FARRUKHABAD : बड़ी पुरानी कहावत है कि अक्ल बड़ी या भैंस? इस बात का जबाब तो कभी ठीक से नहीं मिला अलबत्ता नमूने जरुर मिल जाते है| और खड़े कर जाते है कई सवाल| मिस फर्रुखाबाद का तमगा हासिल करने वाली मोहतरमा ये नहीं जानती कि चंद्रशेखर आजाद कभी जिंदा अंग्रेजो की पकड़ में नहीं आये| मिस फर्रुखाबाद ने आज चौक में शहीदों को नमन करते हुए भगत सिंह के साथ चन्द्र शेखर आजाद और खुदीराम बोस को भी आज के ही दिन फांसी पर चढ़ना बता डाला| ये कहकर उन्होंने उस संस्था की उस चयन समिति के सदस्यों को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया जिसने उन्हें मिस फर्रुखाबाद का तमगा थमाया है|
इन दिनों शहर में समाज के लिए काम करने के लिए नहीं वल्कि अखबारों में तस्वीरें छपवाने का दौर बखूबी जारी है। जहां कहीं कहीं तो फोटो शेशन में भी चंद लोग ही जुटते हैं और कैमरा कवर में आने के बाद वह लोग भी दिखायी नहीं देते। इंतजार समस्या के समाधान का नहीं होता वल्कि समाचार पत्रों के कैमरामैनों का होता है। कैमरे का फ्लैश पड़ने के बाद जैसे ही तस्वीर कैमरे के अंदर हुई आंदोलन और श्रद्धांजलि समारोह की चटाई समिट जाती है। देर शाम चौक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंची साथ में उनकी चार सहयोगी ही थीं। लेकिन मिस फर्रुखाबाद शहीदों के नाम तक नहीं बता सकीं। पूछने पर अपनी अन्य सहयोगी से ही नाम पूछे तो बताये कि आज के दिन देश सेवा करते हुए भगत सिंह के साथ चन्द्रशेखर आजाद और खुदीराम बोस को फांसी पर लटका दिया गया था। यह वाकया सुनकर आसपास खड़े लोग मुहं दबाकर हंसने लगे।
विदित है कि २३ मार्च १९३१ को अंग्रेजी सरकार ने महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को जेल के अंदर एक साथ फांसी की सजा दी गयी थी। उन शहीदों के पार्थिव शरीर तक को अंग्रेजों ने परिजनों को नहीं सौंपा था। उनके बलिदान की आज के दौर में युवाओ में क्या पहचान है, इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिल गया है। जब २०१३ की मिस फर्रुखाबाद चुनी गयीं दिव्या यादव ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मीडियाकर्मियों को बुलाया। चौक पर एकत्रित हुई युवतियों के साथ मिस फर्रुखाबाद दिव्या यादव भी पहुंची। तभी मीडियाकर्मियों ने दिव्या से पूछ दिया, क्योंकि उनके द्वारा जारी किये गये प्रेसनोट में भी शहीदों के नाम नहीं लिखे थे। पूछने पर दिव्या यादव ने पहले तो इस सम्बंध में जानकारी होने के विषय में ही सर हिला दिया। बाद में दोबारा पूछने पर अपनी सहयोगी साथी से नाम पूछे। जिस पर उनका जबाव था कि आज के दिन भगत सिंह के साथ चन्द्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस को फांसी पर लटकाया गया था। यह जबाव सुनकर मीडियाकर्मी तो भौचक्के हुए ही, साथ में इस बातचीत को सुन रहे अन्य लोग भी भौचक्के रह गये और भगत सिंह के बलिदान व उनकी देशभक्ति की दुर्दशा भी सामने आ गयी।
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अब इसे फोटो शेशन या अखबार में छपने का शौक नहीं तो क्या कहेंगे कि जिन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा किया गया वही लोग श्रद्धांजलि देने वालों का नाम तक नहीं बता सके। उनकी जगह पर चन्द्रशेखर आजाद व खुदीराम बोस को फांसी पर लटका दिया।
इस दौरान सुरभि गोस्वामी के अलावा रवीना श्रीवास्तव, मुस्कान अग्नहोत्री, सपना अग्निहोत्री, अभिषेक श्रीवास्तव, राहुल, आदेश आदि युवक, युवतियां मौजूद रहे।