आयोडीन की कमी मुख्य बजह है बच्‍चों में मंद बुद्धि व महिलाओं में गर्भपात की

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फर्रुखाबाद : आयोडीन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्‍य के लिये बहुत ही आवश्यक है और इसकी कमी से होने वाली समस्याओं को आयोडीन अल्पता विकार भी कहा जाता है । 21 अक्‍टूबर का दिन पूरे विश्‍व में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार दिवस के नाम से जाना जाता है। क्‍यों ना इस दिन आप भी आयोडीन के महत्‍व को जानें। आयोडीन की कमी से होने वाली समस्‍याओं का पता कई बार तुरंत नहीं लगता। लेकिन आयोडीन की कमी से होने वाले विकार कई बार गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को जन्‍म देते हैं।

हमारे शरीर की थायरायड ग्रंथि को ठीक प्रकार से काम करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है और इसकी कमी से घेंघा या गोयटर भी हो सकता है। इस बीमारी में गर्दन में थायरायड ग्रंथि वाले स्थान पर सूजन आ जाती है। हमारे शरीर को प्रतिदिन अपने आहार में 100 से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है।
आयोडीन की कमी से होने वाली सामान्य समस्या‍एं हैं:

शरीरिक व मानसिक कमज़ोरी, महिलाओं में गर्भाग्‍वस्‍था के दौरान एबार्शन, गोयटर या घेघा

आयोडीन की कमी की पूर्ति के लिए आप कुछ सामान्‍य उपाय अपना सकते है:

आयोडीन युक्‍त नमक ही खायें

आहार में अण्‍डे, दूध शामिल करें

मल्‍टिविटामिन लें

हालांकि शरीर में आयोडीन की बहुत कम मात्रा में आवश्‍यकता होती है, लेकिन यह बहुत ही आवश्‍यक है।

बच्‍चों में आयोडीन की कमी

बच्चों में आयोडीन की कमी ना होने दें क्योंकि बाल्यावस्था में आयोडीन की कमी से बच्चे का मस्तिष्क व शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। आयोडीन की कमी से बच्चा ‘क्रेटिन’ या ‘मंदबुद्धि’ हो सकता है और वह ठीक प्रकार से चल-फिर भी नहीं पाता।

आयोडीन युक्त नमक ऊपर से सामान्य नमक जैसा ही दिखता है, लेकिन इसमें आयोडीन मिलाई जाती है। माँ के शरीर में आयोडीन की थोड़ी सी कमी का भी बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। कभी-कभी तो इस बात का पता तबतक नहीं चलता जबतक कि बच्चा स्कूल जाने लायक ना हो जाये।

क्रेटिनिज्मक्या है – क्रेटिन्स गूंगे-बहरे या बौने हो सकते हैं और उनमें अविकसित होने के दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं। कुछ क्रेटिन्स में घेंघा या बढ़ीं हुई थायरायड ग्रंथि भी पायी जाती है। ‘क्रेटिनिज्म’ का कोई इलाज नहीं है। हालांकि इसे आसानी से रोका ज़रूर जा सकता है। हर रोज़ आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल से क्रेटिनिज्म जैसी समस्या से बच्चों को बचाया जा सकता है।

आयोडीन क्यों है जरूरी – •    आयोडीन हमारी थायरायड ग्रंथि के ठीक प्रकार से काम करने के लिए बेहद आवश्यक है और बच्चों में मस्तिष्क विकास के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है।

• शरीर के विकास के लिए आयोडीन ज़रूरी है और यह शरीर का वज़न भी नियंत्रित रखता है।

आयोडीन क्या है?

आयोडीन आपके बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थायराइड प्रक्रिया के लिए अनिवार्य है। यह एक माइक्रोपोशक तत्व है जिसकी हमारे शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। थायराइड ग्रंथि गर्दन के सामने है और यह उन हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर की चयापचय का नियंत्रण करते हैंआयोडीन हमारे शरीर के तापमान को भी विनियमित करता है, विकास में सहायक है और भ्रूण के पोशक तत्वों का एक अनिवार्य घटक है।

आपके शरीर को कितने आयोडीन की जरूरत है?

एक व्यक्ति को जीवनभर में एक छोटे चम्मच से भी कम आयोडीन की आवश्यकता पड़ती है। चूंकि आयोडीन शरीर में जमा नहीं रह सकता इसे दैनिक आधार पर लेना पड़ता है। रिसर्च से पता चला है कि महिलाओं को गर्भावस्था एवं स्तनपानके दौरान अपने आहार में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिलता।डब्ल्यूएचओ(WHO)की हिदायतों के अनुसार ली जाने वाली आयोडीन की मात्रा निम्न है:

गर्भवती महिलाओं के लिए 200-220 माइक्रोग्राम प्रतिदिन

स्तनपान कराती महिलाओं के लिए 250-290 माइक्रोग्राम

1 वर्ष से छोटे शिशुओं के लिए 50-90 माइक्रोग्राम प्रतिदिन

1-11 वर्ष के बच्चों के लिए 90-120 माइक्रोग्राम प्रतिदिन, और

वयस्कों तथा किशोरों के लिए 150 माइक्रोग्राम प्रतिदिन

आयोडीन की कमी से क्या कुप्रभाव हो सकते हैं?

