फर्रुखाबाद: मण्डल व बार्डों के चुनाव को स्थगित करने के बाद अभी तक उन्हें पुनः शुरू नहीं किया गया है। लेकिन कार्यकर्ताओं में अपने नये जिलाध्यक्ष को लेकर काफी उत्सुकता है। जेएनआई के सर्वे में निकलकर आया कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के अंदर गुटबाजी का डर घर कर गया है। ज्यादातर कार्यकर्ताओं का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी का जिलाध्यक्ष जो भी बने वह गुटबाजी से दूर हो तभी आने वाले चुनावों में हम अपने प्रत्याशी को विजयश्री दिला पायेंगे।
गुटबाजी के चलते तीन बार जनपद में विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा को लेकर अब कार्यकर्ताओं के अंदर डर सा भर गया है। ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता व सदस्य इस बात को लेकर चिंतित हैं कि नव निर्वाचित जिलाध्यक्ष को ऐसा होना चाहिए कि उसके अंदर गुटबाजी न आ पाये। जिला निर्वाचन अधिकारी शिव ओंकारनाथ पचौरी ने कई बार मण्डल चुनाव शुरू कराकर स्थगित करा दिये। जो कार्यकर्ताओं के अंदर आपसी मतभेद का जीता जागता उदाहरण है। अगर चुनाव से नही तो मनोनयन से ही जिलाध्यक्ष का चयन किया जा सकता है। परन्तु कार्यकर्ताओं ने जो बात रखी वह यही सिद्ध करती है कि भाजपा संगठन की धुरी अब गुट विहीन कार्यकर्ताओं पर ही टिकी है।
जेएनआई जब भाजपा से जुड़े संगठनों व आम जनता से रूबरू हुआ तो हकीकत कुछ इसी तरीके से सामने आयी कि भाजपा में यदि गुटबाजी न होती तो पिछले विधानसभा से लेकर नगर पालिका अध्यक्षत तक का चुनाव भाजपा के पक्ष में ही होता। लेकिन संगठन की गुटबाजी व नेताओ में खींचतान के चलते दोनो चुनावों में भाजपा को हार का मुहं देखना पड़ा।
छात्र संगठनों से वार्ता में भी यही निकलकर आया कि यदि भाजपा में एक दूसरे की टांग खींचना नेता बंद कर दें तो उससे अच्छी पार्टी जनपद के लिए तो कोई भी नहीं होगी। लेकिन इसमें कार्यकर्ता व पदाधिकारी संगठन को विकसित करने के वजाय एक दूसरे की टांग खींचने मे ज्यादा ध्यान देते हैं। यदि भाजपा गुटबाजी छोड़ दे तो आने वाले किसी भी चुनाव को बड़े ही सहज रूप से जीता जा सकता है।