गंगा स्वच्छता की चिंता छोड़ छपाई कारखाने चालू कराने में जुटा आईएसी

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फर्रुखाबाद: रामनगरिया मेला शुरू हो चुका है। दूर दूर से श्रद्धालु गंगा मां के निर्मल जल का आचमन करने की तमन्ना लेकर घटियाघाट पहुंचने लगे हैं। लेकिन गंगा की स्थिति किसी से छुपी नहीं। अभी तक गंगा को मैला करने का मुख्य श्रेय जनपद के छपाई कारखानों को जाता था जिनको बंद कराने के लिए आईएसी जगह जगह अपनी वकालत कर रहा था। लेकिन अचानक जनपद के आईएसी कार्यकर्ताओं के अंदर न जाने कौन सा बदलाव आया और उसने घुमाकर नाक पकड़ ली या यूं कहिए कि सीधे सीधे छपाई कारखानों को खोलने की बात करते हुए कारखानों से कैमिकल रहित पानी निकल रहा है।

इण्डिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य गोपालबाबू पुरवार व एडवोकेट लक्ष्मण सिंह ने जटवारा जदीद स्थित चन्द्रपाल वर्मा के आवास पर कार्यकर्ताओं के साथ राममुरारी शुक्ल की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में मांगें रखीं गयीं कि छपाई उद्योग एवं मजदूर वर्ग की लड़ाई आम सहमति से सर्व मान्य स्थाई हल न होने तक लड़ी जायेगी। जिला प्रशासन उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना कर विद्युत शवदाह गृह नहीं बना रहा है। जिससे राज्य सरकार भी संदेह के घेरे में है। अतिक्रमण अभियान पर भी संगठन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नगर में अतिक्रमण अभियान से निचले वर्ग के व्यापारी रोजी रोटी से वंचित हो रहे हैं। ठिलिया, खोंचा, फुटपाथ के सहारे रोजी रोटी कमाने वालों पर काफी असर पड़ा है।

मुख्य रूप से माघ मेले में नरौरा से पर्याप्त मात्रा में जल छोड़े जाने की बात तो संगठन ने की व पॉलीथिन की विक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कही गयी। इसके साथ ही गंदे नालों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग भी की गयी। लेकिन संगठन छपाई कारखानों की वकालत यहां तक कर गया कि छपाई मजदूरों के साथ संगठन शीघ्र बैठक करेगा। प्रशासन की जोरजबर्दस्ती के खिलाफ आंदोलन भी शुरू किया जायेगा। संगठन ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन कटिंग, छपाई, धुलाई, नाटिंग, डिजाइन, प्रेस, कलेंडर, ब्लाक मेकर आदि कारखानों के सम्बंधित मजदूरों को बेरोजगार कर रहा है। जिससे वह आत्महत्या करने को मजबूर होंगे। यहां तक तो ठीक था लेकिन संगठन ने जिस तरह की सफाई कारखानों के पक्ष में दी उससे गंगा स्वच्छता अभियान के हितैषी होने का दावा करने वाले संगठन आईएसी पर प्रश्नचिन्ह लगना लाजमी है।

संगठन ने कहा कि जनपद के छपाई कारखानों के द्वारा जो गंदा कैमिकल युक्त पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है उसमें आई जो फ्री नामक रंग का प्रयोग किया जाता है। जो कैमिकल रहित है। कुल मिलाकर संगठन ने दबी जुबान से कारखानों का पानी गंगा में जाने से कोई नुकसान न होने की बात कही।

बैठक में मेजराज हुसैन, गोपाल चौहान, मुन्ना वर्मा, ओपी भदौरिया, रामऔतार शर्मा, श्रीपाल वर्मा, राघवेन्द्र मोहन मिश्रा, राहत अली, संजीव एडवोकेट, हरिशरण कटियार आदि लोग मौजूद रहे।