यूपी में स्वास्थ्य बीमा योजना में घोटाला: 49 लाख बीमा कार्ड में 22 लाख कार्ड संदिग्ध

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम पर फर्जीवाड़े की खबर है। केंद्र सरकार के पैसे पर सूबे में गरीबों को 30 हजार तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है, लेकिन आईबीएन7 के हाथ लगे हैं एक ही तस्वीर पर बना दिए गए 8 बीमा कार्ड। राज्य सरकार को भी कई इलाकों से ऐसे फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलीं, लेकिन इस गोरखधंधे के जिम्मेदार लोगों पर सख्ती के सवाल से सरकार कन्नी काट रही है।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना एनएचआईएस के तहत गरीब परिवार किसी भी निजी अस्पताल में जाकर 30 हजार रुपए तक का इलाज बीमा कार्ड पर करवा सकते हैं। ऐसे परिवारों का बीमा सरकार करवाती है, बीमा राशि भी वही भरती है। इसके लिए पैसा केंद्र सरकार देती है। ऐसे में अहम सवाल ये है कि आखिर एक ही नाम पर आठ बीमा कार्ड कैसे बन गए? क्या इस फर्जीवाड़े में बीमा कंपनी भी मिली हुई है? कहीं ये फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी फंड गटकने का घोटाला है?

सरकार खुद मान रही है कि दाल में काला है। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन के मुताबिक कहीं कहीं चार महीने से ज्यादा की दवा है और ये जानकर आपको ताज्जुब होगा कि कहीं कहीं पर छह महीने से ज्यादा का पैसा। सरकार की तरफ से अब कोई गड़बड़ी की तो मामला उन्हीं का गड़बड़ होगा। योजना प्रभारी सचिव आलोक कुमार के मुताबिक – मेरे संज्ञान में चार या पांच जगहों से ऐसी शिकायतें आई हैं कि एक आदमी के मल्टीपल कार्ड हैं।

दिलचस्प बात ये है कि यूपी सरकार अब तक सबसे ज्यादा 49 लाख बीमा कार्ड बना कर केंद्र सरकार से अवॉर्ड भी जीत चुकी है। बीमा कंपनी को हर कार्ड बनाने के 470 रुपए का भुगतान कर भी दिया है। लेकिन एक ही इंसान की फोटो पर बने आठ आठ कार्ड दिखाते हैं कि कार्ड बनाने के काम में धांधली हो रही है। शायद इसीलिए सरकार ने 49 लाख कार्ड में से सिर्फ 27 लाख कार्ड का ही प्रीमियम भरा है, यानि सरकार को भी शक है कि बाकी 22 लाख कार्ड संदिग्ध हैं।

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लेकिन हेराफेरी सामने आने के बावजूद जिम्मेदार सरकार, अफसरों और बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई अब तक क्यों नहीं की? यही सवाल पूछने पर अखिलेश के मुख्य सचिव और इस योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आपा खो देते हैं और कहते हैं कि एफआईआर मैने नहीं लिखवाया अभी तक आप लिखवा दीजिए!

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शायद सचिव महोदय भूल गए कि कार्रवाई करना सरकार का काम है- पत्रकार का नहीं। वो शायद ये भी भूल गए हैं कि उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में बीमा कार्ड बनाने का काम जारी है, हमीरपुर, वाराणसी, लखनऊ समेत कई जिलों में फर्जीवाड़े की शिकायतें आ चुकी हैं, कई अस्पताल ब्लैक लिस्ट भी किए जा चुके हैं लेकिन जरूरत केंद्र की इस योजना को राज्य में लागू करने के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार अफसरों पर सख्त कार्रवाई की है।