लखनऊ: दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक में कसरत के बाद से प्रदेश भाजपा की सक्रियता बढ़ी है। 30 अप्रैल तक हर हाल में जिला व मंडल कमेटियों का गठन पूरा करने की हिदायतें दी गई हैं। जिलाध्यक्षों के कामकाज की तिमाही समीक्षा करने के अलावा समस्त पूर्व प्रदेश अध्यक्षों से भी संगठनात्मक कार्यो में लगने को कहा गया है।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश से कम से कम 40 संसदीय क्षेत्रों में जीत का लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार कार्ययोजना में सभी वरिष्ठ नेताओं की भागीदारी एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में एक शीर्ष नेता को बतौर समन्वयक नियुक्त करने का प्लान है ताकि तैयारी में एक रूपता बने और जवाबदेही भी तय हो।
[bannergarden id=”8″]
कार्यक्रमों की सफलता पर जोर : केंद्रीय व प्रदेशीय स्तर पर तय होने वाले कार्यक्रमों को कामयाब बनाने में पार्टी अपनी पूरी ताकत लगाएगी ताकि असफलता का ठप्पा लगने से माहौल खराब न हो पाए। जिला संगठन की अब हर तीसरे माह समीक्षा भी होगी। बेहतर प्रदर्शन न करने वाले अध्यक्षों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को क्षेत्रीय संगठन की निगरानी करने में लगाया जाएगा हालांकि इस निर्णय पर आपत्ति भी उठी। इक्का दुक्का पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने क्षेत्रीय पर्यवेक्षक बनने को अपने प्रोटोकॉल के खिलाफ बताते हुए एतराज भी जताया परन्तु केंद्रीय नेतृत्व कुछ सुनने को तैयार नहीं। प्रदेशाध्यक्ष से क्षेत्रवार पर्यवेक्षकों के नाम जल्द से जल्द देने को कहा गया है।
पदाधिकारी होंगे क्षेत्रीय प्रभारी : सूत्रों के अनुसार प्रदेश उपाध्यक्षों व महामंत्रियों को क्षेत्रीय प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। उनके सहायक के रूप में प्रत्येक क्षेत्र में एक प्रदेश मंत्री भी रहेगा। इस बंटवारे के तहत अवध क्षेत्र में शिवप्रताप शुक्ला, पश्चिमी उप्र में स्वतंत्रदेव सिंह, बरेली क्षेत्र में अशोक कटारिया, बृज क्षेत्र में गोपाल टंडन, गोरखपुर में पंकज सिंह, कानपुर में हरद्वार दुबे तथा बुंदेलखंड में राजबीर सिंह ‘राजू’ को प्रभारी पद का जिम्मा देने की तैयारी है।
[bannergarden id=”11″]
मुख्यालय में बैठेंगे पदाधिकारी : कार्यकर्ताओं व आमजन की समस्या सुनने के लिए पार्टी मुख्यालय में हर दिन कम से कम एक पदाधिकारी या वरिष्ठ नेता अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेगा। सम्पर्क व संवाद बढ़ाने को बल देने के लिए क्षेत्रीय व जिला कार्यालयों पर भी यहीं व्यवस्था लागू की जाएगी। मोर्चा व प्रकोष्ठों के पदाधिकारी भी इसी अभियान में लगेंगे। निष्क्रियता व अनुशासनहीनता के आरोपों को टालने के बजाए जल्द निस्तारण की व्यवस्था बनाना प्रस्तावित है।