FARRUKHABAD : होली आते ही रंगबिरंगी चाइनीज पिचकारियों व विभिन्न प्रकार के रंगों व गुलाल से बाजार पट चुका है। महंगाई की मार कुछ इस कद्र हावी है कि लोग बजारों में कुछ खास चीजें ही खरीदने के लिए आ रहे हैं, पिछले त्यौहारों की तरह ज्यादा भीड़भाड़ देखने में नहीं आ रही है। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों की ढील के चलते मिलावटखोरों की भी बल्ले बल्ले नजर आ रही है। सिंथेटिक खोया बाजार में कुन्तलों इकट्ठा किया जा चुका है लेकिन प्रशासन के किसी भी अधिकारी को जनता की परवाह नहीं है, लोगों को इसी सिंथेटिक खाये से ही शायद होली की गुझिया का स्वाद चखना पडे़गा।
हिन्दू संस्कृति के अनुसार फाल्गुन माह में होने वाले पवित्र त्यौहार होली का बच्चों को बेहद इंतजार होता है। इंतजार हो भी क्यों नहीं बच्चों को रंगबिरंगी पिचकारी, टोपियां, खिलौने जो मिलने हैं। बच्चों की जरूरतों को भांपते हुए बाजार में दुकानदारों ने तरह तरह की पिचकारियां सजा रखी हैं। जिनमें हंश वाली व बंदूक वाली पिचकारी बच्चों को काफी लुभा रही है। वहीं बाजार से देशी पिचकारियां बाहर हो चुकी हैं। चाइनीज पिचकारी ही बच्चों को लुभाने के साथ-साथ कम कीमत होने के कारण अभिभावकों की भी पसंद बनी हुई हैं।
इसके साथ ही बाजार में बिकने वाले रंगों में अधिकतर रंग सिंथेटिक है। जिसमें घटिया पाउडर इत्यादि चीजें मिलाकर रखी गयी है। यह रंग गुणवत्ता पूर्ण न होने के साथ ही त्वचा के लिए भी बेहद हानिकारक हो सकता है। बाजार में खुला बिकने वाले गुलाल में भी दुकानदार मिलावट करने से नहीं चूक रहे हैं। होली के हुड़दंग में हर कोई अच्छी कमाई कर लेना चाहता है।
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लोगों की उपयोगिता को भांपते हुए चौक स्थित खोया बाजार में खोये आढ़तियों के यहां कुन्तलों खोया अभी से ही इकट्ठा कर लिया गया है। इस खोये में अधिकतर खोया मिलावटी या सिंथेटिक है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को न जाने इन खोये व्यापारियों से क्या साठगांठ हो जाती है कि उन्हें खोये का सेम्पुल तक भरवाने की फुर्सत नहीं मिलती। जिससे अब तो यही लगता है कि इस होली पर भी लोगों को नकली व सिंथेटिक खोये से बनी गुझिया ही खानी पड़ेगी।
महंगाई के चलते बाजार में भी पहले की तरह इस बार रौनक नहीं दिख रही है। होली मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में होने के कारण इस बार माना जा रहा है कि बाजार में ग्राहकों की रौनक कुछ कम रहेगी।