पांच साल से भाई के साथ यौन संबंध रखे युवती ने की आत्महत्या्

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दिल्ली: राजस्थान के सीकर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। सीकर के जयपुर रोड पर सैनी कॉलोनी में एक युवती ने बुधवार रात आत्मग्लानि में पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली। पुलिस जांच में जुटी तो ऐसा शर्मनाक खुलासा हुआ कि हर कोई हैरान रह गया। जयपुर के एक गांव के रहने वाले सगे भाई-बहन पांच साल से सीकर में किराए के मकान में पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। इनका साढ़े तीन साल का बच्चा भी है।

बताया गया कि युवक अपनी पत्नी को तलाक देकर व युवती ससुराल छोड़कर सीकर आकर रहने लगे थे। ये दोनों सीकर में जयपुर रोड पर सैनी कॉलोनी में रह रहे थे। युवक कारपेंटर का काम करता है। युवक के कहने पर युवती का अंतिम संस्कार नगर परिषद ने करवाया। पूछताछ में सामने आया है कि घर से भागने से पहले युवती ने अपने पति को छोड़ा और युवक ने पत्नी से तलाक लिया था। अब एसडीएम यह निर्णय करेंगे कि बच्चा किसे सौंपा जाना है। प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या की वजह युवक ने आर्थिक तंगी बताई, लेकिन पुलिस का मानना है कि युवती ने यह कदम आत्मग्लानि की वजह से उठाया है। पुलिस के मुताबिक बुधवार देर रात पुलिस को सूचना मिली कि गहलोत मोटर्स के पीछे सैनी कॉलोनी में एक युवती ने आत्महत्या कर ली है। युवती के साथ रहने वाले युवक ने शुरुआत में अपना नाम सुनील निवासी धोली आलमोदा (अमरसर) बताया। परिवार को लेकर सवाल किए गए तो वह सकपकाने लगा। पुलिस गहराई में गई तो उसने बताया कि असली नाम सुरेश उर्फ पप्पू है। वह धोली आलमोदा (अमरसर) का ही है। बरसों पहले परिवार जयपुर के मुरलीपुरा में शिफ्ट हो गया था। पांच साल पहले वह सगी बहन उषा के साथ घर से निकल गया।

पुलिस का कहना है कि बुधवार को दोनों के बीच विवाद हुआ और सुरेश बाहर निकल गया था। लौटा तो अंदर से कमरा बंद था। बच्चे के रोने की आवाज आने पर उसने अंदर झांका तो उषा को फंदे पर लटका पाया। शहर कोतवाल बालाराम ने बताया कि सुरेश से पूछताछ में यह पता चला है कि वे सगे भाई-बहन हैं। शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद सुरेश ने एसडीएम से दरख्वास्त की कि उसके पास अंतिम संस्कार का इंतजाम नहीं है। इसलिए नगरपरिषद से शव का अंतिम संस्कार करवाया गया।

पप्पू ने पांच वर्ष पहले 21 लाख रुपए में अपना मकान बेच दिया था। इसमें से कुछ पैसे उसने उधार के चुका दिए। कुछ पैसे अपनी पहली पत्नी को देकर रिश्ता तोड़ लिया। भाई का हिस्सा देने के बाद करीब छह लाख रुपए लेकर वह सीकर आ गया। यहां पर किराए का मकान लेकर रहने लगा। दो वर्ष तक तो वह इन पैसों से काम निकालता रहा। बाद में यहां कारपेंटर का काम करने लगा। ऐसा माना जा रहा है कि युवती की आत्महत्या की वजह आर्थिक तंगी भी हो सकती है।

पुलिस ने धवली आमलोदा गांव के सरपंच से परिवार की जानकारी पता की। सुनील के नाम पर तो कोई नहीं बता पाया, लेकिन पप्पू का नाम सामने आने पर जयपुर में रहने वाले उसके बड़े भाई राजेश के नंबर मिल गए। राजेश को घटना की जानकारी दी और शव लेने के लिए सीकर आने की बात कही तो उसने…हमारे लिए तो यह पहले ही मर गए कहकर फोन काट दिया।

पप्पू दिनभर अस्पताल में मुर्दाघर के बाहर और बाद में श्मशान घाट में बैठा शव को देखता रहा। पूछने पर भी उसने छिपाया भी नहीं। नगर परिषद के सहयोग से उषा के शव का अंतिम संस्कार हुआ और पप्पू ने मुखाग्नि दी। इधर, उनका तीन साल का बेटा बिना मां के परेशान होता रहा। हर किसी आने जाने वाले से वो मां के बारे में पूछता रहा। मेरी मां कहां गई है। आपने देखा क्या?