लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खां ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अनोखा अभियान छेड़ दिया है। उन्होंने अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की मिल रही शिकायतों से निपटने के लिए नया आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के नगर विकास व अल्पसंख्यक कल्याण विभागों और इनसे जुड़ी अन्य संस्थाओं के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनी और अपने ऊपर आश्रित बेटे, बेटियों, पत्नी की चल-अचल संपत्ति व बैंक में जमा धनराशि और अन्य बेनामी संपत्ति का पूरा ब्यौरा एक घोषणापत्र के साथ अनिवार्य रूप में 15 दिन के अंदर उनके सामने प्रस्तुत करना होगा। आजम ने इस आदेश से सिर्फ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अलग रखा है। आदेश में साफ किया गया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी ऐसा नहीं करेंगे, उन पर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा, बस उनके संबंध में जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा को लिख दिया जाएगा।
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आजम ने यह आदेश प्रमुख सचिव, नगर विकास एवं सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण को भेजे हैं, साथ ही इसकी प्रति उन्होंने मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को भी भेजी है। नगर विकास मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि समाज व सामाजिक व्यवस्था में बढ़ते हुये भ्रष्टाचार का कोई संज्ञान ले या न ले लेकिन उनका यह दायित्व है कि वह अपने विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के आचरण का संज्ञान लें। उन्होंने लिखा है कि चुनाव के समय सभी प्रत्याशियों के लिए अपनी चल-अचल सम्पत्ति का पूरा विवरण देना अनिवार्य है और उन्होंने स्वयं भी अपनी चल-अचल सम्पत्ति घोषित की है। उन्होंने लिखा है भ्रष्ट आचरण के चलते विभागों की छवि खराब हो रही है, इसलिये जरूरी है कि सभी विभागीय अधिकारियों द्वारा अपनी सभी चल-अचल सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा घोषित किया जाये।
गौरतलब है कि आजम खां ने चुनाव के दौरान नामांकन पत्र के साथ जो शपथ पत्र दाखिल किया, उससे पता चला कि वह पौने दो करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। पता चला कि उन्होंने 2007 के चुनावों में संपत्ति घोषित की थी, उसमें इजाफा नहीं हुआ। हां, कीमत जरूर बढ़ गई। पहले उनकी यही संपत्ति की कीमत 86.50 लाख रुपये थी जो अब बढ़कर 1.75 करोड़ रुपये है।
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