खबरीलाल- अब सिर धुनिये यूपी के केन्द्रीय मंत्रियों के बयानों पर

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खबरीलाल आज तेवरों में काफी तल्खी भरे हुए थे। गुस्से में उनके नथुने फूले हुए थे। चेहरा लाल था। उनका यह हाल देखकर मुंशी हरदिल अजीज और मियां झान झरोखे की हंसी छूट गयी। खबरीलाल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

मियां और मुंशी की ओर दांत पीसते हुए खबरीलाल बोले तुम भी कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी से कम नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के विरुद्व बलात्कार वाली याचिका खारिज क्या की। जनार्दन द्विवेदी कांग्रेस की मडैती पर उतर आए । ऐसी मडैती तो शर्मनाक है। अच्छी बात है झूठे आरोपों का सिलसिला रुके। राजनीतिज्ञ मिम्मेदारी का परिचय दें। इससे कौन इनकार करता है। परन्तु एक याचिका खारिज हो जाने से कांग्रेस जो आज भ्रष्टाचार और घोटालों का पर्याय बन गयी है। दूध की तरह सफेद और गंगा जल की तरह पवित्र हो गई है। यह बात तो कहीं से हजम होने वाली नहीं है। और तो और कांग्रेस समाज को रास्ता दिखाती है। आरोपों और विपत्तियों में उभर कर आती है। जनार्दन द्विवेदी ने संत और उपदेशक की मुद्रा में कांग्रेस को सारे प्रमाणपत्र स्वयं ही वितरित कर दिये। उन्होंने लगे हाथों मीडिया को भी नसीहत दे डाली। लेकिन उन्होंने ओमप्रकाश चौटाला द्वारा हरियाणा पलवल जिले में राहुलगांधी द्वारा कथित रूप से कम दरों पर जमीन खरीद के संदर्भ में लगाए गए आरोपों पर किसी प्रकार की कोई टिप्पणी करने की बहादुरी नहीं दिखाई। पहले अपनी बुराई भ्रष्टाचार भाजपा को नहीं दिखाई देता था। अब इस मामले में कांग्रेस भाजपा से आगे बढ़ने में लगी है।

खबरीलाल की इस लंबी भूमिका ने मियां और मुंशी को भी गंभीर होने को मजबूर कर दिया। मुंशी बोले क्या बात है खबरीलाल। आज इतने गुस्से में क्यों हो। खबरीलाल केजरीवम की तरह फूट पड़े। बोले इस देश और प्रदेश का दुर्भाग्य है। बड़े बड़े पदों पर बहुत ही टुच्चे और छोटे किस्म के लोग पहुंच गए हैं। उन्हें न तो किसी बात की चिंता है। नहीं किसी बात की शर्म हया है। उन्होंने अपने संसदीय जिले प्रदेश देश और समाज को अपनी जेब में रखा मोबाइल फोन समझ रखा है। जब चाहो, जहां चाहो, नंबर मिलाकर प्रवचन दे दो ऊट पटांग बातें कहो। प्रतिक्रिया हो तो मीडिया पर बात को न समझने का ठीकरा फोड़ दो। एक दो अपवादों को छोड़ दो लगभग सभी का और विशेष रूप से यूपी के अधिकांश केन्द्रीय मंत्रियों का इस समय यही हाल है।

खबरीलाल बोले समझ में नहीं आता कि बात को कहां से शुरू करें। मुंशी बोले दूर क्यों जाओ अपने ही जिले से प्रारंभ करो। खबरीलाल की यह बात जंच गयी। बोले मुंशी तुम ठीक कहते हो। यह अपने सलमान साहब हैं न। इन्हें पता नहीं किसकी बुरी नजर लग गयी है। पहिले बोलते थे फूल झड़ते थे। अब बोलते हैं तब फिल्मी खलनायकों की तरह बातचीत में आग बरसती है। दुहाई गांधी जी की देते हैं। उनकी जयंती पर गांधी भजन संध्या का आयोजन करते हैं। परन्तु आज स्थिति यह है कि उनके शर्मनाक वयानों से जिले की सामान्य जनता इनसे नफरत करने लगी है। अब यह क्या बात हुई। सलमान साहब फरमा रहे हैं। हम कलम से हाथ नीले नहीं करेंगे। वरन अब लहू से हाथ लाल करूंगा। सलमान भैया बताओ किसके खून से हाथ लाल करोगे। गांधी जी ने तो कभी हिंसा की वकालत नहीं की। वह तो हर प्रकार की हिंसा के सख्त विरोधी थे। परन्तु अपने सलमान साहब पर पता नहीं इस समय किस प्रेत का साया पड़ गया है। किसी के सुनते ही नहीं।

