फर्रुखाबाद: टीईटी पास बीएड शिक्षकों की भर्ती में आन लाइन आवेदन और हाईटेक साफ्टवेयर की डींगें मार रहे बेसिक शिक्षा विभाग की पोल जारी मेरिट सूची ने खोल कर रख दी है। भर्ती के दौरान प्राप्त आनलाइन आवेदनों में अभ्यर्थियों द्वारा भरी गयी अपनी विभिन्न शैक्षिक योग्यताओं का सत्यापन तो दूर बेसिक शिक्षा विभाग ने अभ्यर्थियों की फाइनल मेरिट जारी करने से पूर्व अभ्यर्थियों के टीईटी प्रमाणपत्रों तक का सत्यापन नहीं किया है। जेएनआई द्वारा किये गये शोध के दौरान इस बात के स्पष्ट प्रमाण सामने आये हैं कि अनेक ऐसे अभ्यर्थियों का भी मेरिट लिस्ट में नाम है जिन्होंने अपने टीईटी प्रमाणपत्र का अनुक्रमांक/प्राप्तांक गलत भरे थे। जाहिर है एक बार फिर फर्जी शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ है। विगत आठ वर्षों के दौरान हुई विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की भर्ती में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पा गये लगभग एक सैकड़ा शिक्षकों में से अभी तक बमुश्किल एक दर्जन को ही निकाला जा सका है। शेष अभी भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से न केवल सरकारी खजाने पर लगातार डाका डाल रहे हैं, भावी पीढ़ी के भविष्य को चौपट कर रहे हैं। इन 72 हजार अध्यापकों की नई लॉट में गड़बड़ी की संभावनाओं को देखते हुए लगता है एक बार फिर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की काली कमाई का एक और दरबाजा खुल गया है।
प्रदेश में 72 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते 7 दिसम्बर को विज्ञापन जारी कर अभ्यर्थियों से आन लाइन आवेदन मांगे गये थे। आन लाइन आवेदन के दौरान अभ्यर्थियों को अपने समस्त शैक्षिक प्रमाणपत्रों के अनुक्रमांक व क्रमांक सहित समस्त डाटा फीड करवाया गया। वहीं अभ्यर्थियों द्वारा टीईटी पात्रता की जांच के लिए उनके अनुक्रमांक व प्राप्तांक भी मांगे गये थे। शिक्षक बनने की इस लाइन में कई फर्जी प्रमाणपत्रों वाले अभ्यर्थी भी लग गये और उन्होंने भी अन्य अभ्यर्थियों की तरह ही बेसिक शिक्षा विभाग की बेबसाइट पर अपने फार्म अपलोड कर दिये।
विभाग द्वारा ऐसे फर्जी आवेदनों की कोई भी जांच न करके 22 जनवरी को मैरिट लिस्ट आउट कर दी। जिससे कई ऐसे अभ्यर्थी भी मेरिट लिस्ट में शामिल हो गये जिन्होंने शैक्षिक प्रमाणपत्रों का तो डाटा गलत भरा ही था उसके साथ ही उनका टीईटी से सम्बंधित भी रिकार्ड गलत था। जिससे साफ होता है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा न तो शैक्षिक रिकार्ड का ही कोई सत्यापन किया गया और न ही टीईटी पात्रता परीक्षा पास होने की ही कोई जांच की गयी। विभाग ने अभ्यर्थियों द्वारा भरे गये रिकार्ड को जैसी का तैसी मैरिट बनाकर जारी कर दी। जिससे कई ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल हो गये जिन्होंने टीईटी पात्रता परीक्षा पास नहीं कर पायी या उनका टीईटी प्रमाणपत्र अनुक्रमांक ही गलत था। टीईटी के अतिरिक्त हाईस्कूल व इंटमीडियेट का डाटा आनलाइन मौजूद होने के बावजूद सत्यापन की व्यवस्था नहीं की गयी।
विभाग द्वारा किसी भी शैक्षिक अथवा टीईटी पात्रता परीक्षा पास होने की जांच न करने से एक बार फिर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की चांदी होने वाली है। बीते 2004 में की गयी विशिष्ट बीटीसी के शिक्षकों की भर्ती में सैकड़ों शिक्षक जनपद में ही फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर तैनात हैं जिन पर आठ वर्ष गुजर जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है। अब बेसिक शिक्षा विभाग के लिए प्रदेश में 72 हजार शिक्षकों की भर्ती के बाद दोबारा काली कमाई का जरिया तैयार होता दिखायी दे रहा है।