माया ही नहीं अखिलेश के भी चहेते हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी !

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naseemuddeen siddiqueलखनऊ। लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने 22 फरवरी 2012 को पूर्व मंत्री एवं बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और काले धन से प्रॉपर्टी खरीदने समेत कई आरोपों में दोषी पाया था। उनके खिलाफ सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय या भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ईओडब्ल्यू) से जांच कराने की सिफारिश भी की गई लेकिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर सरकार की मेहरबानी बनी हुई है। लोकायुक्त की रिपोर्ट के एक साल बाद भी उनके खिलाफ जांच शुरू नहीं हुई। सत्तारूढ़ दल तक के नेता सरकार के इस रुख पर हैरान हैं।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर लोकायुक्त की जांच के शिकंजे में फंसने वाले मायावती सरकार के दसवें मंत्री हैं। आठ पूर्व मंत्रियों पर या तो कार्रवाई हो चुकी है या जांच चल रही है लेकिन नसीमुद्दीन पर सरकार की मेहरबानी बनी हुई है। लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने नसीमुद्दीन को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, काले धन से प्रॉपर्टी खरीदने के आरोपों में दोषी पाया था| इसके अलावा लोकायुक्त ने नसीमुद्दीन की संस्था क्यूएफ शिक्षण संस्थान को पैसा देने वालों व दी गई राशि के स्रोत की जांच कराने के साथ ही उनकी पत्नी विधान परिषद सदस्य हुस्ना सिद्दीकी व परिवार के अन्य सदस्यों के नाम खरीदी गई संपत्तियों की भी विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की थी| पहली संस्तुति को 13 महीने बीतने को हैं लेकिन जांच शुरू नहीं हो सकी।
[bannergarden id=”8″]फिलहाल, सिद्दीकी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हैं। विधानसभा में पिछले दिनों कांग्रेस के विवेक सिंह ने जांच को लेकर मामला उठाया भी लेकिन उसे हंसी में उड़ा दिया गया। लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नसीमुद्दीन के विरुद्ध कार्यवाही की सिफारिश भी भेजी लेकिन अखिलेश ने उस पर ध्यान नहीं दिया| यह कहना गलत नही होगा कि आज भी प्रदेश के लोकायुक्त असहाय और दुर्बल हैं| लोकायुक्त जांच करने के बाद मुख्यमंत्री से कार्यवाही के लिए सिफारिश करते हैं और फिर इस बात का इन्तजार करते हैं कि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही हो| वह चाहकर भी किसी आरोपी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही कर सकते, सिर्फ जाँच तक ही उनके अधिकार सीमित हैं|
[bannergarden id=”11″]लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास नसीमुद्दीन पर कार्यवाही करने की सिफारिश भेजी लेकिन अखिलेश ने आज भी उस सिफारिश को उठा कर नहीं देखा कि लोकायुक्त ने अपनी सिफारिश में नसीमुद्दीन के लिए क्या लिखा है| गौरतलब है कि अखिलेश ने सत्ता की कमान संभालते हुए देश की जनता को यह वादा किया था कि वह भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपनी जंग जारी रखेंगे लेकिन सत्ता हाथ में आने के बाद वह अपने वादे से मुकर गए| यही वजह है कि आज भी नसीमुद्दीन जैसे आरोपी विलासिता का जीवन जी रहे हैं|

गौर करने वाली बात यह है कि बसपा कार्यकाल के छिटपुट मंत्रियों पर कार्रवाई तो की जा रही है लेकिन माया सरकार के दौरान सबसे ताकतवर और कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है| चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्र, अयोध्या पाल, अवध पाल सिंह जैसे कई मंत्रियों पर गाज गिर चुकी है और कुछ पर कार्रवाई की जा रही है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सरकार नसीमुद्दीन पर आकर खामोश हो जाती है| कहीं ऐसा तो नहीं है कि सपा सरकार को नसीमुद्दीन के जरिये किसी तरह का कोई फायदा मिल रहा है, जिसकी वजह से कार्रवाई नहीं की जा रही है|
[bannergarden id=”11″]सिद्दीकी पर बरती जा नरमी को प्रदेश की सियासत के गुणा-भाग से जोड़कर देखा जा रहा है। इसकी एक वजह प्रदेश सरकार के खिलाफ बसपा नेताओं के हमले की धार को कुंद बनाए रखना भी है। खैर, वजह चाहे जो भी हो, यह तो साफ़ हो चुका है कि चाहे प्रदेश में मुख्यमंत्री मायावती रहें या फिर अखिलेश, नसीमुद्दीन पर कोई कार्यवाही नहीं होने वाली|