फर्रुखाबाद : सातनपुर मण्डी में आलू भाव अभी भी मण्डी में आलू आवक के अनुसार ही खुल रहा है। जिस दिन आलू ज्यादा मात्रा में आ जाता है तो भाव डाउन यदि आलू कम मात्रा में पहुंचता है तो भाव उछाल मारने लगते हैं। जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाहर की मण्डियों व सातनपुर की मण्डी के भावों में ज्यादा मार्जिन नहीं है। देश की लगभग सभी मण्डियों में आलू का भाव एक जैसा बताया जा रहा है। वहीं आलू कम होने की भी संभवना व्यक्त की जा रही है। जिससे भविष्य में आलू के भाव किसानों को अच्छे मिल सकते हैं। बुधवार को सातनपुर मण्डी भाव 461 रुपये खुला तो वहीं सफेद अच्छा आलू 515 रुपये प्रति कुन्तल तक बिका। वहीं छट्टा आलू उछलकर 601 रुपये तक पहुंच गया।
फिलहाल आलू की डिमांड का सही समय अब आया है। फरवरी, मार्च, अप्रैल तीन माह में लोकल से लेकर देशावरों तक की मंडियों की खपत की पूर्ति होने के साथ वहुत बड़ी तादाद में आलू का भंडारण होना माना जा रहा है। इस हिसाब से आलू उत्पादन के क्षेत्रफल को कम आंका जा रहा है। फिलहाल आलू के भावों में अभी और उछाला आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। आलू उत्पादकों द्वारा अगले पखवारे में आलू के भाव 600 से 700 रूपये प्रति क्विंटल तक होने की संभावना की जा रही है। उत्पादक आर्थिक रूप से भले ही कोल्ड मालिकानों, भंसारियों तथा चालानियों की नजरों में सम्पन्न दिखाई दे रहा हो, किन्तु वास्तविकता में आलू उत्पादक आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ता ही जा रहा है। क्योंकि जो खाद की बोरी गतवर्ष 600 रूपये में मिल रही थी, वह आज 1200 रूपये में मिल रही है, उसके बाद खाद की कमी के क्षेत्रों में उसे ब्लैक में 1400 से 1500 रूपये में खरीदनी पड़ती है। इसी प्रकार आलू के बीजे का हाल है वह भी उसे मंहगा ही प्राप्त हुआ है। इसके ऊपर सरकार द्वारा दिनो दिन डीजल के दामों में वृद्धि करके उसकी सारी कमर ही तोड़ दी है। और बाद में खुदाई के समय मजदूरी की मार भी उसे झेलनी पड़ रही है।
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यह सब कोल्ड मालिकानों व भंसारियों को नहीं दिखाई देता है। केवल य ह भावों को लेकर हायतौवा मचाते रहते हैं। यदि भावों की स्थिति में सुधार न आया तो देश में आलू उत्पादन और भी ज्यादा प्रभावित हो जायेगा। अन्य जिन्सों की भांति सरकार को आलू भी विदेशों से मंगाने के लिये विवश होना पड़ सकता है। गतवर्ष कोल्ड आलू 1300 से 1400 रूपये प्रति क्विंटल विक्री होने पर भंसारी काफी खुश रहा। इस साल भावों की मजबूती पर अपना राग अलापकर उत्पादकों का मनोवल डाउन करने का दुःसाहस करने पर तुला हुआ है। आलू उत्पादन कम होने, कोल्ड खाली रह जाने की बात उत्पादकों द्वारा की जा रही है। गतवर्ष की भांति कोल्ड आलू का भविष्य फिर उज्जवल रहने की संभावना बनती नजर आ रही है। फिलहाल तो आलू का उत्पादन अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। अगले पखवारे से स्थिति का खुलासा होना शुरू हो जायेगा।