पुलिस ने बनाया आई जी के आश्वासन को ‘झूठा झांसा’

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FARRUKHABAD : लालच और राजनैतिक दबाव के आगे पुलिस के लिये डीआईजी जैसे वरिष्‍ठ अधिकारी द्वारा जनता और प्रेस के सामने दिये गये ‘आश्‍वासन’ की कीमत भी ‘झूठे झांसे’ से अधिक नहीं होती। उदाहरण के तौर पर वह मासूम-अनाथ आज भी अपने पिता के हत्यारोपियों को पकड़ने के इंतजार में टकटकी लगाये हैं, मृतक आरटीआई एक्‍टिविस्‍ट आनंद राजपूत की विधवा आज भी फर्जी शिक्षकों के एक[bannergarden id=”8″] गिरोह द्वारा पति की दिन दहाड़े हत्‍या का दर्द अपने कलेजे में छिपाये पुलिस की लचर कार्यप्रणाली पर आंसू बहा रही है। वहीं गढ़िया ढिलावल स्कूल ढहने से घायल हुए आधा दर्जन से अधिक बच्चों के परिजन आज भी पुलिस से न्याय की आस लगाये हैं। सोनिया किन्नर के घर में हुई लाखों की चोरी का खुलासा न हो पाने से किन्नर समाज में भी आक्रोष व्याप्त है। लेकिन पुलिस है कि इन मामलों में फिलहाल कुछ बोलने तक को तैयार ही नहीं है। विगत 19 मार्च को यहां दौरे पर आये आई ने इन घटनाओं के खुलासे के लिये दस दिन का समय दिया था। लेकिन पुलिस है कि आई जी के आश्वासन को भी झूठ का झांसा किये बैठी है।

जनता का स्‍थानीय नेताओं के दबाव के नीचे कसमसाते ओर ओहदे पर जमे रहने या अन्‍य तुच्‍छ लालचों में फंसे छोटे अधिकारियों से तो कब का विश्‍वास उठ चुका है। परंतु अब तो स्‍थिति यह है कि वह पुलिस के वरिष्‍ठ अधिकारियों तक पर भरोसा कैसे करे और क्यों।

एक तरफ पुलिस अपना गुडवर्क करने के चक्कर में 45 लाख की हीरोइन की जगह नींद की गोली डायजीपाम पीस कर नामी परिवार को दागदार कर देती है और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा इस फर्जी गुडवर्क में इनाम भी झटका जाता है। लेकिन जब इसी घटना की सच्‍चई का खुलासा प्रयोगशाल रिपोर्ट कर देती है तो किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

मामला विगत 7 फरवरी को मोहम्मदाबाद के रामनगर कुड़रिया में तैनात प्रधानाध्यापक व आरटीआई एक्‍टिविस्‍ट आनंद प्रकाश को दिन दहाड़े तीन अज्ञात बदमाशों द्वारा गोली मारकर मौत के घाट उतारने का या 15 फरवरी को कमालगंज थाना क्षेत्र के ग्राम भोजपुर निवासी पूर्व प्रधान सोनिया किन्नर के घर लाखों रुपये की चोरी का हो या 26 जनवरी को गढ़िया स्कूल के छज्जे के गिरने पर बच्चों के घायल होने का, तीनो मामलों में पुलिसिया खेल ढंग से चला।

आनंद हत्याकाण्ड को तीन माह का समय बीत चुका है। निरीक्षण को आये आई जी ने घटना के सम्बंध में 10 दिन के अंदर खुलासा करने का आश्वासन दिया था तो वहीं सोनिया किन्नर चोरी का खुलासा न होने पर किन्नर समाज कई दिनों तक कलेक्ट्रेट में जिला पूर्ति कार्यालय के बाहर अनशन पर बैठ गया था। इसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक व एडीएम के आश्वासन के बाद किन्नरों ने अनशन समाप्त किया था। पुलिस अपनी चाल में कामयाब हो गयी थी। उसे किसी तरह से किन्नरों को हटाना था। किन्नरों के लाख कहने के बावजूद भी खुलासे की तिथि पुलिस ने लिखकर नहीं दी। वल्कि मौखिक रूप से ही किन्नरों को अनशन तोड़ने के लिए मनवा लिया था। वहीं 26 जनवरी को गढ़िया ढिलावल के विद्यालय का छज्जा भरभराकर गिर जाने के बाद आधा दर्जन छात्र छज्जे में दबकर घायल हो गये थे। घटना पर मंत्री नरेन्द्र सिंह कार्यवाहक जिलाधिकारी आई पी पाण्डेय भी बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और प्रधान व भवन प्रभारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। मामले के विवेचक एसआई कृष्ण कुमार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को 120 बी का मुल्जिम बनाने की बात कुछ समय पूर्व कही थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी के अलावा भवन प्रभारी, प्रधान, जेई आदि लोगों को भी घटना के सम्बंध में दोषी बनाये जाने की जानकारी दी गयी थी। लेकिन पुलिस अभी भी पूरे मामले पर पर्दा डाले हुए है। तीनो घटनाओं में पुलिस ने जिस तरह का रोल अदा किया वह खाकी के ख्यालों को उजागर करता है।

आनंद हत्‍याकांड के मुख्‍य आरोपियों के तार सपा नेताओं से जुड़े होने के चलते पुलिस उन पर कार्रवाई करने से बच रही है। हत्‍याकांड की एफआईआर में स्‍पष्‍ट रूप से फर्जी शिक्षकों के विभागीय कर्मचारियों के साथ गठजोड़ का उल्‍लेख किया गया था। इसके बावजूद आज तक पुलिस ने तो बेसिक शिक्षा अधिकारी से फर्जी शिक्षकों से संबंधित पत्रावलियां लीं और न ही आरोपी मुन्‍ना-भाइयों पर शिकंजा कसा। यूं तो पुलिस शूटरों तक की जानकारी का दावा करती है, परंतु कार्रवाई के नाम पर मात्र एक महिला शिक्षा मित्र की गिरफ्तारी के बाद चुप्‍पी साध कर बैठी है।

गढिया विद्यालय मामले की जांच में जिस दरोगा ने जांच रिपोर्ट तैयार की है उस पर अब मुख्‍य आरोपी को बचाने के लिये पुलिस विभाग के ही कुछ अधिकारी दबाव बनाये हुए हैं। बताते हैं कि घूस और कमीशनखोरी के मकड़जाल में फंसी परिषदीय विद्यालयों की भवन निर्माण प्रक्रिया में बेसिक शिक्षा अधिकारी के अलावा कई अ्रन्‍य अधिकारी भी फंसते नजर आ रहे हैं। परंतु पुलिस जांच रिपोर्ट को दाबे बैठी है।

सोनिया किन्‍ना के घर पर हुई चोरी के मामले में भी पुलिस सपा नेताओं के  दबाव में आरोपियों पर शिकंजा कसने की हिम्‍मत नहीं कर पा रही है।

कानून व्यवस्था की दुहाई सपा सरकार भले ही दे रही हो लेकिन जब आई जी के आश्वासन को भी पुलिस फुटबाल बनाकर खेलने लगे तो यह एक गंभीर स्‍थित मानी जायेगी। आखिर आम जनता अब किससे गुहार लगाये और किस पर भरोसा करे।

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