नए दौर की मुहब्बत: दिल से पहले देह की बात

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Bedroom2झटपट यारी और फटाफट ब्रेकअप के इस युग में आप सबका स्वागत है, जहां ‘डेटिंग’ का मतलब मादक पार्टियां हैं और ‘कमिटमेंट’ गुजरे जमाने की चीज है. मर्द और औरत ‘अब प्यार में नहीं पड़ते’, वे ‘रिलेशनशिप में होते हैं’ और जब चीजें पटरी से उतरना शुरू होती हैं या सिर्फ ‘जटिल’ यानी कॉम्पिलकेटेड हो जाती हैं तो किसी का ‘दिल नहीं टूटता’. विकल्पों से लबरेज शहरी युवा अब नई संभावनाएं तलाशना और नए प्रयोग करना चाहता है. यह बात सुनकर कि उसका दोस्त किसी और के साथ सो रहा था, किसी की आंखें हैरत से फटी नहीं रहतीं.

कमिटमेंट के बारे में सोचने से पहले वे किसी और की तरफ बढ़ जाते हैं. वे दिन लद गए जब लड़के बेवकूफी भरे हॉलमार्क कार्ड से लड़कियों को लुभाने की कोशिश करते थे और लड़कियां बार-बार रूमानी गानों को सुना करती थीं. यह प्यार तलाशने, तत्काल तृप्त हो जाने और कमिटमेंट से भागने का जमाना है.

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मुंबई के 22 वर्षीय फाइनेंस कंसल्टेंट विक्रांत गाबा कहते हैं, ”डेटिंग का नया नियम कहता है कि किसी से भी तब तक भावनात्मक रूप से न जुड़ें, जब तक तक उसके बारे में पूरी तरह आश्वस्त न हो जाएं.” विक्रांत के लिए झिलमिलाती रोशनी वाले नाइटक्लब डेटिंग के माकूल ठिकाने हैं. फरवरी, 2013 में इंडिया टुडे के एक ऑनलाइन वैलेंटाइन डे सर्वेक्षण से पता चलता है कि इस 28 फीसदी उत्तरदाता एक साथ कई पार्टनर के साथ कैजुअल सेक्स में लिप्त रह चुके हैं और 41 फीसदी लालायित रहते हैं कि काश उन्हें ऐसा मौका मिलता.

रोमांस के नए नियम
शहरी युवाओं के लिए डेटिंग का नया मंत्र माचा के नियम हैं, मलयालम में माचा का मतलब सबसे अच्छा दोस्त होता है. माचा एक साथ मिलकर कुछ मजे करते हैं या रात में बाहर जाते हैं.

हाउ आइ मेट यूअर मदर और अ हाफ मैन जैसे टीवी सीरियल से प्रेरित नए जमाने के प्रेमी कोई भावनात्मक बोझ नहीं चाहते. मुंबई की फिल्म एनिमेशन कलाकार 24 वर्षीया सुप्रिया खुराना कहती हैं, ”डेटिंग का मतलब अब सभी विकल्पों को तलाशना, किसी ऐसे लड़के के साथ डांस करना जो आपका हाथ थाम ले और फिर उसे गुडबॉय कह देना है, अधीरता से इस बात का इंतजार किए बिना कि अगले दिन वह आपको कॉल करे.” उनके और चिक कोड के प्रति वफादार अन्य लड़कियों के लिए बॉयफ्रेंड जैसा शब्द काफी घटिया है, उनके बेडरूम में जो मर्द होते हैं वे स्वीटी पाइ, मिस्टर बिग, मैन टॉय या हॉटी होते हैं.

कैजुअल रिलेशनशिप पॉपुलर होती जा रही है, जिसमें युवा जोड़े भावनात्मकता को तार-तार कर रहे हैं और मजे के लिए कमिटमेंट को दांव पर लगा रहे हैं. टीन एजर गर्व से कहते हैं कि वे कॉम्बोलेशनशिप या पेचीदा रिलेशनशिप में हैं जहां कुछ ही घंटों में स्टेटस कमिटेड से सिंगल में बदल जाता है. मुंबई की एक डीजे 26 वर्षीया अनुजा कहती हैं, ”हर तरफ काफी तनाव है. आप रोने-धोने और लड़ाई से इसमें और बढ़ोतरी क्यों करना चाहते हैं?’’ अनुजा दो साल से अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहती हैं और ‘ओपन’ रिलेशनशिप में हैं.

