बाबरी विध्वंस: आडवाणी एवं अन्य के खिलाफ सुनवाई अब दो अप्रैल को

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Adwaniअयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने की साजिश के आरोपों से लाल कृष्ण आडवाणी एवं 19 अन्य को मुक्त किए जाने के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील की सुनवाई उच्चतम न्यायालय अब दो अप्रैल को करेगा।

न्यायमूर्ति एल एच दत्तू और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने आज दोनों पक्षों की ओर से आग्रह किए जाने के बाद मामले की सुनवाई दो अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी.पी. राव ने खंडपीठ से कुछ सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। इसके बाद खंडपीठ ने प्रतिवादियों उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और अन्य, के वकील की राय जाननी चाही और दोनों पक्षों की सहमति के बाद इसकी सुनवाई की अगली तारीख दो अप्रैल मुकर्रर की।

सीबीआई ने अयोध्या के विवादित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद ढांचे को छह दिसम्बर 1992 को ढहाए जाने की साजिश के आरोपों से भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के कुछ प्रमुख नेताओं को मुक्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने इन नेताओं को आपराधिक साजिश रचने के आरोपों से मुक्त कर दिया था, जिस पर उच्च न्यायालय ने भी अपनी मोहर लगाई थी।

सीबीआई के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2011 में दायर इस अपील को छठी बार आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। विवादित ढांचा ढहाए जाने के आरोपों से मुक्त किए गए प्रमुख नेताओं में आडवाणी और कल्याण सिंह के अलावा, मुरली मनोहर जोशी, सुश्री उमा भारती, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगडिय़ा, पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णुहरि डालमिया और साध्वी रितम्भरा शामिल हैं।