यूपी: बड़े बड़े अफसरों पर फिर चला अदालत का हंटर

Uncategorized

indian courtलखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के अवमाननाजनक रवैये से नाराज उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ ने जहां एक ओर नौकरशाही के सबसे बड़े ओहदे पर काबिज मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को अवमानना नोटिस जारी की है। वह दूसरी ओर सात वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर तलब किया है। इतना ही नहीं छह अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें कस्टडी में अदालत में पेश करने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को निर्देश दिए हैं कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डीके श्रीवास्तव की सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करें।
[bannergarden id=”8″]
न्यायमूर्ति डॉ. सतीश चंद्रा ने समेकित बाल विकास योजना से संबंधित नियमावली पीठ के आदेश के बावजूद भी तय समय में अब तक न बनाने के मामले में मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी की है। दूसरी पीठ के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने भिन्न- भिन्न समय पर तैनात रहे अनेक विभागों के प्रमुख सचिवों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया है कि उनकी गिरफ्तारी कराकर अदालत में उपस्थित कराना सुनिश्चित करें।

प्रमुख सचिवों में रवीन्द्र सिंह, अवनीश कुमार अवस्थी शामिल हैं तथा साथ ही पीठ ने आइएएस, निदेशक पंचायती राज सौरभ बाबू, सचिव इंटरमीडिएट शिक्षा जितेन्द्र कुमार, यूपी कोऑपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक सुभाष चंद्र शर्मा, नार्थ मेंटीनेंस टेलीफोन के महाप्रबंधक एके टंडन, लोकनिर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ यूके सिंह, बीएसए लखीमपुर को अवमानना मामलों में तलब किया है। इसके अलावा पीठ ने बहराइच के डीआइजी कार्मिक कवीन्द्र प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक बीके यादव, निदेशक उद्यान दिनेश चन्द्र, आइजी रजिस्ट्रेशन आलोक कुमार, गोंडा के जिला विद्यालय निरीक्षक शिवलाल के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी कर सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित कराने के आदेश दिए हैं।

न्यायमूर्ति श्री अग्रवाल ने अवमानना मामलों में देरी से जवाब देने के मामले में प्रमुख सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य को निर्देश दिया है कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डीके श्रीवास्तव की सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की जाए।
[bannergarden id=”11″]
बहाने बनाना बंद करो-

पीठ ने कहा कि सरकारी अधिकारी इस बात का बहाना नहीं बना सकते कि वह विभाग में पद पर थोड़े समय पर तैनात रहे और उनका जल्दी जल्दी स्थानांतरण हुआ। पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत का आदेश होने के बाद संबंधित पद पर जितने अधिकारी आते जाते गए वह सब भी अवमानना के दायरे में आते हैं।

अदालत की नाराजगी का कारण

केस नं. 1 : बहराइच के अमर जीत रावत विकास प्राधिकरण उन्नाव से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद कई पत्र देने पर सेवानिवृत्त लाभ पेंशन आदि उन्हें नहीं मिला। क्षुब्ध होकर उच्च न्यायालय से गुहार लगाई। पीठ ने 2011 में सभी लाभ दिए जाने के आदेश दिए। पीठ का आदेश न मानने पर अवमानना याचिका दायर की जिस पर पीठ ने तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास रवीन्द्र सिंह व उपाध्यक्ष उन्नाव विकास प्राधिकरण को गिरफ्तारी वारंट जारी कर 30 मई को पीठ के समक्ष पेश किए जाने के आदेश दिया है।

केस नं. 2- याची रमेश चंद्र यूपी डॉस्प में कार्यरत थे। इनको सेवा से हटा दिया गया। क्षुब्ध होकर कोर्ट की शरण में गए। अदालत ने याची को पुन: सेवा में वापस लिए जाने के आदेश दिए। आदेश न मानने पर अवमानना याचिका दायर की गई जिस पर पीठ ने पूर्व निदेशक उद्यान दिनेश चंद्र व पूर्व परियोजना निदेशक यूपी डॉस्प मुकुल सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

केस नं. 3 – याची शशी कुमार पांडेय बहराइच में पुलिस विभाग में अर्दली थे। इनको बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश रद्द कर समस्त सेवालाभ दिए जाने के आदेश दिए। अवमानना याचिका के बाद पद पर तैनात कर दिया लेकिन याची के बकाया देय नहीं दिए। पीठ ने अवमानना मामले में पुलिस अधीक्षक बहराइच वीके यादव व पुलिस अधीक्षक कार्मिक कवीन्द्र प्रताप सिंह को गिरफ्तारी वारंट जारी कर अदालत में 27 मई को तलब किया है।

केस नं 4 – याची राम दुलारे ने अमलदराम का दावा किया। इसके बाद मामला उच्च न्यायालय में आया। पीठ के स्पष्ट आदेश के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया पीठ ने तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी मोहनलालगंज के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है।