FARRUKHABAD : प्रदेश में की जा रही अनुदेशकों के 41 हजार पदों पर भर्ती के लिए अभी आवेदन भी पूरे नहीं हो पाये थे कि मामला न्यायालय में फंसता दिखायी दे रहा है। जबकि न्यायालय में पहले से ही प्रदेश के बेसिक स्कूलों में की जा रही 72 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया फंसी हुई है। जिससे प्रदेश के नौजवान बेरोजगार व टीईटी, बीएड प्रशिक्षित प्रदेश सरकार को पानी पी पी कर कोसते दिखायी दे रहे हैं।
बेरोजगारों का मानना है कि सच तो यह है कि सरकार शिक्षकों की भर्ती को जान बूझकर लटकाना चाहती है। यही बजह है कि अनुदेशक भर्ती के लिए विभाग की ओर से जारी किये गये विज्ञापन को ही स्पष्ट नहीं किया गया। विज्ञापन मे कई जानकारियां भ्रमित करने वाली रहीं। योग्यता से सम्बंधित जानकारियों को लेकर लोग एक दूसरे से पूछते भटकते दिखायी दिये तो वहीं उम्र को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी है। इसके साथ ही मैरिट को लेकर भी स्थिति अभी तक विभाग की तरफ से स्पष्ट नहीं है।
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यदि प्रदेश लेवल की मैरिट तैयार करने के बाद तैनाती की जानी है तो निवास प्रमाणपत्र के आधार पर अपने ही ब्लाक में आवेदन करने की बाध्यता क्यों रखी गयी है। इतने सारे भ्रमों को लेकर अभ्यर्थी रामविजय यादव, सिद्धार्थ खरे व अन्य उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ न्यायालय चले गये। जिसके बाद न्यायालय ने भी अब तारीख पर तारीख देनी शुरू कर दी है। जिससे अब लगता है कि ७२ हजार प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती की तरह यह भी लटक सकती है। सोमवार को अनुदेशक भर्ती मामले में कोर्ट में सुनवाई की जानी थी लेकिन वादी पक्ष का ही वकील सोमवार को अनुपस्थित रहा। जिससे सुनवाई नहीं हो सकी। संभावना जतायी जा रही है कि अनुदेशक मामले में आज मंगलवार को सुनवाई की जायेगी। जिसके बाद ही पता चल सकेगा कि मामला कब तक सुलझ सकता है।