केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के नाना और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाम पर बने डॉ. जाकिर हुसैन ट्रस्ट में हुए घोटाले में पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (इओडब्लू) किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। इओडब्लू के महानिदेशक सुब्रत त्रिपाठी का कहना है कि अभी जांच चल रही है और जांच पूरी होने व समीक्षा के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
1986 में स्थापित ट्रस्ट ने सूबे के करीब 17 जिलों में कार्य किया था। ईओडब्लू सभी जिलों में विकलागों के कल्याणार्थ कार्यो की जाच कर रही है। ईओडब्लू की चार टीमें 17 जिलों में लगाए गए 34 शिविरों की असलियत पता करने में जुटी हैं। कई माह बीत जाने के बाद भी जांच पूरी न हो पाने के संदर्भ में जब महानिदेशक त्रिपाठी से पूछा गया तो उनका कहना था कि अभी तो साक्ष्यों का संकलन हो रहा है। लाभार्थियों से लेकर संचालक मंडल तक तमाम लोगों के बयान लिए जाने हैं और हस्ताक्षर प्रमाणित करने से लेकर अभिलेखों की जांच भी करनी है। जाहिर है कि इसमें समय लगेगा। त्रिपाठी ने कहा कि अभी यह बताया नहीं जा सकता कि इस जांच में कितना और समय लगेगा।
आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार के एक विशेष सचिव के हस्ताक्षर से केंद्र सरकार को भेजे गए पत्र के जरिए ट्रस्ट ने विकलागों के कल्याणार्थ पैसे आहरित किए हैं, जबकि उस अवधि में विशेष सचिव सेवानिवृत्त हो चुके थे। आरोप के सार्वजनिक होने के बाद ही ट्रस्ट संचालकों की मुश्किल बढ़ गयी है। हालांकि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद ने लगातार आरोपों का खंडन किया है। दोनों ने इसे अफवाह व साजिश बताया। खुर्शीद ने शिविरों की तस्वीरों और विकलागों को बाटे गए उपकरणों का भी ब्योरा सार्वजनिक किया है।