लद्दाख में घुसपैठ : भारत ने रवाना किया इन्फैंट्री रेजीमेंट

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नईदिल्ली: भारतीय क्षेत्र लद्दाख में 10 किलोमीटर भीतर चीनीसैनिकों के घुसपैठ और वहां तम्बू में चौकी बनाने की रिपोर्टों के बीचभारतीय सेना ने अपने और जवानों को लद्दाख क्षेत्र में रवाना किया है।
पर्वतीय रणकौशलमें विशेषज्ञता रखने वाले सेना के एक रेजीमेंट को लद्दाख के दौलत बेग ओल्दी (डीबीओ) सेक्टर में भेजा गया है।बताया यह भी गया है किभारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने भी चीनी सैनिकों के पोस्ट के पासतंबू में एक अपनी चौकी बनाई है और उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही है।रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गत 15 अप्रैल को भारतीय क्षेत्र लद्दाख में 10 किलोमीटर भीतर दाखिल हुई।सूत्र बताते हैं कि लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों केघुसपैठ को लेकर भारतीय नेतृत्व चिंतित है। मामलेको लेकर दोनों देशों की सेना के बीच आज दूसरी फ्लैग मीटिंग होने वाली है।इन सबके बीच जनरल बिक्रम सिंह आज से दो दिनों की जम्मू एवं कश्मीर कीयात्रा पर हैं।
भारतीय परिक्षेत्र मेंचीनी सैनिकों के घुसपैठ की यह पहली घटना नहीं है। चीनी सैनिक इसके पहले भीवास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारतीय क्षेत्र में दाखिल हो चुके हैं।
ice laddakhबासठ के बाद भारत को ज्यादातर चुनौती ही मिली है एलएसी पर रिश्ते सामान्य नहीं तो कभी बहुत असामान्य भी नहींरहे हैं। लेकिन इस बार भारत को पाकिस्तान के साथ समझौते की सीमारेखा एलओसीसे नहीं बल्कि चीन के साथ समझौते वाली सीमारेखा एलएसी से चुनौती मिली है।चुनौती भी कोई सामान्य नहीं। 15 अप्रैल को चीन की सेना एलएसी पार करके दसकिलोमीटर भारतीय सीमा में भीतर तक चली आई और हम देखते रह गये। जिस जगह चीनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने दस किलोमीटर भीतर तक यह चहलकदमी की है वहदौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के नाम से जाना जाता है।
डीबीओ में चीन की इस चहलकदमी से भारतीय प्रशासनिक हलके मेंहड़कंप मचना बहुत स्वाभाविक था। और हड़कंप मचा तो भारत ने न सिर्फ चीन केराजदूत को सम्मन देकर चेतावनी दे डाली बल्कि सीमा पर सैन्य गतिविधियों मेंभी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। भारतसरकार ने न सिर्फ आईटीबीपी का टेन्ट पोस्ट स्थापित करने की पहल की है बल्किभारी आयुध भी सीमा पर पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है। भारत सरकार नेऐसे सैनिकों की टुकड़ी भी डीबीओ पर तैनात कर दी गई है जो पहाड़ीपरिस्थितियों में युद्ध कला में महारत रखते हैं। जमीनी स्तर पर इनतैयारियों के साथ ही कूटनीतिक स्तर पर भी भारत सरकार चीन को चेतावनी दे रहीहै। लेकिन क्या भारत चीन को चेतावनी दे रहा है या फिर चीन भारत को नयेसिरे से चुनौती पेश कर रहा है
सच तो यही नजर आता है कि भारत सरकार भले ही कूटनीतिक और जमीनी स्तर पर चीन को चेतावनी दे रहा हो लेकिन लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक चीन समय समय परभारतीय सीमा पर चुनौती प्रस्तुत करता रहता है। चीन की इन चुनौतियों सेनिपटने के लिए भारत की तैयारियां शायद उतनी पुख्ता नहीं हैं जैसा कि होनीचाहिए। अगर ऐसा होता तो चीनी सैनिकों का करीब पचास लोगों का दस्ता डीबीओमें दस किलोमीटर अंदर तक आने की जुर्रत नहीं करता।
1962 के युद्ध के बाद सेखासकर लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र में सैन्य स्तर पर कोई खास रणनीतिकप्रगति हुई हो ऐसा नहीं है। हालांकि लद्दाख के इस दुर्गम इलाके में भारतने चीन की सीमा से सटे उन दो कच्ची हवाई पट्टियों को फिर से सुचारू कर दियाहै जिनका इस्तेमाल छोटे और मालवाहक जहाजों को उतारने के लिए किया जा सकताहै। 1962 के युद्ध के दौरान पश्चिमी छोर पर स्थित डीओबी और पूर्वी छोरफुकचे एडवान्स एयरफील्ड को चालू किया जा चुका है लेकिन इनकी क्षमता युद्धकया फिर बड़े विमानों के लिए नहीं है।
लद्दाख क्षेत्र के श्योक घाटी में भारत द्वारा बनाया गया थोइसएयरस्ट्रिप जरूर रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और इस हवाई पट्टी परभारत के सबसे उन्नत विमान सुखोई-30 को भी उतारा जा सकता है। यह हवाई पट्टीलद्दाख की राजधानी लेह से 160 किलोमीटर दूर है और रणनीतिक रूप से एलएसी औरएलओसी दोनों तक अपनी पहुंच रखता है। लेकिन इस हवाई पट्टी का इस्तेमालसिर्फ युद्धक परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। सामान्य काल में सीमाके करीब डीबीओ और फुकचे एयरस्ट्रिप ही वह जरिया है जिसके जरिए इस दुर्गमक्षेत्र में सैन्य चौकसी और निगरानी रखी जा सकती है। लेकिन ऐसा लगता है किभारतीय हुक्मरान और सैन्य विभाग यह मानकर चलता है कि एलएसी पर शायद वैसीचुनौती पेश नहीं आयेगी।
भारत के उलट चीन की तरफ से लद्दाख क्षेत्र मंे सक्रियता लगातार जारी रहीहै। रक्षा विशेषज्ञों का अध्ययन है कि जिस कराकोरम पहाड़ी क्षेत्र मेंडीओबी आता है इस पहाड़ी क्षेत्र में चीन 13 सुरंगों का निर्माण 2011 तकपूरा कर चुका था। लद्दाख सीमा से सटे मात्र चालीस किलोमीटर की दूरी परक्विजिल जिल्गा में चीन ने मिसाइल आयुध भंडारण की क्षमता भी विकसित की हैजहां 70 से 270 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकने वाली मिसाइल तैनात की गईहैं। इसके अलावा पिछले दो तीन सालों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेपहाड़ी क्षेत्र में (5000 मीटर तक या उससे भी अधिक) इस्तेमाल होनेवालेभारी हथियारों मिसाइलों तोपों और राकेट लांचरों का परीक्षण जारी रखा है।लद्दाख से लेकर उत्तराखण्ड की सीमा तक चीनी सैनिकों की चौकसी परीक्षण लगातार बनी हुई है। ऐसे में कभी उनका कोई हेलिकॉप्टर भारतीय सीमा मेंप्रवेश करके वापस चला जाता है तो कभी सैनिकों की कोई टुकड़ी चहलकदमी करकेवापस चली जाती है। भारत की ओर से तात्कालिक तौर पर भले ही सख्त संदेश दियाजाता हो लेकिन स्थाई तौर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जाती जिससे चीन कोचौकन्ना किया जा सके। अभी तो चीन ही है लगातार भारत को चुनौती पेश करकेचौकन्ना करता रहता है।