नई दिल्ली। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पटना के गांधी मैदान में बुधवार को काफी आक्रामक दिखीं। उन्होंने कहा कि अब हम नीतीश सरकार को उखाड़ फेकेंगे। हालांकि आक्रामक राबड़ी यह भी बोल गईं कि नीतीश ने जातपात तोड़ा है। उन्होंने यह ध्यान नहीं दिया कि यह बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पक्ष में जाती है।
बिहार की राजधानी में आयोजित राजद की परिवर्तन रैली में अपने संबोधन के दौरान राबड़ी देवी ने कहा कि आप सभी का उत्साह देखकर मैं उत्साहित हूं और आप सभी के समर्थन से हम नीतीश सरकार को उखाड़ फेकेंगे। उन्होंने कहा कि राजद शासन में गरीबों को जुबान मिली और पूरा बिहार हमारा परिवार है। कुछ लोग हम लोगों पर आरोप लगाते हैं कि हम दिल्ली भाग गए लेकिन ऐसा नहीं है, हम सभी आपके साथ हैं। इधर, लालू के बेटे तेजस्वी ने अब पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली है। तेजस्वी ने सोशल नेटवर्किग साइटस के सहारे पार्टी कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे आने का आह्वान किया है।
इससे पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पटना में आयोजित होने वाली परिवर्तन रैली शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें आरएसएस का तोता करार दिया है। लालू ने कहा कि अब बिहार से नीतीश राज खत्म होने वाला है। अब उनके अंत का वक्त करीब आ गया है। लालू ने कहा कि उनके बेटे कम से कम लालटेन तो संभालेंगे लेकिन नीतीश के बेटे की राजनीति में कोई छवि ही नहीं है। लालू के बयान पर पलटवार करते हुए नीतीश ने कहा, बड़बोले लोगों पर मैं कुछ नहीं बोलता।
गौरतलब है कि लालू ने पटना के गांधी मैदान में बुधवार को परिवर्तन रैली का आयोजन किया। इस रैली के जरिए लालू बिहार में अपनी सियासत ट्रैक पर लाने के लिए राजनीतिक हुंकार भरी। लालू ने इस रैली में पार्टी कार्यकर्ताओं को दूर-दूर से बुलाने के लिए 13 विशेष ट्रेनें बुक कीं। जिसके लिए उन्होंने रेल मंत्रालय को 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
लालू मंच पर आए और छा गए। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को आरजेडी की परिवर्तन रैली में देखने को मिला। लालू ने रैली का आयोजन किया लेकिन वो खुद ही तकरीबन तीन घंटे की देरी से गांधी मैदान पहुंचे। पर जब पहुंचे, तो चंद ही मिनटों में पूरे कार्यक्रम की कमान संभाल ली। पहले मंच पर मौजूद भीड़ को हटाने में जुट गए। मैदान में खड़ी भीड़ बेकाबू हुई, तो माइक के जरिए ही उन्हें भी निर्देश देने लगे। यह सिलसिला कुछ मिनटों तक जारी रहा। अगर गुस्सा आता, तो समर्थकों को डांट भी डालते। आखिरकार 10 मिनट के अंदर ही व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो गई और कार्यक्रम अपने प्लान के मुताबिक सरपट चालू।
लालू का मंच मैनेजमेंट यहीं नहीं रुका। अपने भाषण के दौरान भी चिर-परिचित अंदाज में समर्थकों को डांटते नजर आएं। कभी विरोधियों पर निशाना साधते तो अति-उत्साहित समर्थकों की ‘क्लास’ लगाने का मौका भी नहीं चूकते। आखिर बात जब लालू की हो, तो उनके इस अनोखे अंदाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। परिवर्तन रैली से बिहार में परिवर्तन आएगा या नहीं, यह बाद की बात है, पर लालू के मंच मैनेजमेंट से चंद मिनटों में आए बदलाव को तो पूरे देश ने देखा।