उत्तर प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। लखनऊ में आज हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश में 3000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। कैबिनेट ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए टेट की अनिवार्यता हटाकर परीक्षा के नए फार्मूले के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया। अब प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इसी फार्मूले के तहत परीक्षा कराई जाएगी।
प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ‘मोअल्लिम-ए-उर्दू’ उपाधि धारकों को उर्दू शिक्षक बनाने के लिए नया फार्मूला खोजा था। इस फार्मूले के तहत टीईटी की तर्ज पर उनकी अलग से परीक्षा कराई जाएगी। यह परीक्षा 150 अंकों की होगी और इसमें भाषा के साथ सामान्य ज्ञान व उर्दू से संबंधित प्रश्न होंगे। इसमें गणित और अंग्रेजी के प्रश्न नहीं होंगे। परीक्षार्थियों को इसमें उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 60 अंक प्राप्त करने होंगे।
जबकि केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू होने के बाद बेसिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि उत्तपर प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए यह रोड़ा बनी हुई थी। प्रदेश में उर्दू शिक्षक के 2911 पद खाली हैं। सरकार इन पदों पर मोअल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय से अध्यापन में डिप्लोमा प्राप्त अभ्यर्थियों को रखना चाहती है। इसके लिए 11 अगस्त 1997 से पहले वालों को पात्र माना गया है। इन अभ्यर्थियों के लिए टीईटी समस्या बनी हुई थी।
प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की भर्ती कराने के लिए मोअल्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राकेश गर्ग से मुलाकात भी की थी। उन्होंने राकेश गर्ग को टीईटी के समकक्ष परीक्षा कराने का सुझाव दिया था।