मुंबई में 26/11 के हमलों के दोषी अजमल कसाब को बुधवार पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई है. पांच नवंबर को ही राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज की थी जिसे पिछले महीने गृहमंत्रालय ने ठुकरा कर के अपनी सिफारिश भेजी थी.
राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार राष्ट्रपति के पास इस समय कुल 16 लोगों के फांसी के 16 मामलों की दया याचिकाएं हैं जिनपर फैसला होना बाकी है. इनमें मोहम्मद अफज़ल गुरु की याचिका भी शामिल है. 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद पर हुए हमले में उनकी भूमिका के लिए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है.
क्या हैं यह सारे मामलेः
मोहम्मद अफजल गुरु
वे भारत की संसद पर हमले में शामिल होने के दोषी हैं. इम हमले में नौ लोग मारे गए थे और 16 घायल हुए थे. उनके मामले पर चार अगस्त 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी दी थी. पिछले साल अगस्त में उनकी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दया की अर्ज़ी खारिज करते हुए अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी थी.
सोनिया और राजीव
संपत्ति के लिए अपने ही परिवार के आठ लोगों को मौत के घाट उतारने के दोषी इन दोनों की फांसी पर साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने मोहर लगाई थी. इसी साल उनकी दया याचिका को गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था.
गुरमीत सिंह
अपने परिवार के 13 लोगों के कत्ल के दोषी गुरमीत सिंह को साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार देते हुए फासी की सजा दी थी. साल 2009 में गृह मंत्रालय ने उनकी दया याचिका को खारिज किया था.
धर्मपाल
राष्ट्रपति के पास इस समय जो दया याचिका के मामले हैं उनमें धर्मपाल का मामला सबसे पुराना है. इन्होंने एक ही परिवार के पांच लोगों का उस समय कत्ल किया था जब वे बलात्कार के एक अन्य मामले में जमानत पर जेल से बाहर थे.
साइमन, गणाप्रकाश, मदाए और बिलवांद्र
इन चार लोगों को लैंडमाइन धमाके कर के कर्नाटक के 22 पुलिस कर्मियों को मारने का दोषी पाया गया था. साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फांसी दी लेकिन केद्रीय गृह मंत्रालय ने इनकी दया याचिका पर पिछले ही साल मई के महीने में फैसला कर के राष्ट्रपति को भेजा था.
सुरेश और रामजी
संपत्ति के मामले में अपने पांच रिश्तेदारों को कत्ल करने के लिए यह दोनों साल 2001 में दोषी पाए गए थे. पिछले साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने इनकी दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी.
प्रवीण कुमार
एक परिवार के चार लोगों के कत्ल के दोषी प्रवीण को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2003 में दोषी पाया था. पिछले साल गृह मंत्रालय ने इनकी दया याचिका खारिज कर राष्ट्रपति को भेजी थी.
सईबन्ना निंगप्पा नाटिकर
इन्होंने अपनी पत्नी और बेटी का कत्ल किया था और साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें दोषी पाया था. पिछले साल सितंबर से इनकी अर्ज़ी राष्टपति के पास है.
जफर अली
इन्होंने अपनी पत्नी के अलावा पांच बेटियों की हत्या की थी. साल 2004 में दोषी पाए गए अली की दया याचिका की फाइल राष्ट्रपति के पास नवंबर 2011 में पहुंची.
सुंदर सिंह
साल 2010 में अपने भाई के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के दोषी पाए जाने वाले सुंदर की दया याचिका इस साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने खारिज कर के राष्ट्रपति के पास भेजी.
अतबीर
इन्होंने अपने सौतेले भाई, मां और बहन का कत्ल किया था और पिछले लगभग पांच महीने से ही इनकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास पहुंची है.