प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए सूचना तकनीक का पूरा सहारा लिया जा रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि पूरी कोशिश की जा रही है कि किसी भी स्तर पर योग्य अभ्यर्थियों के साथ कोई खेल न हो सके। अभी तक छात्रों को कट ऑफ का पता लगाने में खासी समस्या का सामना करना पड़ता था। अक्सर यह शिकायतें होती रहीं हैं कि ज्यादा मेरिट वाले छात्रों को सूचित किए बिना कम मेरिट वालों को चयनित कर लिया गया। इस गड़बड़ी को रोकने के लिए इस बार सारे जिलों के कट ऑफ एक साथ वेबसाइट पर नजर आएंगे। कट ऑफ के आधार अभ्यर्थी जिले का चयन कर चयन समिति के सामने उपस्थित हो सकते हैं।
जिलों में गठित समिति को अगले दो तीन दिन में पूरी मेरिट सूची उपलब्ध करा दी जाएगी। इस मेरिट सूची में हर अभ्यर्थी का पूरा ब्यौरा ब्रॉडशीट पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि, टीईटी का रोल नंबर आदि से लेकर पूरा शैक्षणिक विवरण उपलब्ध रहेगा। चयन समिति को इस ब्यौरे में दर्ज विवरण का मूल प्रमाणपत्रों से सिर्फ मिलान करना होगा। परिषद के सचिव संजय सिन्हा का कहना है कि इंटरनेट पर सारा विवरण खुद अभ्यर्थियों ने भरा है। चयन समिति तो सिर्फ यह देखेगी कि इस विवरण से जुड़े दस्तावेज हैं या नहीं। दस्तावेज मिलने पर चयन समिति उन्हें ओके कर देगी और सारे अंकपत्र व प्रमाणपत्र जमा कर लेगी। इसके साथ ही उक्त जिले की एक सीट लॉक हो जाएगी। प्रशिक्षु शिक्षकों की तैनाती में भी पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी। श्री सिन्हा के अनुसार बीएसए से शिक्षक विहीन विद्यालय, एकल शिक्षक विद्यालय आदि की सूची तलब की जाएगी। इसी के आधार पर प्रशिक्षु शिक्षकों की तैनाती कर दी जाएगी।
गलतियों को सुधारने का नहीं मिलेगा मौका
बहुतेरे अभ्यर्थियों ने गुणांक के कालम में मनमर्जी से अंक भर दिए हैं। इसके चलते वह कम अंकों के बावजूद मेरिट सूची में ऊपर पहुंच गए हैं। वेबसाइट पर ऐसी विसंगतियां बड़ी संख्या में हैं जिसमें कम गुणांक वाले मेरिट सूची में ऊपर व ज्यादा वाले नीचे दिख रहे हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा का कहना है कि नौकरी के लिए आवेदन करने वाले इतने परिपक्व तो हैं ही कि वह अपने अंक, गुणांक व अन्य विवरण सही ढंग से वेबसाइट पर भर सकें। इसलिए साक्षात्कार के समय उन्हें भरे गए विवरण से जुड़े प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने होंगे। फिलहाल, अभ्यर्थियों ने क्या गुणांक भरा है यह वेबसाइट पर नहीं दिख रहा है, पर चयन समिति को जो सूची दी जा रही है उसमें अभ्यर्थियों द्वारा वेबसाइट पर दी गई सारी जानकारी दर्ज रहेगी। इसमें साबित हो जाएगा कि कम अंक होने के बावजूद अभ्यर्थी ने ज्यादा गुणांक भरा था। ऐसे अभ्यर्थियों का दावा स्वत: खारिज हो जाएगा।