मंच माला माइक और लगन में मगन नेताजी, समस्याएं जस की तस

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Editorफर्रुखाबाद: नेताजी लगन में मगन हैं। उनकी क्षेत्र की समस्याएं जस की तस पड़ी है। स्थिति यह है कि नेताजी का आंख खुलते ही उनके प्रतिनिधि निमंत्रण की सूची लेकर पहुंच जाते हैं। तब नेताजी चयन करते हैं कि कहां मैं जाऊं और कहां दूसरे के माध्यम से न्यौता भिजवाऊं। कहाँ कहाँ गोष्ठी में मुख्य अतिथि है और कहाँ कहाँ केवल अतिथि? मुख्य अतिथि में पहुचना जरुरी है| बाकी बाद में| ये कडुआ सच है जिले के नेताओ का| मंच माला माइक और लगन में नेता इस कदर मगन है मानो आम जनता की सभी समस्याए हल हो गयी है और राम राज आ गया है| ब्याह बरात से लेकर शमशान तक सिर्फ वोट की तलाश है|

जिले में दो नेताओ के पास लाल बत्ती वाली सरकारी पेट्रोल से चलने वाली कार और लाखो रुपये प्रतिमाह खर्चे का सुरक्षा दस्ता है| दोनों नेताओ को मंत्री दर्जा प्राप्त है| ये सरकारी खर्चा वैसे तो नियमानुसार सरकारी काम काज निपटाने या जनहित के लिए किया जाना चाहिए मगर दोनों के दोनों मंत्री गोष्ठी, उद्घाटन, चुनावी तैयारी, ब्याह बरात और स्वागत समारोह में मगन है| अगर ये झूठ है तो देख लीजिये किसी भी दिन के अखबार| अखबार में मंत्रियो के मंच माला माइक और स्वागत समारोह की खबरे मिलेंगी| एक भी आम जन की जनसमस्या हल कर दी ऐसी खबरे नहीं मिलती| तो क्या अब कोई समस्या नहीं है| क्या थाने चौकी में रामराज हो गया है| क्या कोटेदार नियमित राशन देने लगा है| क्या भ्रष्ट टाइप लेखपाल ने गरीब आदमी का खून चूसना बंद कर दिया है? क्या बेरोजगारों को रोजगार मिल गया है? आज भी नगर से लेकर गाँव तक आम आदमी सरकारी सेवाओ को आसानी से प्राप्त नहीं कर सकता| इसी को हल करने के लिए चुनाव में वोट देकर विधायक बनाया| नतीजा क्या हुआ| एक चुनाव ख़त्म हुआ तो दूसरे चुनाव के लिए काम शुरू हो गया| और ऊपर से तुर्रा ये कि हम कोई सोना मुह में नहीं डाले है| क्या जबाब है इन नेताओ का| जो कर सकते है आत्मचिंतन और स्वमूल्यांकन अवश्य करे| क्या यही जिम्मेदारी है आपकी?

नौनिहालों के मुह में जाने वाला निबाला जानवर खा रहे है| बदले में कई नेताओ के घर में इसका कमीशन भी आ रहा है| कमालगंज से लेकर कायमगंज तक और काली नदी से लेकर राम गंगा तक हाल एक जैसा ही है| आँगन बाड़ी की पंजीरी भैंसे खा रही है और गरीबो के घरो में कुपोषण बढ़ रहा है|

नेताजी आजकल हर जगह एक ही भाषण देते है| वोट जरुर देना| क्या कभी नेता ने सभा या गोष्ठी में किसी आम आदमी से पूछा कि क्या गाँव में मास्टर नियमित बच्चो को पढ़ाने आ रहा है? क्या गाँव का कोटेदार सभी को राशन और मिटटी का तेल बाट रहा है? क्या जरूरतमंद को मनरेगा में काम और समय से पैसा मिल रहा है? क्या गाँव में लेखपाल और ग्राम सचिव बिना रिश्वत के आम किसान का काम कर रहा है? नहीं पूछा होगा! क्योंकि इनके खुद के घर में ये समस्या नहीं है| इनके काम के अफसर या सरकारी नौकर रिश्वत नहीं लेते| बदले में आम आदमी को लूटने का लाइसेंस जो मिल जाता है| बस एक ही बात कहते है वोट जरुर देना| धुप हो या वरिश वोट जरुर डाल आना ताकि इनके नेता मुख्यमंत्री और प्रधानमन्त्री बन जाए| क्योंकि नेताओ के लिए आम जनता और इनके बीच एक ही रिश्तेदारी है नेताजी और वोटर की| आपका नाम और मोबाइल नंबर इनके रजिस्टर में दर्ज है| पहले सिर्फ जाति का रजिस्टर बनता था अब मोबाइल नंबर का भी बन रहा है| विकास और समस्या का कोई रजिस्टर ये नेता नहीं बनाते| बात अगर झूठ लगे तो एक भी नेता बताये|

नगर के इस सीजन में मंत्री, विधायक, नगर पालिका अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष के अलावा विभिन्न पार्टी के बड़े नेताओं के पास एक ही तिथि पर आयोजित शादी समारोह के 20-30 कार्ड पहुंच रहे हैं। एक ही दिन में इतने जगहों पर पहुंच पाना नेताजी लोग के लिए संभव नहीं है। खास जगहों पर नेताजी स्वयं जाते हैं। शेष जगहों पर उनके प्रतिनिधि पहुंचकर न्यौता दे देते हैं। नेताजी शादी समारोह में पहुंचने पर भी राजनीतिक गलियारे से बाहर नहीं निकलते। वहां भी पार्टी के लोगों के मिलने पर वह पार्टी की गतिविधियों पर चर्चा करने में कोई चूक नहीं करते। पूर्वाह्न निकलते हैं और देर रात तक एक के बाद एक शादी समारोह में उपस्थिति दर्ज कराते हैं। यहां भी नेताजी जनता को गुमराह करना नहीं भूलते। लगन में नेताजी के व्यस्तता की वजह से उनके क्षेत्र की समस्या जस की तस पड़ी हैं। शादी समारोह में पहुंचे नेताजी का ध्यान जनता समस्या की ओर आकृष्ट कराती है तो हंसकर टाल देते हैं कि लगन बीत जाने दीजिए।

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