इसके विपरीत एक पुरानी पीढ़ी थी जिसमें प्रणय निवेदन करने वाले जोड़े शादी के बाद हाथों में हाथ लेकर साथ-साथ चलने के ख्वाब संजोते थे. भारत की नई पीढ़ी किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले हर पहलू को टटोलना और संभावनाएं तलाशना चाहती है. कई तो इस बात से गदगद हैं कि रिलेशनशिप में खटास आने के बाद उन्होंने मेट्रोमोनियल वेबसाइट्स की मदद से एक उपयुक्त साथी तलाश लिया. ”लगभग दो दर्जन औरतों के साथ समय गुजार चुके” और अरेंज मैरिज के विकल्प टटोल रहे बंगलुरू में रहने वाले 27 वर्षीय इंजीनियर जयंत श्रीवास्तव कहते हैं, ”एक बार जब आप सब मजे ले चुके होते हैं, फिर किसी ऐसे व्यक्तिके साथ व्यवस्थित होना चाहते हैं जो आपको स्थिरता दे और आपके परिवार में फिट हो सके.”

यह सोच इंडिया टुडे-नीलसन के नवंबर, 2012 में किए गए दसवें वार्षिक सेक्स सर्वे से भी साफ होती है, जिससे पता चलता है कि कैजुअल सेक्स की बढ़ती पहुंच के बावजूद अब भी 65 फीसदी शहरी मर्द ‘कुंवारी (वर्जिन)’ बीवी चाहते हैं. मुंबई में सोशियोलॉजी की पूर्व टीचर सुलोचना देसाई कहती हैं, ”ऐसी पीढ़ी जो विदेशी भूमि पर छुट्टियां मनाती है और एमिनम (रैप गायक) को सुनकर बड़ी हुई है, वेस्टर्न कल्चर और परंपरागत मूल्यों के बीच फंस गई है.”

सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्यार
इसके लिए आप चाहे अंतरराष्ट्रीय सिटकॉम टीवी सीरियल को दोष दें जहां कैजुअल सेक्स दिखाया जाना आम है या हाल के बॉलीवुड सिनेमा को जिसमें प्लेब्वॉय को मजे से दिखाया जाता है, अब एक लोकप्रिय संस्कृति ऐसे रिश्तों को बढ़ावा दे रही है जिसमें दिल के तार बिलकुल नहीं जुड़ते. मुंबई के रिलेशनशिप काउंसलर और साइकिएट्रिस्ट संजोय मुखर्जी कहते हैं, ”यह पश्चिमी मनोरंजन का असर हो सकता है, लेकिन सच यह है कि भारत में डेटिंग का नेचर पूरी तरह बदल चुका है. युवा अब पार्टनर बदलने से कम डरते हैं. कैजुअल रिलेशनशिप सामान्य बात है और रोमांस को समलैंगिक लोगों से जोड़ दिया गया है.’’

आइपैड के जमाने में युवा फेसबुक (एफबी) पर रिश्ते बना रहे हैं या अपने पसंदीदा इंसान को ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं. स्मार्टफोन और ऐप्स ने फ्लर्टिंग को तुरत-फुरत का काम बना दिया है. अब सिर्फ 140 कैरेक्टर्स के जरिए पार्टनर को बिस्तर तक खींचा जा सकता है. एक ट्वीट से लेकर साझे ‘लाइक’ तक कुछ भी दिल की धड़कन को तेज कर सकता है. जब दिल्ली की लेखिका 25 वर्षीया शीतल मेहता ने 27 वर्षीय पायलट रोहित शान को इंडी पॉप बैंड सिल्क रूट के ‘बूंदें’ को लाइक करते देखा तो उन्होंने मई, 2011 में उन्हें फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दिया और इस तरह तेजी से लंबी दूरी का रोमांस शुरू हुआ. एक साल बाद उन्हें यह लगा कि उस व्यक्तिकी ”वर्चुअल छवि और असल जिंदगी का व्यक्तित्व मेल नहीं खाता’’ और उन्होंने यह संबंध खत्म कर लिया.

बदनसीबों की मदद
जो लोग एफबी पर इतने लकी नहीं हैं, ऐसे सिंगल लोगों के लिए डेटिंग और मुलाकात कराने वाली साइट शहर में उपयुक्त जोड़ तलाशने में मदद कर रही हैं. ब्लू फ्रॉग और ऑरस जैसे रात के अड्डों पर डांस फ्लोर पर साथ होने से लेकर पी.जी. वुडहाउस और गैरी लार्सन पर करीब आने तक, Mypurplemartini.com और Meetup.com जैसी वेबसाइट अकेले दिलों के लिए मुलाकात के नए ठिकाने हैं. अगर आप से बाहर पकाने-खाने और कार रेसिंग जैसे सेशन का आनंद देने का वादा करता है तो दूसरा ‘अ लॉट कैन हैपन ओवर कॉफी’ को चुनते हुए कोस्टा और बरिस्ता पर मुलाकातें कराता है. मुंबई की डेटिंग साइट Sirfcoffee.com डिटेल्ड ऐप्लीकेशंस की पड़ताल के बाद समान पसंद वाले लोगों को एक साथ जुटाने का वादा करती है.

