मासूमों को तम्‍बाकू कुटान में झोंकने को सीएमओ के सर्टिफिकेट की आड़

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फर्रुखाबाद: प्रशासन द्वारा बाल मजदूरों पर शिकंजा कसते देख अब कायमगंज के तम्‍बाकू कुटानों और फैक्‍ट्रियों में मासूमों की जिंदगी से  खिलवाड़ करने वालों ने सीएमओ के प्रमाणपत्र की आड़ की जुगत निकाल ली है। तम्बाकू के लिए प्रसिद्ध जनपद के कायमगंज में कई धन्‍ना सेठों के अलावा छुटभैये सैकड़ों के हिसाब से तम्‍बाकू कुटान और फैक्‍ट्रियां खोले हैं। जिनमें हजारों की संख्‍या में मासूम 50 से 70 रुपये प्रति दिन की मामूली मजदूरी के बदले कम उम्र में ही दमा और टीबी जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

बुधवार को मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी कार्यालय में दो लग्‍जरी वाहनों में भूसे की तरह भर कर लाये गये लगभग आधा सैकड़ा बच्‍चों को उतरते देख कौतूहलवश लोगों की भीड़  लग गयी। दस से बारह वर्ष के यह बच्‍चे कायमगंज की बंदर छाप तंबाकू फैक्‍ट्री में काम करते हैं। सीएमओं कार्यालय और उसके आसपास के क्षेत्र को फटी आंखों से निहार रहे मासूमों को यह तक नहीं मालूम था कि उनको यहां किस लिये लाया गया था। साथ आये एक व्‍यक्‍ति से पूछा तो उसने अपना नाम हरीररम बताते हुए स्‍वयं को लेबर ठेकेदार बताया। एक सज्‍जन और साथ आये थे। उनका परिचय पूछा तो उन्‍होंने अपना नमा उमेश गुप्‍ता बताते हुए स्‍वयं को बंदर छाप तम्‍बाकू का मालिक बताया। फोटो लेने के लिये कैमरा सीधा किया तो बड़ा इठलाकर बोले ‘क्‍या करोगे फोटो लेकर, हम तो छपते ही रहते हैं’। इस बीच ठेकेदार हरी राम मौका भांप कर वहां से खिसक गया। उमेश गुपता से पूछा कि बच्‍चों को यहां किस लिये लाया गया है तो बोले कि बच्‍चों का आयु का प्रमाण पत्र लेना है। बताया कि चौदह वर्ष से अधिक की आयु का प्रमाणपत्र होने पर श्रमविभाग के अधिकारी परेशान नहीं करते हैं। एक लगभग आठ नौ वर्षीय बच्‍च्‍ो की ओर इशारा करते हुए पूछा यह तो अभी काफी छोटा है, इसका भी प्रमाण पत्र बन जायेगा। तो मुस्‍कुराकर बोले सब हो जाता है।

देर शाम अपर-मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी डा. आरके कनौजिया ने बताया कि कुल 23 बच्‍चों का परीक्षण किया गया। इनमें आठ बच्‍चों की उम्र 13 वर्ष से कम निकली शेष बच्‍चों की उम्र 14 से 16 वर्ष के बीच पायी गयी। कोई भी बालिग नहीं था।

विदित हो कि केंद्र सरकार ने बाल श्रम के लिये समय सीमा 14 वर्ष से बढ़ा कर 18 वर्ष कर दी है। परंतु अभी प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कोई संशोधित शासनादेश जारी  नहीं किया है। श्रम विभाग के अधिकारियों के अनुसार तम्‍बाकू खतरनाक उद्योग की श्रेणी में आता है। इस लिये इसमें वैसे भी नाबालिगों लगाना अपराध है।

गरीबी के मारे इन नौनिहालों के परिजन इनकी शिक्षा तो दूर इनके स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं करते। तम्बाकू कुटानों से उड़ने वाली भस से जहां पूरे कायमगंज नगर क्षेत्र के निवासी बेहद परेशान रहते हैं। जिसके लिए नागरिकों ने प्रशासन से तम्बाकू गोदामों को नगर से बाहर लगाये जाने की भी मांग की। उस जोखिम भरे काम में हजारों मासूम काम कर रहे हैं। कायमगंज में प्रत्येक तम्बाकू कुटान की गोदामों में नौनिहाल काम करते मिल ही जायेंगे। इन मासूमों के स्वास्थ्य पर तम्बाकू से कुप्रभाव तो पड़ ही रहा है आने वाले दिनों में इनको टीबी जैसी भयंकर बीमारी से भी बचा पाना मुश्किल होगा।जबकि तम्बाकू फैक्ट्री में काम करना एक जोखिम पूर्ण काम है, जिसमें टीबी सहित कई अन्य तरह की बीमारियां होने की संभावना है।

अब देखना यह है कि प्रशासन इन बाल मजदूरों के भविष्य के बारे में क्या करता है। इन्हें तम्बाकू फैक्ट्री के दलदल में धकेलेगा या सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत किसी विद्यालय में शिक्षित करने के लिए भेजने की व्यवस्था करेगा।