बीसी के करोड़ों रुपये लेकर व्यापारी रफूचक्कर, परिजनों ने झाड़ा पल्ला

Uncategorized

FARRUKHABAD : शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला शिवनगर निवासी एक खरबूज के बीज का व्यापारी बीसी के करोड़ों रुपये लेकर रफूचक्कर हो गया। बकायेदारों को जब इस बात की भनक लगी तो लोगों का आना उसके घर पर शुरू हुआ। लोग तब भौचक्के रह गये जब उन्हें पता चला कि व्यापारी अपना houseमकान बेचकर भाग गया है। मामले की सूचना बकायेदार पुलिस को देने से बच रहे हैं।

व्यापारी अमरीश गुप्ता उर्फ नन्हूं पुत्र रामप्रकाश गुप्ता अपना मकान बनाकर आईटीआई के निकट स्थित शिवनगर कालोनी में अपने बीबी बच्चों के साथ रह रहा था। जो खरबूज के बीज की खरीद फरोख्त करने का कारोबार वर्षों से कर रहा है। उसके पास दूर दराज से लोग खरबूज का बीज खरीदने व बेचने के लिए आते थे। उनका लेनदेन भी नन्हूं का था। इसी दौरान उसने शहर के दर्जनों लोगों के साथ मिलकर बीसी का पैसा इकट्ठा किया और मौका देखकर मकान बेचकर रफूचक्कर हो गया। इस बात की जानकारी जब लोगों को हुई तो वह तगादे के लिए उसके मोहल्ले में पहुंचे। मकान में ताला लटका देख उन्हें पता चला कि नन्हूं ने मकान पल्ला निवासी किसी व्यक्ति को बेच दिया है। नन्हूं पर राकेश सक्सेना, सुनील गुप्ता, संतोष पुत्र रामभरोसे, विवेक पुत्र रामभरोसे, सुनील पुत्र fraudभंवरपाल निवासी गुरसहायगंज तिराहा कन्नौज ने बताया कि उन लोगों के खरबूजे के बीज के पैसे अमरीश गुप्ता उर्फ नन्हूं पर बकाया थे। संतोष के एक लाख 20 हजार, विवेक के दो लाख रुपये अमरीश पर बकाया थे। जिनको लेने के लिए तीनो दोपहर बाद अमरीश गुप्ता के घर पहुंचे।

[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]

पता चला कि अमरीश बीबी बच्चों को लेकर कहीं रफूचक्कर हो गया है। मामला सुनते ही बीसी धारकों ने उसके रेलवे रोड स्थित पैत्रक आवास पर जानकारी लेने पहुंचे। नन्हूं के पिता रामप्रकाश ने बताया कि उन्हें इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है और न ही नन्हूं यह बताकर गया है कि उसे जाना कहां है। नन्हूं मूलरूप से चार भाई हैं। पहला भाई विजय गुप्ता श्यामनगर में खरबूजे के बीज की फैक्ट्री लगाये है। दूसरे नम्बर का अजय अपने सबसे छोटे भाई जितेन्द्र के साथ बजरिया में बीज छीलने का प्लांट लगाये है। नन्हूं अपना कारखाना शिवनगर कालोनी में ही लगाये था। नन्हूं के पिता रामप्रकाश के अनुसार उसे इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है। मजे की बात तो house1यह है कि जिन पीड़ितों का पैसा नन्हूं के घर गया वह खुद ही न तो पुलिस को सूचना दे रहे हैं और न ही मामले को खोलना चाह रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि फरार अमरीश गुप्ता को वह लोग खुद ही ढूंढ निकालेंगे।