शोक सभा कर छात्रों ने दी सरबजीत को श्रद्धांजलि

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FARRUKHABAD : सरस्वती शिशु मन्दिर सेनापति में पाकिस्तान द्वारा साजिश रचकर बन्दी रक्षकों द्वारा मरवाये गये निरपराध भारतीय नागरिक सरबजीत की मृत्यु पर शोक सभा का आयोजन किया गया। जिससे अनेक बच्चों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य विशम्भर दयाल मिश्र ने कहा कि महात्मागांधी ने हमें एक सूत्र दिया था, अहिंसा परमोधर्म:। लेकिन यह भी कहा था कि मेरी अहिंसा कायरता नहीं सिखाती।

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अनेक क्रांतिकारियों ने पूज्य महात्मागांधी की सूक्ति को चरितार्थ करते हुए देश के स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणों की बाजी भी लगा दी। आज उन्हीं के अनुयायी उन्हीं के पग चिन्हों पर चलते हुए उस अहिंसा से कायरता का जामा पहने हुए हैं। जिसके अनेक उदाहरण परिलक्षित हो रहे हैं। प्रथम 1985 में चीन ने भारत में घुसपैठ कर अनाधिकृत कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। जिसे खाली कराने के प्रयास में 10 वर्ष लग गये। तब सफलता मिल सकी।

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आज घटना पंजाब की है कि अपने खेतों की रखवाली करता हुआ सरबजीत अनाधिकृत रूप से पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़ लिया गया। वह भारत का नागरिक था। इस अपराध के कारण आतंकी घोषित करते हुए जेल में डाल दिया। भारत ने सामान्य रूप से पहल भी करना चाही तो सफलता नहीं पायी। पाकिस्तान के वास्तविक आतंकी अब्दुल कसाब को उसके भयंकर नरसंहार के बदले जब भारत में फांसी दे दी गयी उसी दिन से पाकिस्तानी सरकार के इशारे पर पाकिस्तानी जेल में बंद सरबजीत को बन्दी रक्षकों ने अमानवीय यातनायें देना प्रारंभ कर दिया। साजिश के तौर पर योजना बनायी जिसका परिणाम यह हुआ कि बन्दी रक्षकों द्वारा इतना पिटवाया गया कि उसकी मृत्यु संभावित रूप से वहीं हो गयी। अस्पताल में भर्ती करने का नाटक रचा गया। इस घटना को पाकिस्तान भारत से लिया गया बदला मानता है। समस्त भारतवासियों को एकत्र होकर राष्ट्र भावना की लहर पूरे समाज में फैलानी चाहिए।

कार्यक्रम में अभिषेक त्रिवेदी, विद्यालय के संगीताचार्य सर्वेश कुमार शुक्ला, संजीव शाक्य, शैलेन्द्र अग्निहोत्री, रामआसरे राठौर, भगवंत लाल प्रजापति, रामनरेश राजपूत, कृष्ण कुमार कटियार, रवीन्द्र प्रताप सिंह, रामरतन, आदित्य कुमार, रामानंद पाण्डेय,  सहित लगभग तीन सैकड़ा बच्चे उपस्थित रहे।