कभी मंत्री नरेन्द्र सिंह के पिता भी रिक्शे से जाते थे आई जी भारत सिंह के यहां

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FARRUKHABAD : पुलिस व सेना दोनों के लिये एक से प्रेरणाश्रोत रहे पूर्व आई जी भारत सिंह का सेवाकाल अपने आप में बहुत ही रोचक रहा। राजनीति से दूर अच्छी सोच और देश सेवा का भाव उस समय सुरक्षाकर्मियों के लिए बहुत मायने रखता था। ईमानदारी, वफादारी कूटकूट कर भरी होती थी और वह उनके रहन सहन और क्रिया bharat singh file photoकलापों से साफ झलकती थी। आज जहां एक एक सूबे का मंत्री लाल बत्ती की गाड़ियों की पूरी फौज लेकर सड़कों पर चलते हैं। तब ऐसा नहीं था। उस समय एम पी, एमएलए तक रिक्शे से चला करते थे। सपा सरकार के मौजूदा राज्य मंत्री नरेन्द्र सिंह के पिता राजेन्द्र सिंह यादव भी भारत सिंह से मिलने रिक्शे से जाया करते थे। इस बात का खुलासा पूर्व आई जी भारत सिंह के बड़े पुत्र रिटायर्ड मेजर जनरल पुष्कर यादव ने किया।[bannergarden id=”8″]

श्री पुष्कर ने अपने पिता पूर्व आई जी भारत सिंह यादव के सेवाकाल के विषय में बताया कि उस समय पुलिस पर पूरी तरह से स्वतंत्रता थी और पुलिस निर्भीक होकर अपना काम करती थी। मंत्री विधायक, एमपी एमएलए, एसपी व थाना कोतवालियों तक ही सीमित थे वह भी बहुत ही कम मायने में। मोबाइल चला नहीं करते थे। फोन थे वह भी पुराने स्‍टाइल के। जिनके माध्यम से उच्च अधिकारियों तक बात होती थी वह भी सीमित दायरे में। पुलिस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं हुआ करता था। लेकिन श्री पुष्कर ने वर्तमान समय में पुलिस की स्थिति पर अपने विचार पत्रकारों को puskarबताते हुए कहा कि इस समय पुलिस मंत्रियों और नेताओं के दबाव में है। [bannergarden id=”11″] किसी भी  अपराधी को पकड़ने के बाद मंत्री और नेता पुलिस पर दबाव बनाकर उसे छोड़ने के लिए कहते हैं। राजनीति के इस दौर में पुलिस के कार्य में सबसे बड़ी रुकावट राजनीति ही है।

उन्होंने स्व0 भारत सिंह के शासनकाल की कुछ धूमिल यादों को ताजा करते हुए कहा कि उस समय जब सन 1958-59 में वह बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे, तब उनसे मिलने तत्कालीन जनपद के एमपी रामसेवक उनसे मिलने बंगले पर पहुंचे थे। तभी उनके पिता के बंगले पर पला कुत्ता एम पी रामसेवक पर दौड़ पड़ा। जैसे तैसे एम पी साहब को सुरक्षाकर्मियों द्वारा बचाया जा सका। बाद में पता चला कि वह जनपद के एम पी हैं।

उन्होंने बताया कि जनपद में वर्तमान में मंत्री नरेन्द्र सिंह के पिता राजेन्द्र सिंह भी रिक्शे के द्वारा उनके अक्‍सर अपने संबंधों के चलते पिता से मिलने के लिए जाया करते थे। लेकिन अब समय बदल गया है। राजनीति पुलिस पर हावी है। इस विषय में उन्होंने कहा कि ज्यादा जानकारी तो वह नहीं दे सकते क्योंकि पिता के समय में ही वह सर्विस में चले गये थे। लेकिन जो समय पिता के साथ गुजारा वह आज भी उनके जीवन के लिए आदर्श है। पिता की चिता को मुखाग्नि देने के बाद श्री पुष्कर नम आंखों से पिता को देखते रहे। मामला कोई भी हो लेकिन पुलिस और आर्मी के लिए एक मिसाल, पूर्व आई जी जो सिपाही से लेकर आई जी तक का सफर तय करके वर्तमान में युवाओं और सेना में रुचि रखने वालों को एक नया पैगाम दे गये।