फर्रुखाबाद: ग्रामीणों की एक कहावत है कि तहसील व कचहरी की ईंट ईंट रुपये मांगती है। शायद इसका ही उदाहरण पेश करती एक तस्वीर उस समय नजर आयी जब न्याय की आस में अपनी फरियाद लेकर आने वाले पीड़ित ग्रामीणों से झण्डा दिवस के नाम पर तहसील के उच्चाधिकारियों के सामने 20-20 रुपये की वसूली बाबू द्वारा की जा रही थी। इससे यह साफ नजर आया कि ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा किस तरह अधिकारी व बाबू उठा रहे हैं।
आम आदमी व न्यायिक प्रक्रिया से अनभिज्ञ ग्रामीणों की सुविधा के लिए भले ही सरकार ने तहसील दिवस व जनता दिवस का आयोजन कराना शुरू किया हो। लेकिन भोलेभाले ग्रामीण यहां भी बाबुओं की वसूली से नहीं बच पा रहे हैं। तहसील के बाबुओं के दाड़ लग चुकी रिश्वतखोरी की आदत छूटने का नाम नहीं ले रही है। फिर चाहे वह खसरा खतौनी के नाम पर हो, मूल, आय, निवास प्रमाणपत्र बनवाने के नाम पर हो या अपनी जमीन की जोतवही बनवाने के नाम पर हो। तहसील में आज भी ग्रामीणों से धड़ल्ले से वसूली जारी है। मंगलवार को हुए तहसील दिवस में हद तो तब हो गयी जब तहसील के उच्चाधिकारियों के सामने ही प्रार्थनापत्रों को अंकित करने वाले बाबू संजय चौरसिया झण्डा दिवस पर बांटने वाली टिकटों को पीड़ित फरियादियों के आवेदनपत्रों में चिपकाकर बखूबी उनसे 20- 20 रुपये वसूलते रहे। वहां मौजूद जिम्मेदार अधिकारी यह सब आंख मूदकर देखते रहे। लेकिन किसी की यह जुबान नहीं खुली कि न्याय की आस में आने वाले गरीबों को जबरन झण्डा दिवस की टिकटों को न थोपा जाये। वसूली में माहिर ठहरे बाबू जोकि जहां चाहें वहां पर ग्रामीणों की खाल उतारनी शुरू कर दें। यही हाल तहसील में बाबू ने किया जहां पर ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाकर धड़ल्ले से उनके आवेदनपत्रों में 20 रुपये लेकर झण्डा दिवस की रसीदें चिपकाकर वसूली की गयी।