी मामले में सामने आया हो। भारतीय परिवारों में दामाद का काफी ख्याल रखा जाता है, क्योंकि लोग दामाद को भगवान का दूसरा रूप मानते हैं।
रंजन भट्टाचार्य : अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को हरा कर मनमोहन सिंह की सरकार बनी थी, लेकिन मनमोहन सिंह की कम से कम दूसरी सरकार में दलाली करने वाले लोगों में श्री वाजपेयी की मित्र श्रीमती राजकुमारी कौल के दामाद और बिहारी बंगाली रंजन भट्टाचार्य ने भी काफी सुर्खियां बटोरीं।
रंजन भट्टाचार्य एक जमाने में ओबेरॉय होटल में काम करते थे और अब कई पांच सितारा होटल उनके इशारे पर चलते हैं। अटल जी जब प्रधानमंत्री थे, तब भी रंजन उनके साथ प्रधानमंत्री निवास में रहते थे और कम ही मंत्री थे जो उनकी बात टाल सकें।
रॉबर्ट वाड्रा : रॉबर्ट वाड्रा का परिवार मुख्य तौर पर पाकिस्तान के सियालकोट का रहने वाला है। बंटवारे के समय रॉबर्ट के दादा सियालकोट से मुरादाबाद आकर बस गए और यहीं पर उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया। रॉबर्ट के पिता राजेंद्र ने स्कॉटिश महिला मॉरीन से शादी की थी।
उनका हैंडीक्राफ्ट और कस्टम ज्वैलरी का बिजनेस था, जिसे बाद में रॉबर्ट वाड्रा ने आगे बढ़ाया, लेकिन उनकी किस्मत तब चमकी जब वह रियल स्टेट के कारोबार में उतरे। 1997 में प्रियंका से शादी के बाद जैसे-जैसे वक्त गुजरा, रॉबर्ट वाड्रा कारोबार में अपनी जड़ें जमाते चले गए। उनके परिवार ने बहुत तकलीफें झेलीं, लेकिन वाड्रा परिवार में विवाद भी रहे।
केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर सीधा निशाना साधकर सनसनी मचा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वाड्रा ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके 50 लाख रुपये की पूंजी से महज तीन साल में 300 करोड़ की संपत्ति बना ली। इसमें मशहूर कंस्ट्र्क्शन कंपनी डीएलएफ ने उनकी मदद की। टीम ने इस बात की जांच की मांग की थी कि क्या रॉबर्ट वाड्रा को मदद करने के एवज में ही यूपीए सरकार ने डीएलएफ को बड़े पैमाने पर जमीन आवंटित की।
चंद्रबाबू नायडू : बेहतरीन अभिनय प्रतिभा के धनी एन.टी. रामा राव फिल्मी जगत से जुड़े होने के अलावा एक प्रतिष्ठित और लोकप्रिय नेता भी थे। एनटीआर के नाम से मशहूर नंदामुरी तारक रामा राव का जन्म 28 मई, 1923 को गुड़िवाड़ा तालुक के एक छोटे से गांव निम्माकुरु में हुआ था।
एनटीआर ने गांव के ही एक शिक्षक सुब्बा राव के द्वारा प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। एनटीआर के अभिभावकों ने उन्हें उनके मामा को गोद दे दिया था। गांव में शिक्षा का प्रबंध नहीं हो पाने के कारण एनटीआर अपने गांव में बस पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए।
इसके बाद वह अपने नए माता-पिता के साथ विजयवाड़ा आ गए और वहीं के नगर निगम विद्यालय में पढ़ने लगे। वर्ष 1940 में दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने विजयवाड़ा के एसआरआर और सीवीआर कॉलेज में दाखिला लिया।
पढ़ाई के दौरान वह परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध वितरित करने का काम करते थे। स्नातक की पढ़ाई करने के लिए एन.टी. रामा राव ने वर्ष 1945 में आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 1942 में 20 वर्ष की उम्र में एन. टी. रामा राव ने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया। इन दोनों के आठ बेटे और चार बेटियां थीं। इनके दो पुत्रों का निधन हो चुका है। वर्ष 1995 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और अपने दामाद नारा चंद्रबाबू नायडू को अपना स्थान दे दिया, जो तेलुगु देशम् पार्टी के अध्यक्ष हैं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। एन. टी. रामा राव जब पहले से कम सक्रिय हुए तो नायडु ने तेजी से अपना प्रभाव बढ़ाया और जल्द ही पार्टी को हाईजैक कर लिया। असहाय रामाराव ने अंततः राजनीति से संन्यास ले किया और फिर पूरी पार्टी पर नायडु का कब्जा हो गया।
गुरुनाथ मयप्पन : ये ऐसे दामाद हैं, जिन्होंने अपनी ससुराल और खास कर ससुर की साख मिट्टी में मिला दी। स्पॉट फिक्सिंग में मयप्पन के गिरफ्तार होते ही अब श्रीनिवासन की जान पर बन आई है।
चेन्नई निवासी गुरुनाथ मयप्पन के पिता ए. वी. मयप्पन, जिन्हें ए. वी. एम. कहा जाता था, प्रख्यात फिल्म-मेकर थे। उन्हें तमिल सिनेमा के जनकों में से एक माना जाता है। ए. वी. एम. के पिता, यानी गुरुनाथ के दादाजी, अविची चेट्टीआर ग्रामोफोन बेचने वाले एक मशहूर स्टोर के मालिक थे।
गुरुनाथ मयप्पन अपने पिता, दादा या ससुर की तरह बहुत ज्यादा चर्चा में रहना पसंद नहीं करते, लेकिन इस मौजूदा विवाद से शायद सारी कोर-कसर पूरी हो जाए।
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