सरबजीत ‘ब्रेन डेड’, वेंटिलेटर हटाने की तैयारी में डॉक्‍टर

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नई दिल्‍ली। चीन के खिलाफ जहां भारत में लोगों का गुस्‍सा भड़क रहा है, वहीं पाकिस्‍तान से भी अच्‍छी खबर नहीं आ रही है। लाहौर की कोर्ट लखपत जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर जानलेवा हमला अचानक कैदियों के भड़कने नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा की सोची-समझी साजिश के तहत हुआ है। भारतीय खुफिया एजेंसियों की गोपनीय रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। गृह मंत्रालय के आला सूत्रों के मुताबिक यह रिपोर्ट लाहौर के डीआईजी की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करती है। लाहौर के डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में इस हमले की वजह अचानक कैदियों के बीच बदले की भावना से हुई झड़प बताया है।

शक तो यह भी जताया जा रहा है कि सरबजीत की मौत हो गई है और पाकिस्‍तान इसे छिपा रहा है। हालांकि अब यह बात सामने आ गई है कि सरबजीत को ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर दिया गया है। एससी-एसटी कमीशन के अध्‍यक्ष राजकुमार वीरका ने बताया कि उनकी दलबीर कौर से बातचीत हुई है। डॉक्‍टरों ने उन्‍हें सरबजीत के ‘ब्रेन डेड’ होने की जानकारी दी है। सरबजीत के वकील के मुताबिक डॉक्‍टरों ने पूछा कि क्‍या सरबजीत को वेंटिलेटर से हटाया जाए तो परिवारवालों ने कहा कि नहीं, सरबजीत को वेंटिलेटर पर ही रहने दिया जाए।

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सरबजीत की बहन दलबीर कौर वाघा बॉर्डर के रास्‍ते भारत लौट रही हैं। सरबजीत के परिवारवालों ने वहां के अधिकारियों के रवैये से नाराजगी जताई है। दलबीर ने बताया कि उन्‍हें पाकिस्‍तान में न तो उनके भाई से मिलने दिया जाता है न ही उन्‍हें मीडिया से बात करने दिया जा रहा है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच में यह साफ पता चला है कि मुंबई हमले के दोषी कसाब की फांसी के बाद से ही सरबजीत को जान से मारने की रणनीति बनाई जा रही थी। सरबजीत पर हमला करने वाले मुद्दशर और आमिर अफताब तरीके तालिबान से जुड़े हैं और लश्कर के लिए काम करते हैं।

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दोनों 2005 और 2009 से संगीन मामलों में इसी जेल में बद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफजल की फांसी के बाद तालिबान ने लश्कर पर दबाव बढ़ा दिया कि सरबजीत पर हमला कराया जाए। इस बात की संभावना भी जताई गई है कि पाकिस्तान में चुनाव के बाद भारतीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का दौरा हो सकता था और इस दौरान सरबजीत की रिहाई पर विचार हो सकता था। चूंकि अभी पाकिस्तान की हुकूमत एक तरीके से लाचार और ढीली-ढाली है। जाहिर है, इस वक्त को चुनने में लश्कर और तहरीके तालिबान के आकाओं ने देर नहीं की और कोट लखपत जेल में बंद अपने लोगों को इसे अंजाम देने का निर्देश दिए।

हालांकि भारत सरकार ने सरबजीत की जान को खतरे के बारे में सूचित किया था। इसके बावजूद हफ्ते भर पहले ही सरबजीत की सुरक्षा ढीली कर दी गई थी। यही नहीं, पाकिस्तान गए सरबजीत के परिजनों को भी खतरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है। लेकिन भारतीय मीडिया में सुर्खियों की वजह से पाकिस्तान की सरकार को सरबजीत के परिजनों को न सिर्फ सुरक्षा देनी पड़ रही है बल्कि भारतीय दूतावास के अधिकारी को हर समय साथ रहने की इजाजत भी देनी पड़ रही है।