FARRUKHABAD : उत्तर प्रदेश में चल रही 72000 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के मामला अभी हाईकोर्ट में और लम्बा खिंचता दिखायी दे रहा है। बीएड बेरोजगारों को अभी शिक्षक पद पर भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। जानकारी के अनुसार सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल बतायी गयी है। नान टेट वाले 12 अप्रैल को जबाव देंगे।
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता मुद्दे पर गठित इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने राज्य सरकार व याची अधिवक्ताओं से 12 अप्रैल तक लिखित बहस दाखिल करने की छूट दी है। मामले की सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल नियत की गयी है।
शिव कुमार शर्मा की याचिका पर संदर्भित विधि प्रश्नों की सुनवाई न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ कर रही है। कोर्ट के समक्ष प्रश्न यह है कि सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति बिना टीईटी पास किये हो सकती है या नहीं। बीएड डिग्रीधारी को भी नियुक्ति का अवसर मिलेगा या नहीं तथा नियुक्ति मानक क्या क्वालिटी मार्क होगा या उसमें टीईटी के अंक भी शामिल होंगे। इस पर फैसले के बाद 72 हजार से अधिक अध्यापकों की नियुक्ति का रास्ता खुल सकेगा।
उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्ष से मात्र 72 हजार शिक्षकों की भर्ती पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। लेकिन प्राइमरी स्कूलों का हाल किसी को शायद दिखायी नहीं दे रहा है, जहां गरीब व बेसहारा बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन ग्रामीण इलाकों में स्थित प्राइमरी स्कूलों में सरकार द्वारा 1 अप्रैल से भले ही शिक्षा का अधिकार अधिनियम पूर्णतः लागू किये जाने की घोषणा कर दी हो लेकिन उसके लिए तैयारियां मात्र कागजों पर ही हैं। हकीकत में प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में शिक्षक नहीं है। प्रदेश शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। सरकार द्वारा बीएड पास अभ्यर्थियों से आवेदनों के नाम पर मोटी फीस तो गटक ली गयी लेकिन भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर अदालती कार्यवाही में उलझ गयी।
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पूर्व में रही प्रदेश की बसपा सरकार ने 2011 में टीईटी परीक्षा करायी। उस समय सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि टीईटी परीक्षा के आधार पर ही शिक्षकों की भर्ती की जायेगी। जिसके लिए शिक्षक नियमावली में संशोधन कर भर्ती प्रक्रिया अंतिम दौर तक पहुंच गयी। लेकिन सरकार बदलने के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने पिछली पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दोबारा आवेदन मांग लिये। अब सरकार बदलने के साथ ही बीएड बेरोजगार अभ्यर्थी लुट रहे हैं और अदालत की वाट जोह रहे हैं। आखिर कब होगा बीएड बेरोजगारों के साथ न्याय? यह प्रश्न बरोजगारों के मन में रात दिन कौंध रहा है।