पूर्व मंत्री राजभर मामला : रामीरेड्डी की ट्रांसफर फ़ाइल लोकायुक्त के पास

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लखनऊ : पूर्व की मायावती सरकार में परिवहन निगम ने 580 बसों की चेसिस के टेंडर किये थे, जिसको लेकर तत्कालीन प्रबंध निदेशक आरएमवीएस रामीरेड्डी और परिवहन मंत्री राम अचल राजभर में विवाद हो गया| राजभर ने अपने करीबियों की फर्म को बसों के चेसिस का ठेका दिलाने के लिए परिवहन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव को टेंडर की प्रक्रिया रद्द करने के लिए चिट्ठी तक लिख दी थी। जब काम नहीं बना तो मंत्री ने स्वयं इन फर्मों को ठेके दिला दिए। केंद्र सरकार ने पूर्व की बसपा सरकार के दौरन 930 बसें खरीदने का पैसा दिया था। जिसके पहले चरण में 580 बसों की चेसिस के लिए टेंडर मांगे गए थे। लोकायुक्त जाँच में खुलासा हुआ कि आजाद कंपनी का टेंडर सबसे कम दर का था। जिसे उस समय के तत्कालीन परिवहन आयुक्त रामीरेड्डी ने अपनी स्वीकृति दे भी दी थी। सूत्रों के मुताबिक जब ये बात राजभर को पता चली तो उन्होंने ना सिर्फ प्रमुख सचिव को अपनी नाराजगी ज़ाहिर की बल्कि चिट्ठी लिख टेंडर रद्द करने का भी आदेश दे दिया था।
ramachal rajbhar
मंत्री का गुस्सा इतने पर भी शांत नहीं हुआ और उन्होंने पहले टेंडर प्रक्रिया रद्द कराइ और रामीरेड्डी को परिवहन आयुक्त के पद से भी हटा दिया। इसके बाद मंत्री के करीबी पंकज अग्रवाल को प्रमुख सचिव बनाया गया। मंत्री और पंकज ने मिलकर निर्णय लिया कि जो 580 बसों के टेंडर हुए थे, उनकी चेसिस विभाग की वर्कशॉप में बनवा ली जाए और बाकि की 350 बसों के लिए नए सिरे से टेंडर मांगें जाएं। सामने आया है कि राजस्थान के जयपुर की कंपनी कमल कोच को बिना टेंडर के ही काम दे दिया गया।

अब रामीरेड्डी का ट्रांसफर किए जाने संबंधी पत्रावली लोकायुक्त एन.के मेहरोत्रा ने अपने कब्जे में ले ली है। हालांकि पत्रावली की आरंभिक जाँच में लोकायुक्त को ऐसे कोई सबूत नहीं मिले कि राजभर ने रामीरेड्डी को हटाने के लिए लिखा-पढ़ी की हो। लोकायुक्त इस पत्रावली का परीक्षण कर पता लगाएंगे कि कहीं पूर्व मंत्री ने कहैं अपने रसूख का इस्तेमाल कर रामीरेड्डी को हटाने का दबाव तो नहीं बनाया था।

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गौरतलब है कि पूर्व मंत्री राजभर के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति जुटाने की शिकायतों के मिलने के बाद लोकायुक्त ने जब जाँच आरंभ कि तो पता चला की बसों की चेसिस के टेंडर में भी मंत्री ने दखलंदाजी कर अपने किसी करीबी को ठेका दिलाया और मोटा माल कमाया| रामीरेड्डी से विवाद और उनके ट्रांसफर कि बात भी लोकायुक्त को पता चली इसके बाद उन्होंने नियुक्ति विभाग से रामीरेड्डी के ट्रांसफर की फाइल तलब की थी। शुक्रवार को नियुक्ति विभाग के अधिकारियों ने ट्रांसफर की फाइल लोकायुक्त को सौंप दी थी। टेंडर के बारे में जब लोकायुक्त ने रामीरेड्डी से सवाल जवाब किये थे तो उन्होंने बयान दिया था कि 580 बसों की चेसिस बनवाने के टेंडर प्रक्रिया फाइनल होने से पहले ही उनका तबादला कर दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक जाँच यदि इसी तेजी से चलती रही तो जल्द ही पूर्व मंत्री सलाखों के पीछे नज़र आने वाले हैं|