पुणे में सिंगल क्लब चलाने वाले साहिल शर्मा कहते हैं, ”शहरी सिंगल धनी हैं और संबंध बनाने को तैयार हैं. उन्हें बस समान सोच वाले लोगों से मिलने के लिए एक प्लेटफॉर्म की जरूरत होती है. कुछ लोग गंभीर रिलेशनशिप चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर बस घूमना-फिरना और ऐसे लोगों के साथ मौज-मस्ती करना चाहते हैं जिनकी संगीत और कॉकटेल में दिलचस्पी एक जैसी हो.” यही नहीं, सफर पर रहने वाले लोगों के लिए Meetatairport.com जैसी साइट हैं जिस पर लोग अपनी जगह की जानकारी देकर एक ही टर्मिनल पर मौजूद अन्य लोगों से मुलाकात कर सकते हैं.

साथ निभाने का सौदा नहीं है
140 कैरेक्टर्स की दुनिया में संबंध टूटने भी उतने ही आसान हैं जितने जुडऩे. फ्लर्ट करने वाला कोई पोस्ट, एक बेकार तस्वीर या ‘दिल पर चोट’ करने वाला ट्वीट रिलेशनशिप को अचानक जमीन पर पटक सकता है. जहां संगीत आदमी से ज्यादा मायने रखता है, और कहीं साथ न जा पाना रिश्ते को खत्म करने के लिए काफी होता है.

24 वर्षीया जेनिस मैस्करेनहास के लिए प्यार उस समय बेकार हो गया, जब उनके बॉयफ्रेंड ने उसे पिछले साल पुणे में स्पैनिश पॉप सिंगर एनरिक इग्लेसियाज के कॉनसर्ट में ले जाने से इनकार कर दिया. मुंबई की यह इंटीरियर डिजाइनर कहती हैं, ”ऐसे आदमी के साथ क्यों रहूं जो मुझे खुश नहीं रख सकता?” वे अब संगीत और फिल्मों के मामले में उनकी ही तरह की पसंद वाले शख्स के साथ डेटिंग कर रही हैं.

इंस्टेंट लव कैसे असीमित जलन में बदल जाता है, कोटा में रहने वाली 19 वर्षीय छात्रा उर्मिला जैन को यह तब पता चला, जब उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड जसमीत सिंह की एक लड़की को गले लगाते हुए तस्वीर देखी. तुरंत उनका रिलेशनशिप स्टेटस ‘सिंगल’ हो गया. जसमीत कहते हैं, ”पांच साल तक साथ रहने के बाद भी मैं उसे यह समझने में सफल नहीं हो सका कि वह लड़की मेरी कजिन थी. फेसबुक और ट्विटर ने लोगों को काफी ढीठ और नासमझ बना दिया है. हम जो देखते हैं उससे चलते हैं, जो सोचते हैं उससे नहीं.” साइकोलॉजिस्ट इसे फास्ट फूड जमाने का ऐसा लक्षण बताते हैं जिसमें रोमांस का कोई ठिकाना नहीं है और जुड़ाव भी नहीं होता. दिल्ली में रहने वाले रिलेशनशिप काउंसलर यश ङ्क्षसह कहते हैं, ”आज प्यार बहुत औपचारिक और क्षणिक प्रकृति का हो गया है और लोगों को व्यक्तिगत जुड़ाव से दूर रखते हुए टेक्नोलॉजी ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. असल जीवन में इसका मतलब यह है कि लोग पलक झपके बिना पार्टनर बदलने में खुश हैं.”

पेरेंट्स की नजरें
पेरेंट्स भी डेट करने और किनारे कर देने की इस संस्कृति को काफी तेजी से स्वीकार कर रहे हैं. अकसर मां-बाप अपने बच्चों की ऐसी मौज-मस्ती से आंख मूंद लेते हैं. चंडीगढ़ में रहने वाली 50 वर्षीया शोभा कपूर 19 और 17 साल के दो किशोरों की मां हैं. उन्हें अपने बेटों की गर्लफ्रेंड्स के बारे में पता है, लेकिन वे चुप्पी साधे रहती हैं. उन्होंने बताया, ”उनके दोस्तों का दबाव इतना ज्यादा है कि वे वही करते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है. मैं इस बात से खुश हूं कि वे यह सब सुरक्षित तरीके से तो कर रहे हैं.”

