टेट नामक जिन्न सन 2011 में बोतल से बाहर आया था| बोतल से बाहर आते ही इस जिन्न ने पिछले सभी जिन्नों को लोकप्रियता में पछाड़ कर लोकप्रियता के नये कीर्तिमान बनाये| उसकी शोहरत से ही प्रभावित होकर उ.प्र. सरकार ने उसको शिक्षक भर्ती का आधार बना दिया| चारो दिशाओ में टेट के ही गुणगान होने लगे| टेट की ऑफलाइन और ऑनलाइन कोचिंग शुरू हो गयी| चारो तरफ टेट ही टेट महिमा मंडित होने लगा| टेट की चादर, टेट का नारियल, टेट की चुनरी, टेट का घंटा, टेट का सिन्दूर, टेट की चूड़िया, टेट का कड़ा, टेट का ताबीज, टेट का गढ़ा जैसे शब्द धार्मिक चढ़ावा सामग्री निर्माताओं और विक्रेताओ ने खोज निकाले|
अलग अलग वर्ग के लोग अपने अपने शब्दों में उसका महिमामंडन करने लगे| उसको भगवान् का दर्जा दे दिया गया| शिक्षक बनने के इच्छुक बेरोजगारों ने मंदिरों में से गणेश जी, शिवजी, ब्रह्मा आदि सभी की मूर्तिया हटा कर टेट को स्थापित कर दिया गया| “जय टेट मेरिट” जैसे नारों से उसका जयगान होने लगा|
tetinian जैसे नए नए समुदायों का उदय हुआ| टेट की ये अभूतपूर्व सफलता उसके कुछ पूर्व स्थापित जिन्नों (अकादेमिक) को नागावार गुजरी| अपनी राजनैतिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उसने भर्ती पर स्टे हासिल कर सरकार का तख्ता ही पलट दिया| अपनी प्रभुता दिखाते हुए अकादमिक ने शिक्षक भर्ती का आधार भी बदलवा दिया| अकादमिक की इस कामयाबी से एक बार फिर नारों का स्वरुप बदला| चारो और “जय अकादमिक मेरिट ” शोर गूंजने लगा| लेकिन टेट भी टेट था इतनी जल्दी कैसे हार मानता उसने भी बी.एड. बेरोजगारों को नजर अंदाज कर भर्ती पर स्टे हासिल कर लिया| दोनों जिन्नों के बीच ये महा संग्राम आज भी जारी है| कोर्ट के साथ साथ सोशल नेटवर्किंग साईट के मैदान पर अस्त्र शास्त्र ब्रम्हास्त्र से tetinian और acdian एक दूसरे का खून बहा रहे है| दोनों भगवान् रूपी जिन्नों के अहम की जंग में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया लटक गयी है| लाखो बी.एड. बेरोजगारों का भविष्य अंधकार के गर्त में चला गया है| अखबारों में रोज कर्ज के बोझ से दबे बी.एड. बेरोजगारों के आत्महत्या करने की खबरे आ रही है और बचे हुए बी.एड. बेरोजगार सोशल साइट्स व् मीडिया में हो रहे धमाको के शोर में डरे सहमे अपनी सहनशीलता के अंतिम छोर को खोज रहे है…………..