लखनऊ : लैकफेड घोटाले की जाँच कर रही पुलिस को-ऑपरेटिव सेल ने खुलासा किया है कि लैकफेड को मायावती सरकार के दौरान कुल 16 विभागों ने कार्य आवंटित किया और इनके विभागीय मंत्रियों ने जमकर कमीशनबाजी की| माया मंत्रिमंडल के सभी बड़े मंत्री इस कमीशनखोरी में शामिल रहे हैं| बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्या सहित रंगनाथ मिश्र जैसे कईयों छोटे बड़े मंत्रियों ने अपने पद का लाभ उठा अपनी तिजोरी भरी हैं| प्रदेश में कोई ऐसा विभाग नहीं बचा जहाँ घोटालेबाजों ने सेंध ना लगाई हो, प्राविधिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योग, श्रम, खनिकर्म एवं भूतत्व, कारागार, अल्पसंख्यक कल्याण, पशुधन विकास, होम्योपैथी सभी में जमकर पैसों की लुट खसोट की गयी।
लेकिन एक ऐसा मंत्री भी रहा जिसने सभी को पीछे छोड़ लैकफेड को 143 करोड़ जैसी बड़ी रकम का काम आवंटित कर दिया| हम बात कर रहे हैं स्वामी प्रसाद मौर्या कि इन जनाब ने विशेष कृपा दिखाई है लैकफेड पर|
नए खुलासे के बाद अब घोटालेबाज मंत्रियों के नाम, विभाग और उनके द्वारा आवंटित की गयी रकम इस प्रकार है-
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विभाग ने 12 करोड़|
स्वामी प्रसाद मौर्य के विभाग ने 143 करोड़।
बाबू सिंह कुशवाहा, परिवार कल्याण एवं खनन, 53 करोड़।
सदल प्रसाद, प्राविधिक शिक्षा, 11 करोड़।
अनीस अहमद अंसारी उर्फ फूल बाबू, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, 18 करोड़।
रंगनाथ मिश्र, माध्यमिक शिक्षा, 16 करोड़।
अवध पाल सिंह यादव, पशुपालन एवं दुग्ध विकास, 68 लाख।
नंद गोपाल उर्फ़ नंदी, होम्योपैथी, 1.5 करोड़ ।
चौधरी लक्ष्मी नारायण, व्यावसायिक शिक्षा, 31 करोड़।
आपको बता दें पूर्व मंत्री रंगनाथ, चंद्रदेव और बादशाह सिंह जेल में हैं|
सूत्रों के मुताबिक इस नए खुलासे के बाद पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सबसे बड़े घोटालेबाज के तौर पर सामने आये हैं| जाँच एजेंसी इस समय इस पूर्व मंत्री के खिलाफ सबुत और गवाह तलाश रही है, वहीँ कुछ विभागीय अधिकारीयों ने भी मौर्य के विरुद्ध कई साक्ष्य जाँच अधिकारियों को उपलब्ध कराएँ हैं| जिनके आधार पर जल्द ही मौर्य को नोटिस भेजी जाएगी|
गौरतलब है कि पूर्व मंत्री मौर्य पर शिकंजा कसने के लिए एसआइबी ने 14 जनवरी को प्रतापगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमोद मौर्य को पूछताछ के लिए नोटिस दिया। प्रमोद, स्वामी प्रसाद मौर्य के भतीजे हैं। जिले में जाँच के दौरान जाँच अधिकारियों को बीआरजीएफ योजना के लिए आवंटित धनराशि में बड़ी हेराफेरी मिली। जाँच टीम ने जब जिले के कुछ अधिकारियों पर अपना शिकंजा कसा तो कई घोटाले से जुड़े रहस्यों को उजागर करने को तैयार हो गए| अब एसआइबी इनका कलमबंद बयान दर्ज करने वाली है जिसके बाद ये अपने दिए बयान से मुकर नहीं सकेंगे और जाँच टीम पूर्व मंत्री मौर्य के विरुद्ध साक्ष्य तैयार कर सकेगी।
सिर्फ यहाँ ही नहीं एसआइबी ने कुशीनगर में भी जाँच की है। कुशीनगर पूर्व मंत्री का चुनाव क्षेत्र है। कुशीनगर के जिला पंचायत अध्यक्ष और तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी सहित कुल 14 अधिकारियों को जाँच टीम ने आगामी 17 जनवरी को हाजिर होने का नोटिस थमा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक मौर्य के करीबी कुशीनगर के 6 ग्राम पंचायत अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। जाँच टीम से जुड़े हमारे सूत्रों के मुताबिक ये ग्राम पंचायत अधिकारी मौर्य के खिलाफ गवाही देने को तैयार हैं। जाँच टीम को ये भी पता चला है कि सोनभद्र, कौशांबी व बाराबंकी में भी मौर्य के संरक्षण में इस योजना में घोटाला हुआ है, इन जिलों में भी मौर्य के करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
आरोप हैं कि मौर्य और बाबू सिंह ने बीआरजीएफ की गाइडलाइन को अपनी पसंद के हिसाब से बदल दिया और पंचायती राज संस्थाओं को आवंटित की जाने वाली रकम को लोक निर्माण विभाग, सीएंडडीएस, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, समाज कल्याण निर्माण निगम, राजकीय निर्माण निगम सहित लैकफेड और पैकफेड को भी कार्यदायी संस्था बना दिया। इस घोटाले को रचने में तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल गुप्ता, प्रमुख सचिव पंचायती राज आर के शर्मा, विशेष सचिव एमएम श्रीवास्तव ने बड़ी भूमिका निभाई।