निरंकुश मादक पार्टियों से होते हुए शादी तक का बदलाव सबके लिए आसान नहीं होता. असल रिश्तों में कई बार विफल रहने और एफबी पर अपने से ज्यादा उम्र की दो महिलाओं (इनमें से एक काफी ज्यादा उम्र की हाउसवाइफ थीं) के साथ अफेयर चलाने के बाद चंडीगढ़ के 32 वर्षीय पत्रकार सुकांत दीपक ने तय कर लिया है, ”अपने भावनात्मक खालीपन को भरने के लिए” वे कभी शादी नहीं करेंगे. बच्चों के तेज और तूफानी जीवन ने 48 वर्षीया संगीता सक्सेना जैसी मां की नींद उड़ा दी है. चंडीगढ़ की इस गृहिणी को अपनी 24 वर्षीया बेटी आस्था के लिए कोई ‘सम्मानित’ दूल्हा नहीं मिल पाया है. उनकी बेटी के दो साल में तीन बॉयफ्रेंड रहे हैं. वे अधीरता से कहती हैं, ”मेरी बेटी शादी नहीं करना चाहती, वह कहती है कि वह बस मजे करना चाहती है. उसकी भविष्य की योजना ‘चिल’ करने की है. अब उसकी इस स्थिति से मुझे चिंता होने लगी है क्योंकि वह आस-पड़ोस में कानाफूसी का विषय बन गई है. अगर वह संबंधों के खिलाफ रही तो मैं उसकी शादी के लिए कोई लड़का कैसे ढूंढ पाऊंगी.”

ओल्ड इज गोल्ड
तेजी से ठुकरा देना और साइबर डेटिंग आम बात होने लगी है, लेकिन अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जो हमेशा रोमांटिक कपल बनकर रहना चाहते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय की 18 वर्षीया छात्रा शिल्पी राय को पांच हार्ट ब्रेक्स के बावजूद ‘घोड़े पर चढ़कर आने वाले सपनों के राजकुमार’ की कल्पना अब भी सच लगती है.

उनका कहना है, ”मैं ऐसा जीवन नहीं चाहती जो टेक्स्ट मैसेज, इलेक्ट्रॉनिक प्यार और शारीरिक अंतरंगता पर आधारित हो. मैं भावुक जुड़ाव और असल रोमांस चाहती हूं मेरे दोस्त मुझे पुराने फैशन का समझते हैं.” लेकिन तेजी के इस जमाने में सभी लोगों को इतनी उम्मीद नहीं है. कोलकाता की 20 वर्षीया सुरभि चटर्जी ने जब यह पाया कि उनका बॉयफ्रेंड चार साल से उन्हें धोखा दे रहा था तो वह एक टॉपर से कॉलेज छोडऩे वाली लड़की बन गईं और उन्हें कमिटमेंट से डर लगने लगा. उन्होंने कहा, ”मैं उसके साथ सेक्स संबंध नहीं बनाना चाहती थी, सिर्फ इसलिए वह दूसरी लड़कियों के साथ सोने लगा.”

यहां तक कि बॉलीवुड ने भी इस रुख को पकड़ा है. बिजॉय नांबियार की फिल्म शैतान में निरंकुश दोस्तों के समूह ने उन लोगों को भौंचक्का कर दिया जो आज के युवाओं की सोच से बेखबर हैं. हालांकि अब बन रही ज्यादातर फिल्मों में युवाओं के प्यार के प्रति इस तरह के ख्याल से आंखें नहीं मूंदी गई हैं. इश्कजादे में अर्जुन कपूर अपनी दुश्मन को सबक सिखाने के लिए उसके साथ यौन संबंध बनाने और उसके साथ सोने को कोई बड़ी बात नहीं समझता, इससे यह पता चलता है कि भारत के छोटे शहरों के युवा भी शादी से पूर्व सेक्स के बारे में अनजान नहीं हैं.” यश चोपड़ा की फिल्म जब तक है जान में अनुष्का शर्मा झटपट रिलेशनशिप और फटाफट ब्रेकअप वाली पीढ़ी से होने पर गर्व महसूस करती हैं.

इसी तरह स्टुडेंट ऑफ द ईयर में आलिया भट्ट का ग्लैमरस कैरेक्टर जो आसानी से एक लड़के के प्यार में पड़ जाती है और तुरंत ही दूसरे से इश्क वाला प्यार करने लगती है. चाहे सिनेमा की कहानी हो या मिडिल क्लास के ड्राइंग रूम की, आधुनिक प्रेम कहानी ने चॉकलेट और कैंडी वाले रोमांस को और विस्तार दे दिया है. नई पीढ़ी के प्रेमियों के लिए जो कुछ है अभी और यहीं है. वे हमेशा के लिए खुशी-खुशी साथ रहने के सपने नहीं देखते.