FARRUKHABAD : विकासखण्ड बढ़पुर के ग्राम गढ़िया में निर्माणाधीन भवन का छज्जा गिरने से विगत गणतंत्र दिवस को हुए हादसे की एफआईआर के क्रम में पुलिस जांच पूरी हो गयी है। पुलिस की जांच में भवन प्रभारी प्रदीप सेंगर व ग्राम प्रधान वेदराम के अलावा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित कई अन्य विभागीय अधिकारियों की गर्दन भी फंसती नजर आ रही है। लगभग तीन महीने चली तफ्तीश के बाद पूरी हुई जांच में फंस रहे कई अभियुक्त अब वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों के माध्यम से जांच अधिकारी पर दबाव बनाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
विदित है कि विगत 26 जनवरी को झण्डारोहण के समय[bannergarden id=”8″] विद्यालय के निर्माणाधीन नवीन भवन का छज्जा भरभराकर ढह गया था। जिसमें कई मासूम छात्र घायल हो गये थे। हादसे के बाद घटना स्थल पर पहुंचे जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ग्रामीणों के भीषण जनाक्रोष को देखते हुए आनन फानन में घटना की एफआईआर करा दी गयी थी। लगभग तीन माह तक चली तफ्तीश के बाद आखिर जांच ने विद्यालय भवन निर्माण के नाम पर बेसिक शिक्षा विभाग में चल रहे गोरख धन्धे की बखिया उधेड़ कर रख दी है। हद तो यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पुलिस की जांच को प्रभावित करने की नियत से विभागीय अभिलेख उपलब्ध कराने तक में आनाकानी करते रहे। जांच में भवन निर्माण प्रभारी प्रदीप सेंगर व ग्राम प्रधान वेदराम के अलावा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल, खण्ड शिक्षा अधिकारी प्रवीन शुक्ला व प्रभारी जिला समन्वयक भवन निर्माण एस एन मिश्रा की गर्दन भी फंसती नजर आ रही है।
जांच अधिकारी उपनिरीक्षक रामकिशन सिंह ने बताया कि भवन निर्माण के नाम पर निकाली गयी धनराशि में से आठ लाख 40 हजार रुपये के बाउचर तक उपलब्ध नहीं है। जोकि स्पष्ट रूप से शासकीय धन के गबन का मामला है। इसके अतिरिक्त भवन निर्माण में उपयोग की जाने वाली सरिया 11 सेमी के स्थान पर 7.5 सेमी की ही डाली गयी। भवन निर्माण में तृतीय श्रेणी की ईंटों का उपयोग किया गया व प्लास्टर भी मानक के अनुरूप नहीं पाया गया। उन्होंने बताया कि आरोपियों के विरुद्व 409, 420, 288 आईपीसी के अलावा 338, 337 व लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम में चार्जशीट दाखिल की जा सकती है।
उन्होंने किसी विभागीय अधिकारी द्वारा यद्यपि किसी आरोपी के विषय में किसी प्रकार का दबाव बनाये जाने से इंकार किया है। इसके बावजूद उन्होंने माना कि अभी चार्जशीट दाखिल किये जाने से पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श किया जाना शेष है।
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