लखनऊ: केन्द्रसरकार ने शिक्षकों प्राथमिक स्कूलों में कमी को दूर करने के लिए शिक्षकोंकी न्यूनतम योग्यता में ढील देने के लिए उत्तर प्रदेश सहित तेरह राज्यों को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया हैक्योंकि शिक्षा अधिकार कानून 2009 के तहत जो न्यूनतम योग्यता मानदंडतय किए गए हैं, उसे पूरा करने वाले शिक्षक वांछित संख्या में नहींमिलपा रहे हैं। इस समस्या से निपटने केलिएही केन्द्र सरकार ने यहकदम उठायाहै। उम्मीद है कि इसके बाद राज्योंमें शिक्षकों की जो कमी है उसकी एकसीमा तक पूर्ति संभव हो पाएगी।
बारहवीं पंचवर्षीय के तहत शिक्षक तथाशिक्षकों को प्रोत्साहनदेने के लिए सरकार ने 6300 करोड़ रुपए के एक नएप्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस संशोधित योजना के तहत 3 नए शिक्षा एवंप्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने का निर्णय किया है जिसके तहत जिला शिक्षाएवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन एण्ड ट्रेनिंग तथाइंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी इन एजुकेशन की स्थापना तथावर्तमान में मौजूदइन संस्थानों को स्पेशल दर्जा दिए जाना आदि शामिल है।
इस योजना मेंब्लाक इंस्टीट्यूट आफ टीचर एजुकेशन की स्थापना केलिए 196 ऐसे जिले चुने गयेहैं जहां एससी,एसटी तथा अल्पसंख्यक कीसंख्या अधिक है। उत्तर प्रदेश के तीनजिले भी इस योजना में शामिल किये गये हैं। ये सभी प्री-सर्विस टीचर एजुकेशनइंस्टीट्यूट होंगे। इसकेअलावा एनसीटीई ने इन 13 राज्यों को अनुमति दी हैकि सेवारत 5 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों की दूरस्थ पद्धति के तहत प्रशिक्षणदें। इस समय सर्वशिक्षा अभियान योजना के तहत राज्यों तथा केन्द्र शासितराज्यों को 19.82 लाख शिक्षकों की भर्ती की जायेगी। ऐसे अकेले लगभग 1.20 लाखशिक्षक उत्तर प्रदेश में हैं। एनसीटीई ने सभी खाली शिक्षकों के पदों कोभरने की अनुमति दी है।