त्यौहारों के पीछे का मकसद देखना जरूरी: डिप्टी कमांडेंट आर आर सी

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फर्रुखाबाद: पूरे देश में विजय दशमी का त्यौहार धूम धाम से मनाया जा रहा है। जगह जगह उसके लिए शस्त्र पूजन का आयोजन भी किया गया। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी के उपलक्ष में राजपूत रेजीमेंट सेन्टर में भी पूर्व की भांति शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें रेजीमेंट के बेहतरीन शस्त्रों, वाहनों, घोड़ों की पूजा की गयी। इस दौरान रेजीमेंट के डिप्टी कमांडेंट राजेश पनिकर ने कहा कि हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई मकसद होता है। इसीलिए हर इंसान को त्यौहार के पीछे क्या बजह है उसको जान लेना जरूरी होता है।

राजपूत रेजीमेंट सेंटर फतेहगढ़ के मंदिर कैम्पस में शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। जिसमें बैण्ड बाजों की धुनों पर आर्मी के जवानों ने शस्त्रों को सलामी दी। सेन्टर पहुंचे डिप्टी कमांडेंट राजेश पानिकर को रेजीमेंट के पण्डित सूबेदार परमानंद नागेन्द्र ने ध्वज पूजा के साथ कार्यक्रम की शुरूआत करवायी। इसके बाद डिप्टी कमांडेंट ने अत्याधुनिक शस्त्रों की पूजा की। पूजा के दौरान ही विजय दशमी के दिन शुभ माने जाने वाला नीलकण्ठ की भी पूजा की गयी। शस्त्रों की पूजा के बाद अन्य आर्मी अधिकारियों ने कम्प्यूटर्स, सौर्य के प्रतीक घोड़ों व राजपूत रेजीमेंट के वाहनों की मंत्रोच्चारण के साथ पूजा की गयी। राजपूत मंदिर का नजारा देखने लायक था। विशेष प्रकार के हथियारों को पूजा के लिए रखा गया था। जिसमें पेंसिल पिस्टल काफी आकर्षण का केन्द्र रही जो महज एक पेन के साइज की होने के साथ-साथ देखने में किसी तरह का हथियार नहीं लगती लेकिन हकीकत में वह पिस्टल का पूरा काम करती है।

शस्त्र और वाहन पूजन के बाद डिप्टी कमांडेंट राजेश पानिकर ने नारियल फोड़कर आने वाले समय में शांति और सौहार्द की कामना की। साथ ही शांती के प्रतीक सफेद कबूतरों को उड़ाया गया। गुब्बारे भी हवा में छोड़े गये। इस दौरान राजेश पनिकर ने कहा कि व्यक्ति को अपने अंदर के रावण को पहले मारना चाहिए। सैनिक के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हथियार होते हैं। इसी बजह से असत्य पर सत्य की विजय के त्यौहार विजय दशमी पर सैनिक विशेष रूप से शस्त्रों की पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को दुर्भावना को निकालकर कोई बुरा काम नहीं करना चाहिए।

इस दौरान कंपनी के सभी क्षेत्राधिकारी के अलावा कर्नल मृदुल मित्तल, कैप्टन राधेश्याम, क्वार्टर मास्टर दलजीत सिंह आदि मौजूद रहे।