खबरीलाल बोले इस महान देश का विधि मंत्री। गौतम गांधी गुरुनानक, महावीर के देश का विधि मंत्री। संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर के देश का विधि मंत्री। अपने जिले में केवल तेरह प्रतिशत मतों के बल पर पहिले सांसद और बाद में केन्द्रीय मंत्री बना देश का विधि मंत्री। राहुल गांधी से लेकर संजय दत्त अजहरुद्दीन तक तमाम लोगों को विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार में लगाकर भी पत्नी की जमानत न बचा पाने वाला विधि मंत्री। इतना मगरूर और अहंकारी हो गया कि वह अब फर्रुखाबाद आने वालों को वापस जाने का वीजा नहीं देगा। कलम के वजाय लहू खेलेगा। पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री तक इन्दिरागांधी से लेकर चौधरी चरण सिंह तक, राजीव गांधी से लेकर विश्वनाथ प्रताप सिंह चन्द्रशेखर जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों तक और प्रदेश के तमाम पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों की आत्मायें कराह रही होंगी। ऐसे हिंसा प्रेमी विधिमंत्री वाली कांगेस को जनार्दन द्विवेदी यदि समाज का आइना बताते हैं। तब यह सब कांग्रेस देश प्रदेश लोकतंत्र सहित पूरे समाज का अपमान है।

खबरीलाल यहीं पर ही नहीं रुके। बोले एक पड़ोसी जिले कानपुर के मंत्री है। कोयला घोटाले में  फंसे हैं। परन्तु अनर्गल अपमान जनक बयानबाजी से बाज नहीं आते। बोले पुरानी बीबी मजा नहीं देती। अब यही बात कोई उनके लिए कहे। तब उन पर क्या गुजरेगी। देश प्रदेश धीरे धीरे यही कहने की मुद्रा में आ रहा है। उसे अब गैर जिम्मेदार, परिस्थिति निरपेक्ष, भ्रष्टाचार को पालने पोसने वाले परिवारवाद और जातिवाद को बढ़ावा देने वाले कम मतदान और वोटों के बंटवारे के बल पर जीतने वाले नेता मंत्री तथा आपस में साठगांठ करके अपना वेतन भत्ता तथा सांसद विधायक निधि बढ़ा लेने वाले मंत्री नहीं चाहिए।

खबरीलाल इतने आक्रोष में थे कि न तो रुक रहे थे।  न ही मियां झान झरोखे और मुंशी हरदिल अजीज को कुछ बोलने का मौका दे रहे थे। बोले एक केन्द्रीय मंत्री जी को इकहत्तर लाख का घोटाला बिलो स्टेन्डर्ड लगता है। वह ऐसे भ्रष्टाचार को केन्द्रीय मंत्री की शान के खिलाफ मानते हैं। कम से कम इकहत्तर करोड़ रुपये का घोटाला हो। तब वह विचार करने को तैयार होंगे। विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रचार अभियान के दौरान इन तीनो महानुभावों ने ऐसे ही मनोरंजक वयान देकर कांग्रेस की लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं रखी। परन्तु कसम खा रखी है कि सुधरेंगे नहीं। उन्हें केजरीवाल द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी पर लगे आरोपों से काफी राहत मिली है।

खबरीलाल बोले मुंशी बात यह है कि इन नेताओं मंत्रियों को गुमान है मुगालता है। मतदान प्रतिशत बढ़ने वाला नहीं है। इसलिए वह कुछ भी कहें या कुछ भी करें उनका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश के इन केन्द्रीय मंत्रियों की हरकतों से पूरा प्रदेश अपने को आहत और अपमानित समझ रहा है। केवल सोनिया गांधी राहुल गांधी और जनर्दन द्विवेदी को छोड़कर।

खबरीलाल ने अपनी बात को रोक कर मोबाइल पर किसी का मैसेज देखा। फिर बोले घोषित कार्यक्रम के अनुसार एक नवम्बर को केजरीवाल आते हैं या नहीं। यह फैसला वह करें। परन्तु फर्रुखाबाद की जनता किस को चाहे वह सलमान खुर्शीद मेडम लुईस हों या पुन्नी शुक्ला-आफताब खां की ब्रिगेड के लोग। उसने अहंकार और तानाशाही का प्रतीक बन गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस का गरूर 1963 में तोड़ा ही नहीं था। चकना चूर किया था। इस बार भी सोनियागांधी, राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस का गरूर और अंहकार माननीय सलमान खुर्शीद के कुकृत्यों और कुत्सित वयानों के चलते खंड खंड करने में जिले की जनता कोई कमी या गलती नहीं करेगी। खबरीलाल मियां और मुंशी दोनो का अभिवादन करके रविवार को मिलने का वायदा करके चल दिए। आंधी से आए और तूफान से चले गए।

सतीश दीक्षित
एडवोकेट