फांसी पर झूल रहे पिता को बहादुर बेटी ने बचाया

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FARRUKHABAD : अचानक डोली के पैरों तले जमीन खिसक गयी। उसे चंद सेकेंडों में ही फैसला लेना था, अगर फैसले में ज्यादा देरी होती तो उसकी जिंदगी तबाह हो जाती। उसकी आंखों के सामने जो दृश्य था उसे देखकर कोई भी व्यक्ति अपना दिल पकड़कर बैठ सकता था। लेकिन डोली ने बहादुरी दिखायी आंखों के सामने फांसी पर झूल रहे अपने पिता को डोली ने झपटकर गोद में उठा लिया। जिस पर उसकी मौत होते होते बच गयी। गंभीर हालत में डोली के पिता को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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घटना थाना मोहम्मदाबाद क्षेत्र के ग्राम खिमशेपुर की है। मेवाराम के 45 वर्षीय पुत्र उमेश ने खुदकशी करने का प्रयास किया। उसके पीछे कारण भी ठीक ठाक था। लगभग दो जवान हो रहीं बेटियां, परिवार की तंगी हालत और ऊपर से कर्ज। मकान बनवाने के लिए उमेश ने कर्जा लिया था। लेकिन जब कर्जा नहीं चुकता हुआ तो उसने खिमशेपुर के ही अजय माली पुत्र महेश को चार लाख में अपना मकान बेच दिया। अब उसे यह आसरा हो गया कि इन रुपयों से वह अपना कर्ज चुकाकर सामान्य जिंदगी जी सकेगा।

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लेकिन मकान के पैसे पर अजय की नियत खराब हो गयी। मकान का बैनामा कराते समय अजय ने उमेश को दो लाख रुपये दे दिये। बाकी दो लाख रुपये बाद में देने की बात कही। जिसके बाद अजय रुपये देने के लिए आना कानी करने लगा। ज्यादा दबाव डाला तो बमुश्किल 50 हजार रुपये और उमेश के हवाले करने के बाद बचे हुए डेढ़ लाख रुपये अजय किसी भी कीमत पर देने को तैयार नहीं था। उमेश के चक्कर में कई बार अजय ने धमकी भी दी। रविवार को भी यही हुआ। अजय द्वारा बचे हुए रुपये न देने और दूसरी तरफ कर्जे के रुपये अदा करने से पैसा उमेश ने खिमशेपुर स्थित दुकान में पीपे पर खड़े होकर फांसी लगा ली। उसी दौरान उसकी पुत्री डोली दुकान में पहुंची और जैसे ही शटर ऊपर किया तो उसका पिता फांसी के फंदे पर फड़फड़ा रहा था। तभी डोली ने पिता को गोद में उठा लिया। उसकी जान बच गयी। घायल उमेश को मां शांतीदेवी व पत्नी गीता समाजवादी एम्बुलेंस से लोहिया अस्पताल पहुंची। जहां उसे भर्ती कराया गया। उमेश की मां शांतीदेवी ने बताया कि इस सम्बंध में कोतवाली मोहम्मदाबाद में लिखित रूप से शिकायत करेंगीं।