आम की फसल देख बाग मालिकों में खुशी, तोड़ेगा तीन दशक का रिकार्ड

Uncategorized

FARRUKHABAD : क्षेत्र के कलमी आमों (चौसा, दशहरी, लंगड़ा) के अलावा देशी आम की डालों को बौर से लदा देखा जा रहा है। वैसे यदि मौसम की मेहरबानी बरकरार रही तो इस वर्ष आम की फसल ग्रामीण क्षेत्र के लिए ‘आम’ बन जाएगी। तीन दशक पहले की तर्ज पर लगे आम के बौर को एक माह का खुराक माना जा रहा है।

बाग के मालिकों द्वारा अपने कलमी आमों पर दवा का छिड़काव तो कराया जा सकेगा। परन्तु देशी आमों के पेड़ों पर दवा का छिड़काव असंभव होगा। आम की फसल के बचाव के लिए मौसम का मेहरबान रहना आवश्यक है।

mango[bannergarden id=”8″]

बताते चलें कि कायमगंज, कंपिल क्षेत्र के तमाम गांवों में किसानों ने आम की बागवानी व्यावसायिक तौर पर की है। सभी किसानों ने अपने बाग में भारी मात्रा में कलमी आम चौसा, लगड़ा, सफेदा, दशहरी, सेंदुरवा, फजली, सुंदरी आदि को लगाया है।

किसानों का कहना है कि यदि आंधी, तूफान, पुरवा हवा से लगने वाले लासा से बचा रहा तो आम की रिकार्ड पैदावार होगी। आम के बाग के मालिकों अशोक सिंह, अशोक पांडेय, डा. अरुण कुमार सिंह सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि सावधानी के तौर पर पेड़ों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है। मौसम का रुख अभी तक आम की फसल के पक्ष में है। क्षेत्र के गांवों में किसान केवल देसी आम के फसल पर ही निर्भर रहता है।

बताया जा रहा है कि फसल से लदे आम के बौर में सकुशल आम का फल आ गया तो फल के वजन से लदे आम के पेड़ों की डालियों के टूट कर गिरने की अशंकाएं हैं।

छिड़काव से बचाएं आम की फसल

आम की फसल में इस समय फल काफी बड़े हो गए हैं। किसानों को अपने बागों में सिंचाई आरंभ कर देनी चाहिए। यदि पूर्व में सूक्ष्म मात्रिक तत्वों का छिड़काव नहीं किया जा सका है तो अभी वक्त है कि बागानों में दवाओं का छिड़काव कर आम की फसल की सुरक्षा की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसल में 200 लीटर पानी में 150 ग्राम जिंक, 150 ग्राम फेरस फॉस्फेट, 150 ग्राम कॉपर सल्फेट के अलावा 200 ग्राम मैग्नीज सल्फेट, 200 ग्राम बोरॉन साथ में 200 ग्राम बुझा चूना मिलाकर छिड़काव कर दें। इससे फलों का गिरना कम हो जाएगा तथा बढ़वार अच्छी होगी। जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाए तो यह देखना है कि फल ज्यादा तो नहीं गिर रहा है। यदि गिरने की स्थिति अधिक हो तो फ्लानोफिक्स या वर्धक नामक हॉरमोन युक्त रसायन की 50 एमएल मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से फल झड़ना कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब भी हॉरमोन का छिड़काव करें तो उस समय खेत में मिलने वाली नमी के लिए सिंचाई करते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि फल में यदि कोइलिया रोग लगने से फल में सड़न और गिरना शुरू हो जाए तो बोरॉन की 400 ग्राम मात्रा, यूरिया की 500 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। इससे फल में कोईलिया रोग नियंत्रित किया जा सकता है। यदि एक बार में पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होता है तो 10वें दिन छिड़काव उपरोक्त मात्रा में घोलकर दोहरा देना उचित होगा।

कुछ बागों में इस समय फलों और बौर पर गदहिला कीट दिखाई पड़ रहे हैं। जो आम के छोटे फलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यदि यह समस्या बागों में है तो टाटा टाकुमी की 25 ग्राम मात्रा 50 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। कृषक सिंचाई बराबर करते रहें।