FARRUKHABAD : बद्री विशाल महाविद्यालय में इतिहास विभाग की ओर से आयोजित वार्षिक संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति के प्रेरक प्रसंग, प्राचीन काल से अब तक व गांधी के बाद भारतीय इतिहास के अहिंसक आंदोलन विनोवा भावे के विशेष संदर्भ में गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें इतिहास का मंथन कर वक्ताओं ने युवाओं को ज्ञानामृत का रसपान करवाया।
कार्यक्रम में बोलते हुए प्राचार्य ए के सिंह ने आधुनिक भारतीय इतिहास एवं समकालीन भारतीय इतिहास के विभाजन बिन्दु पर गांधी को प्रतिष्ठित करते हुए उनके अध्यात्मिक उत्तराधिकारी विनोवाभावे एवं उनके भूदान आंदोलन पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने तेलंगाना से प्रारंभ हुए भूदान आंदोलन की भूमिका को विनोवा के दरिद्रनारायण अवधारणा से जोड़ते हुए कहा कि भूदान आंदोलन आत्मा की एकता का आंदोलन है। जिसका उददेश्य आर्थिक असमानता को दूर कर लोगों में समानता लाना था।
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लखनऊ से आये मुख्य अतिथि प्रो0 एस एन कपूर निवर्तमान अध्यक्ष भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने भारतीय संस्कृति की जीवनी शक्ति का शोध करते हुए भारतीय संस्कृति के उन प्रेरक एवं रोचक प्रसंगों को युवाओं के सामने रखा जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से जन्म मृत्यु एवं जीवन की अवधारणा, धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण आदि शामिल थे।
इतिहास के जीवंत एवं मृत अतीत की विभाजक रेखा को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद को भारतीय इतिहास के जीवंत स्वरूप को प्रस्तुत किया जाता है। इसके साथ ही डा0 कपूर ने भारतीय संस्कृति के प्रतीकों की वैज्ञानिक अवधारणाओं को विद्यार्थियों को अधिगत करने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम का संचालन क्रीड़ाध्यक्ष डा0 शरदचन्द्र मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में अनुपम सक्सेना, संजीव सोमवंशी, आकांक्षा भट्ट, देवेन्द्र सिंह के अलावा प्रो0 ए के शुक्ला, प्रो0 एस के श्रीवास्तव, डा0 एम एच सिददीकी, देवेन्द्र सिंह, प्रो0 उमापति, अमरनाथ तिवारी, प्रो0 माधुरी दुबे, सपना राठौर, डा0 जयश्री मिश्रा, पुष्प गुच्छ आदि मौजूद रहे।