अतिरिक्त फौज भेजने से चीन चिंतित, सलमान ने की मोहम्‍मद अली से भारत की तुलना

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भारत के जवाबी कदमों से निपटने के लिए चीनी विदेश मंत्रालय और सुरक्षामहकमों में गंभीर चर्चा हुई है। अभी चार दिन पहले तक चीन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था किउसने सीमा पर कोई घुसपैठ की है, लेकिन अब वह चीन में भारतीय राजदूत कोबुलाकर यह जानकारी हासिल करने में लगा है कि भारत क्या कोई आक्रामक नीति तोनहीं अपनाने जा रहा है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इशारों-इशारों में भारत की तुलना मोहम्मदअली से की। जो अपने प्रतिद्वन्द्वियों को थका देते थे और फिर एक वार सेगिरा देते थे।

DSCN749 खुर्शीद ने कहा कि भारत का अपना इतिहास रहा है और अगर कोईवार करता है तब देश उसे सहन करने में सक्षम है। इसमें हमें यह जानना चाहिएकि अपना चेहरा किस तरह से बचाएं और मांसपेशी की रक्षा कैसे करें क्योंकिहमें जवाबी वार करना होगा। दक्षिण एशिया में हमें अपने आप को अली के रूपमें देखना चाहिए। हमें जानना चाहिए कि हमारे पास शक्ति है, और सामर्थ्‍य है। (यहां जवाबी वार का मतलब चीन के खिलाफ सख्त कदम से हैं)!

भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों और नेताओं के बयान अब यह संकेत दे रहे हैकि जो भारत शुरुआत में चीन के आगे झुकता हुआ दिखाई पड़ रहा था अब वो चीन कोसख्त लहजे में कुछ समझाना चाहता है। पिछलेदिनों दोनों देशो के बीच हुई इस बयानबाजी से भारत का पक्षमजबूत होता जा रहा है। चीन अब इस मसले को जल्द सुलझाना चाहता है। क्योंकि उसे भारत में अपनेव्यापार की चिंता है। बस उसकी मंशा यह है कि मसला हल होते वक्त यह न लगे किचीन को पीछे हटना पड़ा।

थलसेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह की ओर से चीनी सैनिकों को पीछेजाने को मजबूर करने के लिए कई विकल्पों की भारतीय मीडिया में हुई गहन चर्चाको यहां नोट किया गया है। फ्लैग मीटिंग के बेनतीजा होने के बाद भारतद्वारा देपसांग घाटी में अतिरिक्त फौज भेजे जाने की रिपोर्टों के बाद चीनअब इस मसले पर गंभीर हो गया है।

चीनने यह सब कुछ यह सोचकर किया था कि भारत में आम चुनाव नजदीक हैं औरकांग्रेस पार्टी चीन को जल्द से जल्द वापस लौटने के एवज में अपने बंकर औरनई चौकिया हटाने का आश्वासन दे देंगी (जैसा पहले होता रहा है) और उसका मिशनसफल रहेगा, सेना ने अपना पक्ष सरकार के सामने ठीक प्रकार से रखा और भारतसरकार ने चीन के आगे झुकने से इंकार कर दिया।

चीन इस मसलेके ज्यादा प्रचार से कितना डरा हुआ है यह इस बयान से साफ हो जाता है कि हुआचुनयिंग ने कहा कि हमें आशा है कि मीडिया इसे कुछ और समय देगा और थोड़ाधैर्य रखेगा। इस मुद्दे को जल्दी ही बातचीत के जरिये सुलझा लिया जाएगा।उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष उचित प्रक्रिया के तहत एक दूसरे के साथ संपर्कमें हैं और गंभीरता से बातचीत कर रहे हैं और हम एक-दूसरे की स्थिति को औरबेहतर समझ रहे हैं। दोनों पक्ष इस मुद्दे को मित्रवत बातचीत के जरिएसुलझाने के इच्छुक और समर्थ हैं।

भारतीय विदेश मंत्रालय भी मुखर हुआ और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत कालक्ष्य लद्दाख के देपसांग में चीनी टुकड़ी को 15 अप्रैल से पूर्व की स्थितिमें वापस लौटाना है। उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर भीतरघुस आए चीनी सैनिकों पर बीजिंग के सामने भारत अपनी चिंता रखने में समर्थहै।

चीन ने घुसपैठ की है इस पर अमेरिका को कोई शंका नहीं रह गई है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने अपने एक बयानमें कहा कि हम इस बात का समर्थन करते हैं कि भारत और चीन अपने सीमा संबंधीविवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए मिलकर कार्य करें। भारत भी चीन का डर दिखाकर अमेरिका से ऐसे हथियारों कोहासिल करने में सफल हो सकता है, जिसे अमेरिका अभी तक भारत को देने के खिलाफथा। जैसे छोटे टोही विमान। ड्रोन जैसा विमान जिसने अपनी उपयोगिताअफगानिस्तान में साबित की है। एटमबम भारत के पास है लेकिन उसे अभी और उन्नत बनाया जाना बाकी है। चीन सेविवाद के बाद नाटो देश जैसे ब्रिटेन और फ्रांस जिनके पाक के साथ हित नहींजुड़े है वो परमाणु बम की उच्च तकनीक भारत को उपलब्ध करा सकते हैं। साथ हीअमेरिकी जनता में भारत के प्रति आदर का भाव बढ़ा है, जबकि चीन को अमेरिकाअपने विरोधी के रुप में देखता है। चीन के ताजा कदम से अमेरिकी जनमत भारत कोचीन के सामने और मजबूत देखना चाहेगा।

आज सैटेलाइट कायुग है हर देश सैटेलाइट से अपनी नहीं दूसरे देशों की सीमा पर भी नजर रखतेहै ऐसे में यूरोप के हर देश को पता है कि गलती किसकी है। विश्व दबाव मेंचीन को पीछे हटना ही पड़ेगा और यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। अगर चीनकाफी दिनों तक नहीं हटेगा तो भारत उसे विश्व में बदनाम करने में कोई कसरनहीं छोड़ेगा। आज आप कितने ही शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन विश्व जनमत केआगे आपको झुकना ही पड़ता है।

चीनका भारत में अरबों डालर का व्यापार है और व्यापार संतुलन चीन की तरफ है।चीन के इस कदम से भारत में उसके खिलाफ नाराजगी फैल चुकी है। सरकार भले हीरणनीति के तहत खुलकर नहीं बोल रही है, लेकिन जनता ने चीनी सामानों काबहिष्कार करने का फैसला ले लिया हैं। 19 किमी. का निर्जन इलाका तो चीन कोकुछ नहीं दिलाएगा, लेकिन भारत में उसका व्यापार जरुर चौपट हो जाएगा। जोवहां बेरोजगारी बढ़ाएगा। ऐसे में भारत मेंचीन के सामानों का बहिष्कार वहां हलचल पैदा कर देगा।