आयोडीन की कमी से आप मानसिक तथा शारीरिक तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। इसके आम लक्षण हैं त्वचा का सूखापन, नाखूनों और बालों का टूटना, कब्ज़ और भारी और कर्कश आवाज़ । इनमें से कुछ लक्षण गर्भावस्था में आम पाए जाते हैं इसलिए इस बारे में डाक्टर से सलाह लेना सुरक्षित है।आयोडीन की कमी से वज़न बढ़ना, रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना और ठंड बर्दाश्त न होना आदि लक्षण होते हैं। वस्तुत: आयोडीन की कमी से मस्तिश्क का धीमा होना और दिमाग को क्षति आदि हो सकते हैं जिन्हें समय से रोका जा सकता है।आयोडीन की लगातार कमी से चेहरा फूला हुआ, गले में सूजन (गले के अगले हिस्से में थाइराइड ग्रंथि में सूजन) थाइराइड की कमी (जब थाइराइड हार्मोन का बनना सामान्य से कम हो जाए) और मस्तिश्क की कार्यप्रणाली में बाधा आती है।गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से  गर्भपात नवज़ात शिशुओं का वजन कम होना शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि लक्षण होते हैं। एक शिशु में आयोडीन की कमी से उसमें बौद्धिक और विकास समस्यायें जैसे कि मस्तिश्क का धीमा चलना, शरीर का विकास कम होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा समझ में कमी आदि होती हैं।

आयोडीन के अच्छे प्राकृतिक स्रोत क्या हैं?

आयोडीन मुख्यत: मिट्टी और पानी में पाया जाता है। बहरहाल, पेड़ काटने, बाढ़ आने, विक्षालन तथा भारी वर्षा के कारण मिट्टी में मौजूद आयोडीन घुल कर बह जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में आयोडीन की मात्रा सबसे कम होती है जबकि तटीय क्षेत्रों में इसकी मात्रा बेहतर होती है।आयोडीन के सर्वोत्तम प्राकृतिक स्रोत हैं अनाज, दालें एवं ताजे खाद्य पदार्थ। दूध, मछली और खाने योग्य समुद्री जीव, मॉस तथा अंडों में भी कुछ मात्रा में आयोडीन होता है।यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोगों के विष्वास के विपरीत समुद्री नमक में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा नहीं होती। अत: विकल्प के तौर पर समुद्री नमक का इस्तेमाल न करें क्योंकि इसके प्रत्येक ग्राम में केवल 2 माइक्रोग्राम आयोडीन होता है।

क्या आयोडीन युक्त नमक इसका सर्वोत्तम उपाय है?

आयोडीन युक्त नमक अपने आहार में आयोडीन शामिल करने का सबसे बेहतर तरीका है। एक औसत भारतीय प्रतिदिन लगभग 10-15 ग्रा. नमक का सेवन करता है। अपने दैनिक भोजन में आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करने से आपकी आयोडीन की दैनिक मात्रा पूरी हो जाती है।नमक में आयोडीन नष्ट नहीं होता यदि इसे उचित ढंग से रखा जाए। बहरहाल, लम्बे समय तक सूर्य की रोशनी तथा नमी पड़ने से नमक में मौजूद आयोडीन नष्ट हो सकता है। आपको आयोडीन युक्त नमक शीशे या प्लास्टिक के बंद कंटेनरों में रखना चाहिए और उस पर लिखी निर्माण की तारीख हमेशा देखें। आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल पैकिंग की तारीख से 12 महीने के अंदर कर लेना चाहिए।बहरहाल, यदि आपको  उच्च रक्तचाप तथा कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण आप अपने आहार में नमक का इस्तेमाल कर पाने में असमर्थ हैं तो इसके विकल्प के लिए अपनी डाक्टर से सलाह करें।

आयोडीन की कमी का पता कैसा चलता है?

चूंकि सेवित आयोडीन की 90 प्रतिशत मात्रा मूत्र के जरिए निकल जाती है, अत: आयोडीन की कमी का पता लगाने का सर्वोत्तम तरीका 24 घंटे मूत्र कलेक्षन टेस्ट या अचानक किया जाने वाला आयोडीन-से -क्रियेटिनाइन मूत्र परीक्षण है। आपके शरीर में टीएसएच (TSH) स्तर की जांच के लिए एक थाइराइड प्रक्रिया परीक्षण भी किया जाता है।

आयोडीन की कमी का उपचार कैसा किया जाता है?

यदि आयोडीन की कमी का पता चल जाए, आपकी डाक्टर इसके संबंध में की जाने वाली कार्रवाई की हिदायत देंगी और इस संबंध में आपके स्वास्थ्य पर नज़र रखी जाएगी। गर्भवती तथा स्तनपान कराती महिलाओं को इसके सप्लीमेंट लेने चाहिएं ताकि मां तथा शिशु दोनों को आयोडीन की पर्याप्त मात्रा मिले। अपनी डाक्टर के निर्देश का अनुपालन करना आवश्यक है क्योंकि इसकी दवा की मात्रा प्रत्येक व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकती है।
बहरहाल, आयोडीन के सप्लीमेंट लेने की सलाह सभी को नहीं दी जाती, विशेषकर उन लोगों को जिन्हें थाइराइड की समस्या हो। अत: आयोडीन के सप्लीमेंट लेने से पहले अपनी डाक्टर से सलाह जरूर करें।