फर्रुखाबाद: कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी अनहोनी सी घटना घट जाती है जिसके बाद इंसान जीने की चाह भी छोड़ देता है। यह घटना या तो उसके जीवन को झकझोरती है या उसके शरीर को ही इस तरह कर देती है कि वह दूसरों का सहारा लेने पर मजबूर हो जाता है। ऐसी ही एक अनहोनी सोनू के साथ घटी मार्ग दुर्घटना में सोनू के कमर से नीचे का हिस्सा बिलकुल ही निर्जीव सा हो गया। डाक्टरों को दिखाने के बाद जब कोई लाभ न हुआ और जेबें भी खाली हो गयीं तो उसे जीवन में एक उम्मीद की किरण जगी। फिजियो थेरेपी के लगातार चले इलाज के बाद आज सोनू एक बार फिर जीने की चाह के साथ पैरों पर खड़ा होने लगा है। यह करिश्मा किया आवास विकास स्थित बाबा नीवकरोरी फिजियोथेरेपी क्लीनिक के चिकित्सक डा0 अविनाश पाण्डेय ने।
पड़ोसी जनपद मैनपुरी के ग्राम अर्जुन गढ़ी निवासी 26 वर्षीय इन्द्रजीत सिंह चौहान उर्फ सोनू पुत्र पूरन सिंह चौहान अब दोबारा जीने की चाह रखते हैं। घटना उन दिनों की है जब सोनू चौहान एक अच्छे खासे नव युवक थे। घर में पिता पूरन सिंह चौहान के अलावा अन्य भाई बहन खेती में पिता की मदद किया करते थे। 13 मई 2006 को पड़ोसी जनपद हरदोई के ग्राम बसेरा से निशा के साथ सोनू का विवाह हो गया। अपने हाथों में सोनू के नाम की मेहंदी लगाकर आयी निशा को शायद यह नहीं मालूम था कि उसके साथ विधाता ने आगे क्या लिखा है। शादी के ठीक 11 दिन बाद अभी निशा के हाथों की मेहंदी भी ठीक से नहीं छुटी थी कि उसकी अचानक 25 मई 2006 को सूचना मिली कि बाइक से आ रहे उसके पति सोनू चौहान की गाड़ी कुशमरा से मैनपुरी जाने वाले रोड पर खड्ड में जा गिरी है। आनन फानन में परिजन सोनू को मैनपुरी एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में ले गये। हालत इतनी गंभीर थी कि डाक्टरों ने उसे तुरंत कहीं बड़े अस्पताल में दिखाने की बात कही। जिसके बाद सोनू को आगरा रखा गया। कुछ दिन इलाज कराने के बाद आगरा में ही उसकी रीड़ की हड्डी का आपरेशन डाक्टरों ने किया तो, लेकिन उसे दोबारा खड़ा नहीं कर पाये।
इतने बड़े अस्पतालों में इलाज कराने के बाद खेती से ताल्लुक रखने वाले सोनू के परिजन भी जेबों से अब खाली हो गये थे। थक हारकर भगवान के भरोसे परिजन सोनू को लेकर घर पर आ गये। उसकी देखभाल की जाने लगी। सोनू ने अब जीने की चाह ही छोड़ दी थी। बड़े बड़े डाक्टरों का जबाब दे देना और रीड़ की हड्डी का तीन जगह से टूटने जैसी घटना में सोनू के साथ-साथ उसकी नवविवाहिता पत्नी को भी झकझोर कर रख दिया था। लेकिन सावित्री जैसी अपने पति की सेवा में जुटी उसकी पत्नी निशा ने हिम्मत नहीं हारी।
एक दिन निशा को यह पति के सच्ची श्रद्धा रंग लायी शाहजहांपुर के अल्लागंज क्षेत्र के एक व्यक्ति ने उसे फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह दी और जगह बतायी आवास विकास स्थित बाबा नीवकरोरी फिजियोथेरेपी क्लीनिक। 11 सितम्बर 2012 को डा0 अविनाश पाण्डेय से सम्पर्क किया तो डाक्टर ने उपचार थोड़ा लम्बा लेकिन ठीक करने का भरोसा दिलाया। जिसके बाद दोनो दम्पत्ति आवास विकास क्षेत्र में ही किराये पर कमरा लेकर इलाज कराने लगे। आखिर 6 माह के लगातार फिजियोथेरेपी इलाज के साथ सोनू चौहान को उम्मीद की किरण के साथ-साथ जिंदगी जीने की चाह फिर से पनप गयी। अब सोनू वाकर के सहारे कुछ चलने भी लगा है।
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इस सम्बंध में स्पाइन विशेषज्ञ डा0 अवनीश पाण्डेय ने बताया कि जब सोनू उनके पास उपचार के लिए आया था तो वह जीरो प्रतिशत पर था, लेकिन 6 माह तक चले फिजियोथेरेपी के बाद अब सोनू चौहान को 75 प्रतिशत से अधिक सुधार हो गया है। भर्ती करते समय सोनू के कमर से नीचे का हिस्सा बिलकुल भी नहीं चल रहा था। जिसे मेडिकल साइंस में पैरापिलीजिया कहते हैं। लेकिन लगातार किये गये उपचार व व्यायाम के साथ-साथ उनके सहयोगी चिकित्सक डा0 बृजभान सिंह व उनकी टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल की है।
उन्होंने बताया कि पैरापिलीजिया जैसी बीमारी का इलाज अमेरिका जैसे देशों में ही संभव है। लेकिन फिजियोथेरेपी एक ऐसी आधुनिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा असाध्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।