Supreme Court ने सहारा से पूछा- क्यों न गिरफ्तार किया जाए?

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नई दिल्ली। निवेशकों का पैसा लौटाने के मामले में सहारा ग्रुप के प्रमोटर सुब्रत रॉय सहारा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में सेबी की अर्जी पर सुनवाई हुई, जिसमें सुब्रत रॉय सहारा की गिफ्तारी की मांग की गई है। कोर्ट ने सहारा से 1 हफ्ते में जवाब जमा करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी।
subrat sahara
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेबी को ओएफसीडी के निवेशकों को ढूंढने की जरूरत नहीं है। निवेशक न मिलने पर भी सेबी को ओएफसीडी डिपॉजिट जब्त करने का अधिकार है। कोर्ट ने सहारा को ओएफसीडी मामले में स्थिति साफ करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा द्वारा इलाहबाद कोर्ट में दाखिल अर्जी पर भी ऐतराज जताया है।

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मामले पर सहारा का कहना है कि सेबी के पास सभी दस्तावेज जमा किए जा चुके हैं। 30 अप्रैल तक सेबी को और जानकारी सौंपी जाएगी। सेबी के सामने पेशी के वक्त सुब्रत रॉय सहारा ने सेबी पर वक्त बर्बाद करने का आरोप लगाया था और कहा था कि जिन निवेशकों को पैसा नहीं मिला है, उनका पैसा सेबी के पास पड़ा है।
निवेशकों के 24000 करोड़ रुपये न चुकाने के मामले में सेबी ने 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। अर्जी में सेबी ने सुब्रत रॉय सहारा पर देश छोड़कर जाने की रोक लगाने की भी मांग की है। सहारा की 2 कंपनियों को 3 करोड़ निवेशकों का पैसा लौटाना है। सेबी ने पहले ही कंपनी की प्रॉपर्टी और बैंक अकाउंट सील किए हैं।

नवंबर 2010 में सेबी ने सहारा ग्रुप की 2 कंपनियों को ऑप्शनली फुली कंवर्टिबल डिबेंचर्स (ओएफसीडी) के जरिए रकम जुटाने के लिए रोका था। दिसंबर 2010 में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेबी के आदेश पर स्टे लगा दिया था। जनवरी 2011 में सेबी ने एक विज्ञापन देकर निवेशकों को सावधानी बरतने को कहा था। इसके बाद सेबी और सहारा के बीच एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में जाने का खेल शुरू हो गया था।

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जून 2011 में सेबी ने सहारा ग्रुप की दोनों कंपनियों को निवेशकों को पैसा लौटाने का आदेश दिया और इस आदेश के खिलाफ सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के पक्ष में फैसला सुनाया और सहारा को निवेशकों को ब्याज समेत 24000 करोड़ रुपये लौटाने के आदेश किया।