टी. प्रसाद को टिकट की अटकलों ने बढ़ाईं सपाइयों की धडकनें

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फर्रुखाबाद: सपा के आगामी 25 मई को संकिसा में प्रस्तावित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के संयोजक टी. प्रसाद को लोकसभा टिकट दिये जाने की अटकलों ने सपाइयों की धड़कने बढ़ा दी हैं। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री के शामिल होने की खबरों ने इन अटकलों को और हवा दे दी है। लोग अब इन टी. प्रसाद के इतिहास-भूगोल को खंगालने में लग गये हैं। बताते हैं कि वर्तमान प्रत्याशी सचिन यादव के खुले विरोध में खड़े अलीगंजी खेमे के समर्थन में अब एक स्थानीय विधायक जी भी आ गये हैं। विगत दिनों कायमगंज में एक विवाह समारोह में शामिल होने आये प्रो. रामगोपाल वर्मा की विधायक से नजदीकियों की भी चर्चा है।

[bannergarden id=”8″]T Prasadविदित है कि आगामी 25 मई को सपा का एक पिछड़ा वर्ग सम्मेमलन मोहम्मदाबाद के संकिसा में प्रस्तावित है। सम्मेलन लोकसभा के वर्तमान सपा प्रत्या्शी सचिन यादव के घर में होने जा रहा है। सम्मेलन में मुख्यममंत्री अखिलेश यादव या सपा मुखिया मुलायम सिंह के आने की अटकलें हैं। शुक्रवार को स्वयं जिलाधिकारी पवन कुमार ने मौके पर जाकर सम्मेलन स्थल का जायजा लिया है। जाहिर है कि सम्मेलन के आयोजन और उसको सफल बनाने में वर्तमान में घोषित सपा प्रत्याकशी सचिन यादव और उनके मंत्री पिता नरेंद्र सिंह यादव को पूरी तरह से लगा होना चाहिये। क्योंकि कार्यक्रम के अयोजक शाक्श विरादरी के लोग हैं। जिनमें मुख्य रुप से एक टी. प्रसाद के अतिरिक्त हाल ही में बसपा छोड़कर सपा में आये नागेंद्र शाक्य का नाम शामिल है। कभी पूरी तरह से बसपा समर्थक मानी जाने वाली एक बिरादरी का वोट पार्टी और प्रत्याशी से जुडने की पूरी संभावना है। परंतु हैरत की बात है कि मंत्री और उनके स्थानीय समर्थक सपाई पूरे आयोजन से नियंत्रित दूरी बनाये हुए हैं।
आखिर कौन हैं यह टी. प्रसाद-
टी. प्रसाद का पूरा नाम कभी तौला प्रसाद शाक्य हुआ करता था, जिसे बाद में उन्होंने बदल कर तपेंद्र प्रसाद कर लिया। सितंबर 2012 में पीसीएस से आईएएस में प्रोन्नमति पाने के बाद वे अभी तक गृह विभाग में विशेष सचिव रहे, लेकिन पिछले दिनों वे वीआरएस लेकर बौद्ध मिशन के लिए समाज सेवा को उतर पड़े। बौद्धों के महातीर्थ संकिसा में 25 मई को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर महोत्सव करा रहे हैं। पिछले वर्ष ६ मई २०१३ को भी श्री प्रसाद संकिसा में बौद्ध सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आये थे| श्री प्रसाद वर्ष 1990-91 में यहां कायमगंज में एसडीएम भी रह चुके हैं। तभी से उनके स्थानीय लोगों और विशेषकर कर्मवीर शाक्य से संपर्क हैं। बताते हैं कि कभी बसपा काल में श्री प्रसाद पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के काफी करीबी माने जाते थे। उसी दौरान से वह नागेंद्र शाक्य के भी संपर्क में हैं। श्री प्रसाद मूल रूप से तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। परंतु लखनऊ में सेवा के दौरान उन्हो‍ने लखनऊ में घर बनवा लिया था। बताया जाता है कि उनकी दूसरी पत्नी बरेली में रहकर कुछ शिक्षण संस्थानओं का भी संचालन करती हैं। वहां भी उनका आवास है। मैनपुरी-भोगांव क्षेत्र के भी सजातीय असरदार लोगों में श्री प्रसाद का अच्छा रसूख है।
क्या है पर्दे के पीछे का खेल-
सपा की धड़ेबंदी यहां से लेकर लखनऊ तक अब राज नहीं रही है। मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव को सपा का प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद तो इसमें इजाफा ही हुआ है। स्थानीय विधायकों की दिलों की फांस तो थी ही, हाल ही में अलीगंज के रामेश्वर यादव व उनके समर्थकों द्वारा कई मामलों में खुलेआम मोर्चा खोलने के बाद तो हालत और भी बुरी हो गयी है। उधर नगर पालिका चुनाव से खुन्नकस खाये बैठे एक स्थानीय विधायक ने भी सपा के आला नेताओं से संपर्क कर अब तो सचिन के अलावा किसी और को प्रत्याशी बनाये जाने पर खुल कर समर्थन करने तक का भरोसा दिया जा रहा है। हाल ही में कायमगंज में एक शादी समारोह में शामिल होने आये सपा मुखिया के भाई प्रो. रामगोपाल वर्मा की विधायक जी से दिखायी गयी नजदीकी ने एक बार फिर अटकलों को हवा दे दी है। बताते हैं कि रामेश्वर यादव ने भी सचिन के अलावा किसी को भी टिकट देने की शर्त पर उसे जिताने की गारंटी दे दी है।
क्या है गणित-
मंत्री विरोधी खेमा अटकलें लगा रहा है कि 25 को ही टिकट बदलने की घोषणा हो जायेगी। इसके पीछे वह टी. प्रसाद की हैसियत के संदर्भ में तर्क देते हैं कि किसी आम आदमी में तो यह औकात है नहीं कि वह मुख्यमंत्री या मुलायम सिंह का प्रोग्राम ले आये। वोट बैंक की गणित के अनुसार शाक्य बिरादरी के वोट भोगांव और अलीगंज में काफी संख्या में हैं। शाक्य वोट आसपास की कई सीटों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। इस लिये यदि सपा फर्रखाबाद से किसी शाक्य को टिकट देती है तो यादव, मुसलमान और शाक्य् मिल कर सीट को जीतने की स्‍थिति में हैं। परंतु कांग्रेस से तो पहले ही मुस्लिम प्रत्यांशी सलमान खुर्शीद का आना तय है, और यदि भाजपा से भी कोई शाक्य टिकट ले आया तो यह गणित गड़बड़ा सकती है। ऐसे में सपा तब तक इंतजार करना चाहेगी जब तक भाजपा का टिकट फाइनल न हो जाये। वैसे भाजपा में टिकट के सबसे मजबूत दावेदारों में अभी तक मुकेश राजपूत और मिथलेश अग्रवाल मानी जा रही हैं।