अफजल केस में SC की टिप्‍पणी के बाद शिंदे पर हत्‍या का मुकदमा चलाने की मांग

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नई दिल्ली : राष्‍ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज कर दिये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार शाम आठ दोषियों की फांसी पर चार हफ्ते तक के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्‍ख टिप्‍पणी करते हुए कहा कि अफजल गुरु केस जैसी गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जिन 8 दोषियों की फांसी पर रोक लगाई है उनकी दया याचिका राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी हफ्ते खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोट्र की टिप्‍पणी के बाद कई संगठनों ने अब कंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे पर अफजल गुरू की हत्‍या का मुकमदा चलाने की मांग कर दी है।

Supreme Courtपीपल यूनियन डेमोक्रेटिक राइट्स नाम के एक एनजीओ ने दया याचिका खारिज किये जाने के बाद फांसी पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जस्टिस सदाशिवम के घर पर सुनवाई के दौरान सीनियर वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली उस बेंच का उदाहरण दिया जिसने चंदन तस्कर वीरप्पन के 4 सहयोगियों की फांसी पर रोक लगा दी थी। जस्टिस सदाशिवम और जस्टिस इकबाल की बेंच ने इस आधार पर भी इस याचिका पर विचार किया कि क्या इनके परिजनों को इसकी पुख्ता सूचना दी गई है कि राष्ट्रपति ने इनकी दया याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सदाशिवम और जस्टिस इकबाल की बेंच ने कहा कि हम यह नहीं चाहते कि अफजल केस की गलती फिर से दोहराई जाए।

गौरतलब है कि भारतीय संसद पर हमले के मामले में दोषी अफजल गुरु को बेहद गोपनीय तरीके से तिहाड़ जेल के अंदर ही फांसी दे दी गई थी और तिहाड़ में ही दफना दिया गया था। अफजल के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उन्‍हें फांसी की कोई सूचना नहीं दी गई थी। केंद्र सरकार ने अफजल के परिजनों का आरोप खारिज करते हुए कहा था कि फांसी के बारे में सूचना स्‍पीड पोस्‍ट के जरिए दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्‍पणी के बाद अब कई संगठन अफजल गुरू की फांसी को मुद्दा बना कर केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पर हत्‍या का मुकदमा चलाये जाने की मांग कर रहे हैं।

मालूम हो कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फांसी की सजा पाए 9 गुनहगारों की दया याचिका पर इसी हफ्ते फैसला सुनाया था। ये सभी 9 मुजरिम सात अलग-अलग मामलों में दोषी पाए गए थे। इनमें से एक धर्मपाल नाम का शख्स हरियाणा में रेप और हत्या का दोषी है। राष्ट्रपति ने सात अलग-अलग मामलों में से पांच केस में 7 लोगों की फांसी की सजा बरकरार रखी, जबकि दो मामलों में फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया।