फर्रुखाबाद: ग्राम सचिवालय भवन निर्माण के स्टेट लेबिल मानीटर आरबीएल शर्मा का कहना है कि एई व जेई सचिवालय भवनों का निर्माण बेहद घटिया करा रहे थे। उन्होंने बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने 26 जुलाई 2012 को राज्य सरकार को घटिया निर्माण की रिपोर्ट भेजी है। जिलाधिकारी डा. मुथु कुमार स्वामी बी ने पिछले वर्षो में योजना की खर्च व खातों में पड़ी धनराशि की जांच के आदेश दिए हैं।
वर्ष 2009-10 में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि में अवमुक्त 15.02 करोड़ के सापेक्ष जिला पंचायत ने 11.24 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वर्ष 2010-11 में इतनी ही धनराशि के आवंटन के सापेक्ष 12.60 करोड़ रुपये अवमुक्त हुए। इसमें 12.39 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें 3.85 करोड़ खर्च हो सके। वर्ष 2011-12 में 15.02 करोड़ रुपये आवंटन के सापेक्ष 12.47 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गई। इसमें 9.03 करोड़ रुपये का ही काम हो सका। इस अवधि में यूपीपीसीएल ने 78, पैक्सफेड ने 113 व जिला पंचायत ने 50 ग्राम पंचायत सचिवालय भवनों का निर्माण कराया। एक पंचायत सचिवालय भवन की निर्माण लागत 14.72 लाख रुपये थी। जिला पंचायत ने भूमि न मिलना दर्शाकर 18 ग्राम सचिवालय भवनों का निर्माण नहीं कराया। इनका लगभग 3.58 करोड़ रुपये अभी भी खातों में पड़ा है। जिला पंचायत व उसकी कार्यदायी संस्था ने जो भवन बनाए भी, उनमें अधिकांश का निर्माण मानक के अनुरूप नहीं हुआ। जिलाधिकारी ने सचिवालय भवन निर्माण के घपले व खातों में पड़ी धनराशि की जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि ग्राम सचिवालय भवनों में घपले की जांच राज्य स्तर पर आर्थिक अपराध शाखा पहले ही कर रही है।