फर्रुखाबाद: गणतंत्र दिवस तो सारे देशवासियों के लिये हर्षेाल्लास का दिन होता है। गणतंत्र दिवस की परेड तो वैसे भी मीडिया कर्मियों और विशेषकर छायाकारों के लिये विशेष आकर्षण को केंद्र होती है। जहां कड़क वर्दियों में सजे-धजे जवान परेड में शामिल होते हैं तो वैसे ही आम भारतीय का सर गर्व से ऊंचा हो जाता है। परंतु शनिवार को अजब हादसा हुआ। पुलिस अधिकारियों को परेडग्राउंड पर मीडिया छायाकारों की उपस्थिति खलने लगी। कईबार की टोका टाकी के बाद बाकायदा माइक से उन्हें बाहर निकलने को कह दिया गया। मीडिया कर्मी तो परेडग्राउंड से चले गये परंतु यह सवाल सभी को मथता रहा कि आखिर इसके पीछे अधिकारियों की मंशा क्या थी। मीडिया अक्सर प्रदेश के अधिकारियों में सत्ताधीशों की चिरौरी की ललक के आड़े आ जाती है। बीते दिनों एटा के एसएसपी पर ड्यूटी के दौरान वर्दी में मंत्री के पैर छूने के आरोपों को मीडिया ने वीडियो सहित उछाल दिया था। जिस पर कई सपा के बड़े नेताओं के बयान के साथ साथ एसएसपी ने मामले को साधते हुए पैर छूने की बात से इंकार किया था लेकिन फिर भी काफी फजीहत हो गयी थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि एटा जैसे किसी घटना को दोबारा न होने देने के डर से मीडिया को गणतंत्र दिवस के दौरान पुलिस लाइन मैदान से बाहर रहने के निर्देश दिये गये थे???
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जिस समय गणतंत्र दिवस की परेड गार्ड आफ आनर के लिए तैयार थी और मंत्री के अलावा जनपद न्यायाधीश भी मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। मीडियाकर्मी अपना कवरेज करने के लिए पुलिस लाइन मैदान पर पहुंच गये तभी संचालन कर रहे लोगों ने माइक द्वारा मीडिया को मैदान से बाहर जाने की बात कही और कहा कि मीडिया के मैदान में रहने से कार्यक्रम में व्यवधान पड़ रहा है। जिस पर सभी मीडियाकर्मी मैदान से बाहर आ गये। जानकारी मंत्री नरेन्द्र सिंह को हुई तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों की इस मामले में क्लास लगा दी।
चंद दिनों पूर्व ही मंत्री रामगोपाल के पैर छूने के आरोप में एसएसपी एटा फंसते फंसते बच गये। यह सब मीडिया की ही देन थी, कहीं उसी घटना से घबराये पुलिस अधिकारियों ने मीडिया को कार्यक्रम कवरेज करने पर ही आपत्ति जाहिर की। इस सम्बंध में पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी ने जेएनआई को बताया कि मीडिया से बाहर जाने की बात नहीं कही गयी थी। पहले तो उन्हें इस मामले की कोई जानकारी ही नहीं थी। बाद में जानकारी हुई। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मीडिया को थोड़ा किनारे रहने की बात कही गयी थी। जिससे टुकड़ी व उसके कमांडर का ध्यान इधर उधर न भटके।