FARRUKHABAD: समाजवादी पार्टी की ओर से सपा विधाकय नरेंद्र सिंह के पुत्र सचिन यादव को आगामी लोकसभा का टिकट दिये जाने की घोषणा के सियासी हलकों में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कांग्रेसी जहां इसे सपा की ओर से सलमान खुर्शीद को दिया गया ‘वाक-ओवर’ बता रहे हैं, वहीं भाजपाई इसे सलमान को झटका बता कर अलग से अपनी बगलें बजा रहे हैं। बहर हाल सबके अपने अपने राजनैतक गुंताड़े हैं। प्रस्तुत है इन राजनैतक आंकलनों का विश्लेषण।
प्रमुख चार राजनैतिक दलों में जहां बसपा ने सबसे पहले अपने आगामी लोकसभा प्रत्याशी के नाम की घोषणा काफी समय पूर्व कर दी थी, वहीं कांग्रेस की ओर से वर्तमान सिटिंग सांसद और केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की टिकट लगभग तय है। इसी बीच समाजवादी पार्टी ने स्थानीय विधायक व प्रदेश होमगार्ड राज्यमंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव ‘लव’ को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, वहीं भाजपा ने अभी भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
समाजवादी पार्टी के टिकट की घोषणा होने के साथ ही कांग्रेसी खेमें में जश्न का माहौल है। कांग्रेसी इसे समाजवादी पार्टी द्वारा सलमान खुर्शीद के लिये खुला ‘वाक ओवर’ बता रहे हैं। जाहिर है कि प्रदेश में सत्ता रूढ होने के बावजूद सपा प्रत्याशी सचिन के सामने कई मुश्किलें हैं। अव्वल तो अनुभव और पहचान के नाम पर सचिन यादव बिल्कुल नये हैं। यह उनका पहला चुनाव है। दूसरे सपा के यादव-मुस्लिम गठजोड़ में से एक धड़े के मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी तौर पर ‘सलमान’ के मैदान में होने के कारण मुस्लिम मतों के सपा प्रत्याशी को मिलने की संभावना काफी कम है। दूसरी बड़ी बिरादरी ठाकुरों का भी प्रत्याशी बसपा की टिकट के साथ मैदान में मौजूद है। जाहिर है कि दलित वोट पर तो वैसे भी बसपा की दावेदारी रहती है। शेष बची अन्य पिछड़ी जातियों शाक्य व लोधियों के वोट परंपरागत रूप से भाजपा के साथ जाते रहे हैं। बैलेंसिंग फैक्टर ब्राह्मण वोटों का है, सो उन का अंदाजा भाजपा की टिकट के सामने आने के बाद ही हो पायेगा।
ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार सलमान खुर्शीद को सपा से कम से कम एक कमजोर प्रतिद्वंदी तो मिल ही गया है। अब वोटों के बंटवारे की गणित पर आधारित आगामी लोकसभा चुनाव का ऊंट किस करवट बैठता है, यह तो समय ही बतायेगा। परंतु इसमें एक पेंच भी है, जिसको लेकर भाजपाई खुश नजर आ रहे हैं। संसदीय चुनाव के इतिहास के अनुसार सपा में नरेंद्र सिंह यादव और मुन्नू बाबू के छत्तीस के आंकड़ों के चलते सलमान को मुन्नू बाबू के खिलाफ यादव वोट मिलने की परंपरा रही है। परंतु इस बार जब स्वयं नरेंद्र सिंह का पुत्र चुनाव मैदान में प्रत्याशी होगा तो यादव वोट कहीं और हिल कर नहीं जा पायेगा। ऐसे में सलमान के सामने मुस्लिम वोट बैंक साथ जोड़ने के लिये कोई बड़ी थोक बिरादरी उपलब्ध नहीं होगी। इससे सलमान की जीत की डगर मुश्किल भी हो सकती है। परंतु इसका फैसला भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही हो सकेगा। क्योंकि यदि भाजपा प्रत्याशी ब्राह्मणों की पसंद का न हुआ तो एक बार फिर ‘………………अबकी जीतेंगे सलमान’ का नारा बुलंद हो सकता है।